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टोला सेवक व शिक्षा स्वयंसेवी अब कहलायेंगे शिक्षा सेवक

राज्य में वंचित वर्ग के बच्चों को तालीम दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले टोला सेवक और तालीमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवी अब एक ही नाम से पुकारे जाएंगे। टोला सेवक अब शिक्षा सेवक तथा तालीमी मरकज के...

हिन्दुस्तान टीम पटनाMon, 20 Aug 2018 06:44 PM
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टोला सेवक व शिक्षा स्वयंसेवी अब कहलायेंगे शिक्षा सेवक

राज्य में वंचित वर्ग के बच्चों को तालीम दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले टोला सेवक और तालीमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवी अब एक ही नाम से पुकारे जाएंगे। टोला सेवक अब शिक्षा सेवक तथा तालीमी मरकज के शिक्षा स्वयंसेवी शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) कहलाएंगे।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने सोमवार को यह बदलाव किया है। नाम बदलने के साथ ही टोला सेवक व शिक्षा स्वयंसेवियों के दायित्व और कार्य को भी विस्तार दिया गया है। प्रधान सचिव आरके महाजन की ओर से सोमवार को जारी अधिसूचना के मुताबिक सरकार ने शिक्षा सेवकों की कार्यावधि भी तय कर दी है। इनकी कार्यावधि सुबह 8 बजे से अपराह्न चार बजे तक होगी। विद्यालय के प्रात:कालीन होने पर उसके अनुसार इनका 8 घंटे का ड्यूटी टाइम होगा। अधिसूचना के मुताबिक सेवाकाल में मृत्यु होने पर शिक्षा सेवकों को अनुग्रह अनुदान के रूप में दिया जाने वाला 4 लाख देने का अधिकार अब जिलों को दे दिया गया है। जिले आश्रित के खाते में मृत्यु के 15 दिन के अंदर राशि भेज देंगे। यह दायित्व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (साक्षरता) का होगा। जिले यह भुगतान महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक अतिपिछड़ा वर्ग अक्षर आंचल योजना के खाते से करेंगे। अभी अनुग्रह अनुदान की स्वीकृति राज्यस्तर से दी जाती थी और इसमें काफी विलंब होता था। 15 से 45 वर्ष तक की महिलाओं को करेंगे साक्षर प्रधान सचिव ने स्पष्ट किया है कि शिक्षा सेवकों को 15 से 35 वर्ष तक की महिलाओं की जगह अब 15 से 45 वर्ष तक की महिलाओं को साक्षर बनाने का जिम्मा निभाना होगा। इसको लेकर मार्गदर्शिका में बदलाव कर दिया गया है। शिक्षा सेवक सामाजिक कार्यकर्ता की भी भूमिका निभाएंगेशिक्षा विभाग ने नए सिरे से शिक्षा सेवकों के कार्य एवं दायित्व तय किये हैं। पहले मोटे तौर पर वंचित व कमजोर वर्ग के बच्चों को विद्यालय से जोड़ना इनका दायित्व था। अधिसूचना के मुताबिक 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को विद्यालय से जोड़ना, उनकी उपस्थिति 75 फीसदी बनाए रखना इनका काम होगा। टोले के बच्चों को इकट्ठे आरंभिक तैयारी कराकर स्कूल ले जायेंगे। चेतना सत्र में आरंभ में दो घंटे स्कूल में रहेंगे। 15 से 45 वर्ष तक की महिलाओं को दोपहर में एक घंटा पढ़ायेंगे। मां को उनके बच्चों की प्रगति की जानकारी देंगे। सरकार की विकास योजनाओं से टोले के लोगों को जोड़ेंगे। उनके लाभ बतायेंगे। स्वास्थ्य, शिक्षा, कल्याण, आपदा आदि विभागों एवं लाभुकों के बीच कड़ी बनेंगे। इस वर्ग के नौजवानों को भी आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेंगे।

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