Furniture Business in Samastipur Faces Challenges from Online Shopping and Rising Costs प्रशिक्षण और सस्ती दर पर लोन िमले तो फिर चमकेगा कारोबार, Samastipur Hindi News - Hindustan
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प्रशिक्षण और सस्ती दर पर लोन िमले तो फिर चमकेगा कारोबार

और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी कराए, जिससे यह व्यापार एक बार फिर से चमक उठे। प्रशासन को सस्ती दर पर लोन भी उपलब्ध कराना चाहिए।घर, ऑफिस और दफ्तरों की श

Newswrap हिन्दुस्तान, समस्तीपुरWed, 16 April 2025 05:57 PM
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प्रशिक्षण और सस्ती दर पर लोन िमले तो फिर चमकेगा कारोबार

समस्तीपुर। समस्तीपुर में हजारों लोग फर्नीचर बनाने का कारोबार करते हैं। इनमें अधिक संख्या विश्वकर्मा समाज के लोगों की है। इन कारोबारियों ने अपनी समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि ऑनलाइन कारोबार ने हमारे कारोबार को 40 प्रतिशत तक कम कर दिया है। लकड़ी भी महंगी हो गई है और आसानी से मिलती भी नहीं है। प्लाईवुड के आने से गुणवत्ता भी घटी है। लोग सस्ता फर्नीचर खोजते हैं। जिला प्रशासन हम लोगों को बाजार उपलब्ध कराए और प्रशिक्षण की व्यवस्था भी कराए, जिससे यह व्यापार एक बार फिर से चमक उठे। प्रशासन को सस्ती दर पर लोन भी उपलब्ध कराना चाहिए। घर, ऑफिस और दफ्तरों की शोभा बढ़ाने के लिए एक दौर में लकड़ी के सामान का प्रयोग होता था, लेकिन बदलते दौर में रेडीमेड तरीके से यह सामान बनाया जाने लगा। ऐसे में बड़ी कंपनियों की दखल और प्लाईवुड का बढ़ता चलन फर्नीचर कारोबारियों के सामने एक बड़ी चुनौती बन गई है। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान से फर्नीचर कारोबारियों ने अपनी पीड़ा साझा की। सभी ने एक सुर में कहा कि लकड़ी कटान में नियमों की जटिलता, बढ़ती बिजली दर के साथ एल्युमीनियम और प्लास्टिक का बढ़ता प्रचलन व्यापार को प्रभावित कर रहा है। बड़ी-बड़ी कंपनियां गुणवत्ताविहीन मैटेरियल प्रयोग कर शानदार फिनिशिंग के साथ अपने उत्पाद बेच रही हैं। जो देखने में तो अच्छा लगता है, लेकिन उनकी गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है।

पहले घर की शोभा बढ़ाने के लिए लकड़ी की कुर्सी, सोफा, टेबल और अलमीरा का प्रयोग किया जाता था। अब लोग एल्युमीनियम, प्लास्टिक और फाइबर के उत्पादों को तरजीह दें रहे हैं। एल्युमीनियम और प्लास्टिक के रेडीमेड उत्पादों ने लकड़ी से बनी कुर्सी, बेड और अलमीरा को किनारे कर दिया।

फर्नीचर दुकानदार निखिल बताते हैं कि 90 के दशक तक लोग लकड़ी के सामान पर काफी खर्च करते थे। अच्छी नक्काशी और मजबूती के लिए शीशम, आम, चीड़ और सागौन की लकड़ी का प्रयोग कराना लोगों को पसंद था, क्योंकि यह लकड़ी बेहद मजबूत और टिकाऊ रहती है, लेकिन, आज के दौर में लकड़ी का काम काफी कम हो गया है। अब आसानी से लकड़ी मिलती भी नहीं है। कच्चा माल आरा मशीनों तक न पहुंचने से काम में कमी आई है।

फर्नीचर कारोबारी संजय शर्मा ने बताया कि अब लोग अपने घरों को सजाने के लिए महंगे से महंगे वुडेन उत्पाद को खरीदने में झिझकते नहीं हैं। बड़े-बड़े शोरूम और मॉल में ये उत्पाद बिकने लगे हैं। लकड़ी की गुणवत्ता की बजाय बड़ी कंपनियों का जोर चमक-दमक और फिनिशिंग पर होता है।

ग्राहक भी इन्हें ही खरीदने में दिलचस्पी दिखाते हैं। ये उत्पाद आर्ट बोर्ड के बने होते हैं। लोगों को इसका पछतावा कुछ समय बाद होता है, लेकिन खामियाजा हम जैसे कारोबारी भुगत रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुछ दशक पहले तक ऑनलाइन शॉपिंग और बड़े-बड़े शोरूम में फर्नीचर का मैटेरियल नहीं बिकता था। अब ऑनलाइन फैक्ट्रियां बड़े पैमाने पर व्यापार करती हैं और सीधे होम डिलीवरी करती हैं। इसका सीधा असर आम दुकानदारों पर पड़ा है। स्थानीय स्तर पर प्रशासन की उपेक्षा का शिकार फर्नीचर कारोबारी हो रहे हैं। वहीं मशीनी युग में फर्नीचर बनाने के लिए कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी खरीदने होते हैं।

इमारती लकड़ियां गैर प्रांतों से आने के कारण महंगी हो गई हैं। आम और शीशम तो कमोवेश जिले में उपलब्ध हो जाता है, लेकिन अन्य लकड़ियां दूसरी जगहों से ही आती हैं। महंगाई के दौर में कारीगरी भी बढ़ गई है। ऐसे में लकड़ी से बने फर्नीचर की कीमत भी मनमाफिक नहीं मिलती है। कृष्ण कुमार शर्मा के मुताबिक अधिकांश कारोबारी बैंकों से लोन लेकर धंधा करते हैं। बाजार मंदा होने के कारण लोन की भरपाई भी मुश्किल हो जाती है।

बोले-जिम्मेदार

सीएम युवा स्वरोजगार योजना के तहत 25 लाख तक का लोन ले सकते हैं। इसमें सब्सिडी भी मिलती है। युवी उद्यमी अभियान के तहत 5 लाख तक का लोन मिलता है। यह लोन ब्याज मुक्त है। इसके लिए अलावा किसी फर्नीचर कारोबारी को अन्य को जानकारी चाहिए तो वह कार्यालय में आकर संपर्क कर सकता है।

- विवेक कुमार, जिला प्रबंधक, उद्योग विभाग, समस्तीपुर

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