विवि के स्टडी सेंटर में दुरुस्त कराए जाएं पंखे, पेयजल का हो इंतजाम
मुजफ्फरपुर के बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के स्टडी सेंटर में हर दिन 100 से 150 छात्र पढ़ाई के लिए आते हैं। छात्रों ने यहाँ पेयजल, पंखों और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी की शिकायत...
मुजफ्फरपुर। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय के स्टडी सेंटर में हर दिन 100 से 150 छात्र अपना भविष्य गढ़ने आते हैं लेकिन छात्रों की शिकायत है कि उन्हें यहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिलती हैं। पेयजल की परेशानी से लेकर पंखे भी ठीक से नहीं चलते हैं। गर्मी बढ़ने पर पसीने से तरबतर हो जाने से पढ़ाई भी ठीक से नहीं हो पाती। छात्रों का कहना है कि पेयजल के लिए कई बार विवि प्रशासन से बात की, लेकिन वहां से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हालत यह है कि पीने का पानी घर से लेकर आना पड़ता है।
कई बार पानी लाना भूल जाते हैं तो भटकना पड़ता है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस भीषण गर्मी में पेयजल का इंतजाम करना चाहिए। बीआरएबीयू के केंद्रीय पुस्तकालय में आने वाले छात्र पसीने से भींगकर अपने सपनों को साकार करने में जुटे हैं। यहां हर दिन सुबह से शाम तक छात्र किताबों के पन्ने पलटते मिल जाएंगे। लेकिन, 50 साल पुरानी इस लाइब्रेरी का अब तक आधुनिकीकरण नहीं हुआ है। लाइब्रेरी में छात्रों के लिए एसी नहीं है। पंखे भी काफी पुराने हैं, जिससे पूरी हवा नहीं दे पाते। स्टडी सेंटर में रोज पढ़ने आने वाले कुमार अभिनव ने कहा कि एसी की व्यवस्था विवि प्रशासन को करानी चाहिए। जो पंखे लगे हैं उन्हें भी बदलवाने की जरूरत है, ताकि हमलोगों को पढ़ने में कोई परेशानी नहीं हो। छात्रों ने कहा कि पेयजल की काफी परेशानी है। वाटर कूलर काम नहीं करता है। एक वाटर कूलर बंद है तो दूसरे में पानी का प्लो काफी धीमा है। उससे एक बोतल पानी भरने में आधे घंटे का समय लग जाता है। 40 डिग्री तापमान में यहां के छात्रों के लिए ठंडे पानी का भी इंतजाम नहीं है। शौचालय की व्यवस्था खराब है। यह बुनियादी चीजें हैं जो किसी भी संस्थान में रहनी चाहिए। छात्रों ने कहा कि केंद्रीय लाइब्रेरी के स्टडी सेंटर में नियमित बिजली भी नहीं रहती है। छात्र आदिल ने बताया कि केंद्रीय पुस्तकालय में कुर्सियों की संख्या भी कम है। छात्रों ने बताया कि स्टडी सेंटर में छात्रों को स्टडी टेबल भी खुद से लाना पड़ता है, जबकि यह सुविधा विवि और पुस्तकालय की तरफ से मिलनी चाहिए। कुर्सियों की संख्या कम होने से बैठने में काफी परेशानी होती है। बैठने का दायरा काफी संकीर्ण हो जाता है। छात्रों ने कहा कि विवि प्रशासन को छात्रों के बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियों की व्यवस्था करनी। छात्रों ने कहा कि यहां लॉकर की भी व्यवस्था नहीं है। सभी लाइब्रेरी में छात्रों को किताब रखने के लिए लॉकर की सुविधा दी जाती है, लेकिन यहां यह सुविधा नहीं है। लॉकर की सुविधा नहीं रहने से पांच मिनट के लिए भी स्टडी सेंटर से बाहर जाने पर किताबें गायब होने का डर रहता है। विवि प्रशासन को सेंट्रल लाइब्रेरी में एक लॉकर की व्यवस्था अनिवार्य रूप से करनी चाहिए।
