कागज सलीब है, जिसपर हम येशु टांकते हैं : डॉ. अनामिका
मुजफ्फरपुर में हरीतिमा परिवार और रचनाकार परिवार द्वारा एक काव्य संध्या का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में डॉ. अनामिका 'अनु' ने अपनी कविता के माध्यम से गहन भावनाएं व्यक्त कीं। वरिष्ठ कवि डॉ. नंदकिशोर...

मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। मुजफ्फरपुर रचनाकार परिवार व हरीतिमा परिवार के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को हरीतिमा प्रांगण में आयोजित काव्य संध्या सह सृजनात्मक संवाद का आयोजन किया गया। इसमें भारतभूषण अग्रवाल सम्मान, महेश अंजुम कविता सम्मान व रजा फेलोशिप से विभूषित केरल से आई शहर की लेखिका डॉ. अनामिका 'अनु' ने संस्पर्शी काव्यात्मक गद्य अंश पाठ के क्रम में कहा कि कागज सलीब है, जिसपर हम येशु टांकते हैं। इसी पाठ की कड़ी में उन्होंने आगे भावपूर्ण कथन व्यक्त किया कि कितने तो लोग हैं। कितने रंग हैं। हम सबों के लिए कहां आए होते हैं। कुछ के लिए आते हैं और उनसे ही रूठकर चले भी जाते हैं।
मना क्यों नहीं लेते? अहंकार धर्म की तरह शामिल हैं। भक्ति आदत की तरह... प्रेम भक्ति नहीं है, यह शहद का जल में घुलना है...। सुन्दर गद्य-पाठ के बाद पुरस्कृत-चर्चित 'बटन' कविता का भी अनामिका अनु ने पाठ किया। आयोजन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि व कथाकार डॉ. नंदकिशोर नंदन की। संचालन डॉ. रमेश ॠतंभर ने किया। काव्य संध्यामें कवि नंदकिशोर नंदन, रमेश ॠतंभर, वीरेन्द्र कुमार सिंह, कुमार विरल, बैजू कुमार, शेफाली, राम कुमार, अंशु कुमार आदि ने भी कविताओं का पाठ किया। अतिथियों का स्वागत डॉ. मनोरमा नंदन व धन्यवाद ज्ञापन दिवाकर घोष ने किया।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।