कवि सम्मेलन
-कवि सम्मेलन : -‘हंसी के रंग हिंदुस्तान के संग कार्यक्रम में बुधवार की शाम देश के नामचीन कवियों ने ऐसी महफिल सजाई कि घंटों तक पूर्णिया के कलाभवन तालि

हंसी के रंग हिंदुस्तान के संग खूब लगे ठहाके पूर्णिया । हिन्दुस्तान संवाददाता आपके अपने अखबार हिंदुस्तान की ओर से आयोजित ‘हंसी के रंग हिंदुस्तान के संग हास्य कवि सम्मेलन की सुनहरी शाम पूर्णिया के श्रोता प्रेमियों के नाम रहा। कलाभवन के सभागार के सुसज्जित मंच पर हास्य और चुटकुलों के फ़ुहारों के बीच शुरू हुए कवि सम्मेलन में श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाए। जैसे-जैसे सुनहरी शाम रात में बदलती गयी हास्य कविताओं की रसवर्षा भी तेज होती गई। देश के नामचीन हास्य कवियों ने कविताओं की ऐसी महफ़िल सजाई कि श्रोता रात तक कविताओं और चुटकुलों पर गुदगुदाते और ठहाका लगाते रहे।
इस दौरान पूरा वातावरण हंसी ठिठोली से भरा रहा। श्रोता भी पूरी मस्ती में थे। शहर के बीचोबीच कलाभवन के सभागार के मंच पर आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में देश के नामचीन कवियों की कविताओं पर श्रोताओं ने देर शाम तक जमकर ठहाके लगाए और स्वस्थ मनोरंजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ बिहार सरकार की खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री लेशी सिंह, पूर्णिया सदर के विधायक विजय खेमका, प्रदेश सह संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ भाजपा (बिहार) डॉ. संजीव कुमार, शिवम हायर एजुकेशन फाउंडेशन की निदेशिका नूतन गुप्ता, किडजी जॉनी किड्स स्कूल के निदेशक त्रिदीप दास, कैलाश सुशील नर्सिंग इंस्टीच्यूट एंड अजय हॉस्पिटल कंचन भारती, सांसद प्रतिनिधि राजेश यादव, समाजसेवी नंदन वर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। श्रोताओं से मुखातिब मंत्री लेशी सिंह ने कहा कि हिन्दुस्तान अखबार सच्ची और अच्छी खबर पाठकों तक पहुंचाने के साथ माज को साहित्य से भी जोड़ने का काम करता है। इसी कड़ी में आज कलाभवन में ‘हंसी के रंग हिंदुस्तान के संगकार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसमें नामचीन कवि पहुंचे हैं। -------- -कार्यक्रम की शुरुआत कवयित्री अल्पना आनंद ने सरस्वती वंदना से की। हंसी के रंग हिदुस्तान के संग हास्य कवि सम्मेलन के लिए पूर्णिया आई कवयित्री अल्पना आनंद ने बताया कि मुझे बहुत खुशी हो रही है। इस मौके पर मंच का संचालन कर रहे अजय अट्टपट्टू ने सुधि श्रोताओं को देखकर कहा कि मन प्रसन्न हुआ कि कविता को सुनने वाले इतने लोग हैं। जो अपने कवि का इंतजार कर रहे हैं। इंटरटेंनमेंट का रुप ले चुका कविता आज भी सुधि श्रोताओं के दिल में बसा हुआ है। नीलोत्पल ने खूब लूटी सम्मेलन में वाहवाही : कवि नीलोत्पल मृणाल ने कई चर्चित रचनाओं को सुनाकर लोगों को खूब गुदगुदाया। सुनाया ‘स्कूल की दीवारों पर जा दिल बनाने वाले लड़के, पर दिल टूटे तो बिस्तर पर झील बनने वाले लड़के, उसे दौर के जादू क्या जाने रियल बनाने वाले लड़के...। ब से बिहारी ह से हमेशा, र से रंगदार हैं, अरे लिट्टी खाकर मिट्टी कोरे, अरे उर्वरता की कछार है, सारी धरती भैया बोले हम सबके रिश्तेदार हैं। कवि निलोत्पल मृणाल ने अपनी रचनाओं का बखान कर सुधि श्रोताओं को खूब हंसाया। उन्होंने इस कड़ी में अपने कविता भी सुनाए। जिससे श्रोताओं ने खूब आनन्द उठाया। उन्होंने बचपन की कहानी को कविता के माध्यम से श्रोताओं को सुनाया। जिसे श्रोता सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने अपनी बचपन की कविता में सुनाया... हाय कहां गया दिन व सलोना रे..... दिन व सलोना रे... जिन हाथों में थामे रे.. माटी का खिलौना रे....अरे वही मेरा दिन था वहीं मेरा सलोना था। जहां मन जाते थे अरे मन से खाते थे। दिन व सलोना रे। कविता से लोगों को बचपन की यादों में डूबो दिया।
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