Environmental Degradation in Samastipur Urgent Call for Tree Conservation पौधे और पर्यावरणसेवियों को मिले महत्व तो स्वच्छ होगी जिले की हवा, Samastipur Hindi News - Hindustan
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पौधे और पर्यावरणसेवियों को मिले महत्व तो स्वच्छ होगी जिले की हवा

समस्तीपुर में पेड़-पौधों की कमी के कारण प्रदूषण और गर्मी बढ़ रही है। पर्यावरण सेवियों का कहना है कि लोगों का ध्यान इस ओर नहीं है। प्लास्टिक का उपयोग और धुआं छोड़ने वाले वाहनों के कारण स्थिति और बिगड़...

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरMon, 16 June 2025 11:02 PM
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पौधे और पर्यावरणसेवियों को मिले महत्व तो स्वच्छ होगी जिले की हवा

समस्तीपुर। पेड़-पौधों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। लेकिन जिस तरह से अब पेड़ों का संरक्षण नहीं किया जा रहा है। इससे हाल के दिनों में शहर में प्रदूषण बढ़ा है। पेड़ की कमी के कारण अप्रैल महीने से ही भीषण गर्मी की शुरुआत होने लगती है। अभी जून का महीना चल रहा है लेकिन पारा 42 डिग्री तक चला जा रहा है। पृथ्वी के तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है। वैज्ञानिक इसका कारण पर्यावरण की अनदेखी को मानते हैं। यदि समय रहते पेड़-पौधों का संरक्षण नहीं किया गया तो संतुलन बिगड़ जाएगा। समस्याओं पर स्थानीय पर्यावरणसेवियों ने खुलकर अपनी बात रखी।

पर्यावरणसेवी राजेश कुमार सुमन बताते हैं कि लोगों का ध्यान पर्यावरण संरक्षण की ओर नहीं है। इससे परेशानियां बढ़ गई हैं। रंजना कुमारी बताते हैं कि शहर के लगभग सभी गली-मोहल्ले में गुटखा के प्लास्टिक पाउच, काले रंग की प्लास्टिक पॉलिथीन सहित अन्य कई प्रकार की वस्तुएं फेंकी जा रही हैं, जो पर्यावरण के लिए खतरनाक है। आजकल भले ही ई-रिक्शा का जमाना आ गया है लेकिन अभी भी कई धुआं फेंकने वाले बड़े छोटे वाहनों का परिचालन तेजी से किया जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण केंद्रों की सक्रियता भी आवश्यक है। नियमावली की बात करें तो प्लास्टिक के उपयोग पर सरकार के द्वारा पहले से ही बैन लगाया गया है लेकिन इस नियमावली का बेतिया शहर में धड़ल्ले से अवहेलना की जा रही है। कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। सपना कुमारी बताती हैं कि शहर से निकलने वाले कूड़े में भी प्लास्टिक का हिस्सा अधिक होता है। सरकारी आयोजनों में पौधे बांटना बेहतर पहल है लेकिन लगाए गए पौधे के जीवन के प्रति कोई गंभीर नहीं रहते, जिससे ज्यादातर पौधे सूख जाते हैं। पर्यावरण की सुरक्षा करना चाहते हैं वे हाशिए पर हैं और उन्हें कोई मदद नहीं मिलती है। राजेश कुमार सुमन ने बताया कि पर्यावरण सेवा के लिए लोगों का सहयोग मिलना बहुत कठिन है। कार्यक्रमों के अवसर पर अथवा आयोजनों के समय लोग पर्यावरण सुरक्षा को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं समर्पण की भावना दिखाते हैं लेकिन असल जिंदगी में ठीक विपरीत काम होता है। पर्यावरण की अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा करने वाली कई प्रियंका कुमारी ने बताया कि हम लोग अपने-अपने घर की छतों पर तरह-तरह के गमले में पौधे लगाकर पर्यावरण सुरक्षा का कार्य कर सकते हैं। सरकार को सबसे पहले उन पौधों का आंकड़ा तैयार करना चाहिए जिनको किसी आयोजन पर लगाया गया था। यह पता करना चाहिए कि उनमें से कितने जीवित हैं और कितने मर चुके हैं। इससे लगाए गए जीवित पौधों का सही आंकड़ा पता चल जाएगा और हम अपने लक्ष्य को दोबारा पूरी करने की कोशिश करेंगे। पर्यावरण सुरक्षा में लगे लोगों ने यह भी बताया जो लोग पर्यावरण सुरक्षा के काम में लगे हैं उनको सरकार के द्वारा प्रोत्साहन मिलना चाहिए, ताकि इस काम को करने में उनकी रुचि बनी रहे। ग्लोबल वार्मिंग के ग्राफ इतने डरावने है कि आने वाली पीढ़ी की सुरक्षा के लिए अभी से कदम उठाना होगा। 

