12 साल पहले हुई छेड़खानी की घटना में जांच कर रही पुलिस
मुजफ्फरपुर में नाबालिगों से छेड़खानी और दुष्कर्म के प्रयास के मामलों में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। विशेष पॉक्सो कोर्ट ने संबंधित थानाध्यक्षों पर कार्रवाई की है। कई मामलों की जांच वर्षों से लंबित...

मुजफ्फरपुर, हिन्दुस्तान प्रतिनिधि। नाबालिगों से छेड़खानी और दुष्कर्म के प्रयास के मामले की जांच पुलिस वर्षों से दबाए हुए है। पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज ऐसे मामलों में 12 वर्ष पुराने भी शामिल हैं। इससे आरोपितों को लाभ मिल रहा है। विशेष पॉक्सो कोर्ट में सुनवाई की तिथियों पर ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। पुलिस की इस लापरवाही पर विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-एक के न्यायाधीश धीरेद्र मिश्रा ने सख्ती शुरू की है। ऐसे दर्जन भर मामलों में संबंधित थानाध्यक्षों व आईओ पर कार्रवाई की है। इसके बाद पुलिस कुछ मामलों में जांच पूरी कर चार्जशीट या अंतिम प्रतिवेदन विशेष कोर्ट में दाखिल कर रही है।
हालांकि, अभी भी इसकी गति काफी धीमी है। विशेष लोक अभियोजक (पॉक्सो) नरेंद्र कुमार ने बताया कि विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-तीन में लगभग ढाई सौ मामले की सुनवाई चल रही है। इसमें लगभग सौ मामले में पुलिस जांच पूरी नहीं कर सकी है। इससे मामले का निष्पादन समय से नहीं हो पा रहा है। इसके लिए संबंधित थानाध्यक्षों व आईओ को बार-बार सूचना देने के बावजूद असर नहीं हो रहा है। केस एक : चार्जशीट के बाद भी चल रही पुलिस की जांच ब्रह्मपुरा थाना के एक मोहल्ला की सात वर्षीय बच्ची को 17 सितंबर 2013 को कमरे में बंद कर अश्लील हरकत करने के मामले में पुलिस जांच पूरी नहीं कर पाई। मामले आरोपित कुंदन सहनी के खिलाफ 16 नवंबर 2013 को चार्जशीट दाखिल की गई। इसमें अन्य कई बिंदुओं पर जांच जारी रखने की बात बताई गई। 12 वर्षों में भी यह जांच पूरी नहीं होने पर विशेष पॉक्सो कोर्ट संख्या-तीन ने ब्रह्मपुरा थानाध्यक्ष के वेतन से पांच हजार रुपये कटौती कर जिला विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करने का आदेश दिया। केस दो : छात्रा से दुष्कर्म के प्रयास की जांच छह वर्ष बाद भी अधूरी औराई के एक गांव में 22 अगस्त 2019 को घर में घुसकर 14 वर्षीया नौंवी की छात्रा से दुष्कर्म के प्रयास मामले की जांच छह वर्ष बाद भी अधूरी है।₹ छात्रा की मां ने औराई थाने में एफआईआर करा गांव के गुड्डू कुमार को आरोपित बनाया था। विशेष पॉक्सो कोर्ट-तीन ने 26 मई को औराई थानाध्यक्ष राजा कुमार के वेतन से पांच हजार रुपये कटौती का आदेश दिया था। इसके बाद 12 जनवरी 2020 की तिथि में तैयार चार्जशीट कोर्ट में सौंपी गई। अब विशेष कोर्ट के बुलाने पर थानाध्यक्ष उपस्थित नहीं हो रहे हैं। केस तीन : सात वर्ष पुराने मामले में वारंट जारी होने पर चार्जशीट मीनापुर थाना क्षेत्र के एक गांव की किशोरी के साथ छेड़खानी व मारपीट के लगभग सात वर्ष पुराने मामला जांच पूरी होने के लिए लंबित चल रहा था। जब विशेष पॉक्सो कोर्ट-तीन ने आईओ अरविंद पासवान के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया तो आरोपित चंदन कुमार के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई। यह चार्जशीट भी 31 दिसंबर 2019 को तैयार की गई थी। आईओ की ओर से एक अर्जी दाखिल की गई। इसमें कहा गया कि थाना के कर्मी ने भूलवश इसे दूसरे कोर्ट में दाखिल कर दिया था। केस चार : गैरजमानती वारंट जारी हुआ तो दी फाइनल रिपोर्ट मिठनपुरा थाना की एक किशोरी के अपहरण मामले में छह वर्षों तक पीयर थानाध्यक्ष पंकज यादव ने जांच पूरी नहीं की। विशेष पॉक्सो कोर्ट ने उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किया। मोतीपुर के अंचल निरीक्षक रामएकबाल प्रसाद ने उन्हें विशेष कोर्ट में पेश किया। इसके बाद उन्होंने कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया। पीयर थानेदार को मिठनपुरा थाना में एसआई रहते किशोरी के अपहरण मामले में आईओ बनाया गया था। उन्होंने 18 जनवरी 2023 को ही अंतिम प्रतिवेदन तैयार किया पर इसे अपने पास ही रखा था। काजीमोहम्मदपुर थानेदार के वेतन से 5 हजार रुपये कटौती का आदेश काजीमोहम्मदपुर थाना के एक मोहल्ले में 29 सितंबर 2020 की शाम दुकान पर गई दस वर्षीया बालिका से दुष्कर्म का प्रयास किया गया। मामले में किशोरी की बुआ ने मनोज महतो को आरोपित बनाया। जांच के बाद पुलिस ने 23 नवंबर 2020 को चार्जशीट दाखिल की। उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। बाद में वह जमानत पर निकला। मनोज का विशेष कोर्ट में बयान दर्ज होना है पर वह उपस्थित नहीं हो रहा है। कोर्ट ने तीन जनवरी को उसकी जमानत के बंधपत्र को रद्द कर गैरजमानतीय वारंट जारी किया। इसके बाद भी उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश नहीं किया गया है। इस पर विशेष पॉक्सो कोर्ट-तीन के न्यायाधीश धीरेंद्र मिश्रा ने मंगलवार को काजीमोहम्मदपुर थानेदार के वेतन से पांच हजार रुपये की कटौती कर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कोष में जमा कराने का आदेश दिया। साथ ही एसएसपी को निर्देश दिया है कि थानेदार के वेतन भुगतान पर तब तक रोक लगाएं जब तक वे पांच हजार रुपये जमा नहीं कर देते।
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