24 घंटे पढाई की नहीं मिल रही सुविधा :
छात्र हिमांशु कुमार ने कहा कि विवि की तरफ से घोषणा की गई थी कि स्टडी सेंटर 24 घंटे खुला रहेगा, लेकिन रात दस बजे ही सेंटर बंद हो जाता है। इसके अलावा विवि की कोई बैठक होती है, तब भी स्टडी सेंटर बंद कर दिया जाता है। विवि की बैठकों के दौरान स्टडी सेंटर बंद कर देने से छात्रों की पढ़ाई बाधित हो जाती है, जबकि विवि की बैठक पहली मंजिल पर होती है और स्टडी सेंटर नीचे की मंजिल पर है। छात्रों का कहना है कि वाईफाई का रिचार्ज खत्म हो जाता है तो 15-15 दिन तक रिचार्ज नहीं कराया जाता है। इससे हमें परेशानी होती है। छात्रों ने बताया कि स्टडी सेंटर में सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जाने चाहिए ताकि यहां किसी भी छात्र की किताब या दूसरी चीज गायब नहीं हो सके। छात्रों का कहना है कि केंद्रीय पुस्तकालय में फर्स्ट एड बॉक्स की व्यवस्था होनी चाहिए। अगर किसी छात्र की अचानक से तबीयत बिगड़ जाए तो उसके प्रारंभिक इलाज की सुविधा पुस्तकालय और स्टडी सेंटर में रहनी चाहिए। इसके अलावा केंद्रीय लाइब्रेरी में छात्रों के लिए अलग से पार्किंग नहीं है। ग्रुप स्टडीज के लिए यहां कोई इंजाम नहीं है। विवि प्रशासन की इसकी व्यवस्था करनी चाहिए।
स्टडी सेंटर से तैयारी कर हर साल 10-15 छात्र पाते नौकरी :
केंद्रीय पुस्तकालय के इस स्टडी सेंटर से तैयारी कर कई बड़े अधिकारी बन चुके हैं। इनमें कई आईएएस भी शामिल हैं। हर साल यहां तैयारी करने वाले 10 से 15 छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी लगती है। इस कारण स्टडी सेंटर में पढ़ाई का क्रेज काफी वर्षों से है। कोई ऐसा दिन नहीं बीता जब यहां छात्र पढ़ने नहीं आते हैं। स्टडी सेंटर में छात्रों को पढ़ने का माहौल मिलता है। छात्रों का कहना है कि यहां बुनियादी सुविधाओं की कमी है, लेकिन पढ़ाई के लिए जो शांत वातावरण चाहिए वह हमें मिल जाता है। हालांकि, सेंट्रल लाइब्रेरी के पीछे काफी गंदगी होने से भी छात्रों को परेशानी हो रही है। गंदगी होने से यहां मच्छरों की भी भरमार रहती है। बीआरएबीयू की सेंट्रल लाइब्रेरी वर्ष 1952 में सहाय भवन में चलती था, जिसे बाद में दामूचक लाया गया। फिर वर्ष 1975 से इस भवन में यह सेंट्रल लाइब्रेरी चल रही है। छात्रों का कहना है कि सेंट्रल लाइबेरी के स्टडी सेंटर में आने वाले छात्र ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र और परिवेश के हैं। इसलिए यह सेंटर उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है।
बोले जिम्मेदार :
सेंट्रल लाइब्रेरी में पेयजल की व्यवस्था है। कुछ बाहर के लोग आकर पानी भरने लगते हैं, इसलिए कभी-कभी पानी खत्म हो जाता है। शौचालय की टंकी का निर्माण कराया जा रहा है। इसके बाद छात्रों को कोई परेशानी नहीं होगी। एसी लगाने के लिए विवि के इंजीनियरिंग सेक्शन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही यह सुविधा मिलने की उम्मीद है।
- डॉ कौशल किशोर चौधरी, पुस्तकालय अध्यक्ष, बीआरएबीयू
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