धरती को हरा-भरा बनाने को लोगों को कर रहे जागरूक 

मोहिउद्दीननगर के सुजीत भगत और विभूतिपुर के कन्हैया कुमार भी पर्यावरण संरक्षण और सामुदायिक जागरूकता को लेकर काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार को पर्यावरणसेवियों की मदद करनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक पर्यावरण मित्रों की संख्या बढ़ सके। उनके अभियान के कारण जिले के गांवों कस्बों तक हरियाली फैली है। मिशन का मकसद सरल लेकिन प्रबल है। धरती को हरा-भरा रखना और हर परिवार के पास कम से कम एक पेड़ की सौगात पहुंचाने के संकल्प लिया है।

 शिकायतें

1. पौधारोपण के बाद उनके जीवित रहने के बारे में मॉनिटरिंग नहीं की जाती है। इससे पौधों का पता नहीं चलता है।

 2. पाबंदी के बावजूद अभी भी समसतीपुर शहर के सभी पान की दुकानों पर गुटके की बिक्री हो रही है। 

3. धुआं छोड़ने वाले पुराने दोपहिया व चारपहिया वाहन अभी भी शहर में चलाए जा रहे हैं। इससे परेशानी होती है।

 4. पर्यावरण सुरक्षा का कार्य करने वाले लोगों को प्रशासन प्रोत्साहन नहीं देता।

 5. रोक लगाए जाने के बावजूद सरेआम प्लास्टिक का उपयोग किया जा रहा है।

 6. प्लास्टिक कूड़े का निस्तारण ठीक से नहीं होता है।

 सुझाव

 1. नगर निगम व स्थानीय प्रशासन को पौधों का संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। \

2. लोगों को भी अपने आसपास के पौधों की रक्षा करनी चाहिए।

3. विकास के नाम पर पेड़ों की कटाई बंद होनी चाहिए। 

4. बेहतर काम करने वालों को सम्मानित किया जाए इससे अन्य को भी प्रेरणा मिलेगी 

5. घर बनाते समय ग्रीन एरिया का भी प्रावधान हो पेड़ों के साथ पशु-पक्षियों की सुरक्षा एवं उनके भोजन के लिए भी प्रयास हो।

 6. पर्यावरण व धरती की सुरक्षा स्वच्छता और सुंदरता के साथ हरियाली बनाए रखना हम सब की जिम्मेदारी है, लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाए।

 बोले जिम्मेदार

 ईको सिस्टम की सेहत पेड़-पौधों पर ही टिकी है। सरकार की जल-जीवन-हरियाली योजना के माध्यम से पौधरोपण जारी है। मुख्य सड़कों के किनारे-किनारे के अलावे नदियों-तालाबों के किनारे भी अधिक से अधिक पौधे लगाये जा रहे हैं। इसकी देखभाल को लेकर भी कर्मी नियुक्त हैं। पौधरोपण अभियान से जुड़े लोगों को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। -राजेश कुमार सिंह, प्रभारी नगर आयुक्त, नगर निगम समस्तीपुर

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