जलालगढ़ मिश्रीनगर में कालाजार सर्विलांस, 200 परिवार की जांच
-कालाजार का हॉट स्पॉट बना जलालगढ़ मिश्रीनगर, एक साथ मिले तीन केस पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। कालाजार का हॉट स्पॉट बन गया है जलालगढ़ मिश्रीनगर। यह

पूर्णिया, हिन्दुस्तान संवाददाता। कालाजार का हॉट स्पॉट बन गया है जलालगढ़ मिश्रीनगर। यहां पर सर्विलांस कार्यक्रम चलाया गया। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की मलेरिया विभाग की तरफ से तीन टीम सर्विलांस में जुटी। टीम को 260 परिवार का लक्ष्य निर्धारित है। पहले दिन सर्विलांस कार्यक्रम में घर घर अभियान में 200 परिवारों के बीच सर्विलांस किया गया। मलेरिया विभाग के भीडीसीओ रविनन्दन सिंह ने बताया कि जिले में कालाजार को लेकर जलालगढ़ के मिश्रीनगर में एक साथ तीन नए केस मिलने के बाद विभाग ने इसे गंभीरता से लिया है। इसे देखते हुए जलालगढ़ के मिश्रीनगर को हॉट स्पॉट की श्रेणी में रखते हुए यहां सर्विलांस कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
इसके लिए तीन अलग अलग टीम मिश्रीनगर में सर्विलांस में लगी हुई है। इसमें पहले दिन 200 परिवारों के बीच सर्विलांस किया गया। इस जांच के क्रम में सिर्फ एक केस संदिध पाया गया। इन्हें पास के पीएचसी में जांच के लिए भेजा जायेगा। यहां जांच के दौरान यदि कालाजार डिटेक्ट हुआ तो फिर नियमानुकुल उपचार कार्य और प्रोत्साहन का लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि इस अभियान के पीछे विभाग का मकसद है कि कालाजार रोग को उक्त क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोकना है। उन्होंने बताया कि जलालगढ़ का मिश्रीनगर पहले से हॉट स्पॉट में शामिल था। मगर बीच के दिनों में कोई रोगी नहीं था। इधर, एक साथ 3 कालाजार के रोगी मिलने के कारण पुन: हॉट स्पॉट मानते हुए सर्विलांस के काम को आगे बढ़ाया गया। -जिले में कालाजार के 11 मामले की पहचान: -जिले के अंदर कालाजार के अभी तक 11 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें 9 केस भीएल और 2 केस पीकेडीएल है। इस तरह से नए केस में 3 केस सिर्फ जलालगढ़ के मिश्रीनगर में हैं। 3 केस केनगर, 1 बनमनखी और 1 डगरुआ में है। जबकि पुराने 2 रोगी में 1 श्रीनगर और 1 के.नगर शामिल हैं। पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार 20 केस कालाजार के मिले थे। इनमें 8 भीएल और 12 पीकेडीएल के मामले थे। इस प्रकार से वर्ष 2025 में नए केस के मामले बढ़ गए हैं। -कालाजार रोग के लक्षण और इसका उपचार आसानी से संभव: कालाजार बीमारी बालूमक्खी के काटने से होने वाला रोग है। यह नमी एवं अंधेरे वाले स्थान पर कालाजार की मक्खियां ज्यादा फैलती है, लेकिन इससे ग्रसित मरीजों का इलाज आसानी से संभव है। दो सप्ताह से अधिक बुखार, पेट के आकार में वृद्धि, भूख नहीं लगना, उल्टी होना, शारीरिक चमड़ा का रंग काला होना आदि कालाजार बीमारी के लक्षण हैं। ऐसा लक्षण वाले मरीजों को विसरल लीशमैनियासिस वीएल कालाजार की श्रेणी में रखा जाता है। ऐसा लक्षण शरीर में महसूस होने पर ग्रसित मरीज को अविलंब जांच कराना जरूरी होता है। इसका इलाज कराने के बाद भी ग्रसित मरीज को सुरक्षित रहने के आवश्यकता होती है। इसके उपचार में विलंब से हाथ, पैर और पेट की त्वचा काली होने की शिकायतें मिलती हैं जिसे पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस पीकेडीएल कालाजार से ग्रसित मरीज कहा जाता है। मुख्य रूप से पोस्ट कालाजार डरमल लिश्मैनियासिस पीकेडीएल एक त्वचा रोग है जो कालाजार के बाद होता है।
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