Encroachment Threatens Baghaili River Farmers Face Irrigation Crisis अतिक्रमण से सिकुड़ रही कौआकोल की प्रमुख नदी बघेली की धार, Nawada Hindi News - Hindustan
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अतिक्रमण से सिकुड़ रही कौआकोल की प्रमुख नदी बघेली की धार

कौआकोल, एक संवाददाता कौआकोल की सिंचाई के लिए प्रमुख रूप से क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए रखने वाली बघेली नदी इन दिनों अतिक्रमण के कारण अपनी पहचान खोते चली जा रही है।

Newswrap हिन्दुस्तान, नवादाFri, 6 June 2025 12:07 PM
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अतिक्रमण से सिकुड़ रही कौआकोल की प्रमुख नदी बघेली की धार

कौआकोल, एक संवाददाता कौआकोल की सिंचाई के लिए प्रमुख रूप से क्षेत्र में अपनी पहचान बनाए रखने वाली बघेली नदी इन दिनों अतिक्रमण के कारण अपनी पहचान खोते चली जा रही है। इस नदी के किनारों को स्थानीय लोगों के द्वारा अतिक्रमण कर लिए जाने के कारण नदी की धार कुंठित होते चली जा रही है। जो खेती किसानी के लिए परेशानी का सबब बनते जा रहा है। नदी के किनारों का अतिक्रमण हो जाने से प्रखंड के दर्जनों गांव के किसानों को सिंचाई की समस्या से जुझना पड़ रहा है। किसानों की सैकड़ों एकड़ खेती योग्य भूमि सिंचाई के कारण बंजर होने की कगार पर पहुंच गया है।

जो किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो चुकी है। अतिक्रमण से प्रखंड के जोगाचक, जोरावरडीह, गुड़ीघाट, चोंगवा, पनसगवा, बन्दैली कला, बन्दैली खुर्द, रामपुर बलुआ, सलैया, विशनपुर, ओखरिया, पाली, ईंटपकवा, महुआईं, कटनी, विरदावन, मंदिरा, बारा, बुकार तथा ढावा समेत पकरीबरावां प्रखंड के कई गांवों के समक्ष पटवन की समस्या बिकराल बनी हुई है। इन गांवों के किसानों ने बताया है कि जोरावरडीह, गुड़ीघाट, बिन्दीचक, चोंगवा तथा सलैया में अतिक्रमणकारियों द्वारा नदी के किनारों की जमीन का अतिक्रमण कर लिया गया है। जिसके कारण नदी की धार पूरी तरह से कुंठित हो गया है और नदी ने पइन का रुप धारण कर लिया है। समस्या को लेकर इन गांव के किसानों द्वारा सीओ से मिलकर नदी को अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने का आग्रह किया गया। लेकिन आज तक समस्या का हल नहीं निकल सका। जिसके कारण बरसात के दिनों में धान की फसल की पटवन के लिए प्रखंड के दर्जनों गांव के किसानों तथा अतिक्रमणकारियों के बीच झड़प होते रहता है। मामला स्थानीय पुलिस से लेकर कोर्ट तक पहुंच जाती है। बावजूद न तो स्थानीय जनप्रतिनिधि और न ही जनप्रतिनिधि इस समस्या को लेकर गंभीर हैं। और तो और अब स्थानीय प्रशासन के द्वारा भी नदी के किनारे की भूमि और धार को भरकर नदी के अस्तित्व को मिटाने का काम किया जा रहा। किसानों की शिकायत है कि स्थानीय प्रशासन द्वारा कौआकोल थाना के आगे बघेली नदी की धार को भरकर खेल का मैदान बनाने का काम किया जा रहा है। किसानों ने स्थानीय प्रशासन के समक्ष प्रश्न खड़ा किया है कि आखिर नदी को भर कर खेल का मैदान बनाने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र किस प्रकार संबंधित अधिकारी के द्वारा दिया गया कि नदी के अस्तित्व और सिंचाई के संसाधनों को मिटा कर वहां खेल का मैदान का निर्माण कर दिया जाए। एक तरफ सरकार नदियों तथा प्राकृतिक जलके श्रोतों के अस्तित्व को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। पर्यावरण दिवस के अवसर पर अधिकारियों द्वारा लोगों को पर्यावरण की सुरक्षा तथा खेतों के पटवन के लिए काम में आने वाले प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने का संकल्प दिलाया जाता है। पर उन संकल्प लेने वाले लोगों के द्वारा ही प्रखंड क्षेत्र की नदियों का धड़ल्ले से अतिक्रमण करने का काम किया जा रहा है। सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष पटवन के प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित रखने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने का काम किया जा रहा है। जिस पर लाखों, करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार के मुलाजिमों के द्वारा ही इसके अस्तित्व को मिटाने का भी काम किया जा रहा है। जो चिंता का विषय है। नदियों के अस्तित्व को मिटाने से सिर्फ सिंचाई की समस्या ही उत्पन्न नहीं होगी बल्कि इसका दुष्प्रभाव प्रकृति पर भी पड़ेगा। किसानों की पीड़ा है कि अंचल कार्यालय से महज पचास से सौ गज की दूरी पर लगातार अतिक्रमणकारियों द्वारा किए जा रहे प्राकृतिक संसाधनों की अतिक्रमण पर स्थानीय अधिकारियों का ध्यान नहीं जा रहा है तो प्रखंड क्षेत्र के दूर दराज के इलाकों में हो रहे अतिक्रमण का क्या होगा। प्रखंड क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हो रहे सरकारी भूमि का अतिक्रमण यहां के अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है। अतिक्रमण से पनपने लगी है पटवन की समस्या प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न नदियों के अतिक्रमण हो जाने के कारण किसानों के समक्ष सिंचाई की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो चुकी है। उनके समक्ष अब सिंचाई का मुख्य संसाधन बोरिंग ही बचा है। पर यह हर तबके के किसानों के लिए संभव नहीं है। बोरिंग करने में किसानों को एक से डेढ़ लाख रुपए की पूंजी की आवश्यकता पड़ जाती है। जो छोटे किस्म के किसानों के लिए असंभव सा प्रतीत हो जाता है। नदियों से किसान अपनी फसलों की पटवन कर फसल तैयार कर लेते थे। इन सारी समस्याओं को देखते हुए प्रखंड के किसानों ने स्थानीय अधिकारियों से प्रखंड क्षेत्र की नदियों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की मांग की है। ताकि किसान अपनी फसलों की पटवन आसानी से कर सकें।

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