रक्तदाताओं का बने राष्ट्रीय पहचान पत्र, प्रोत्साहन के लिए मिले सुविधाएं
समस्तीपुर शहर में रक्तदान करने वालों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन भ्रांतियों के कारण खून की कमी बनी हुई है। शहर में दो ब्लड बैंक और 12 समितियां हैं, लेकिन केवल 4-6 समितियां ही सक्रिय हैं। रक्तदान के...
रक्तदाता आज के युग के महादानी हैं। वे जरूरतमंदों को खून देकर नया जीवन दे रहे हैं। समय के साथ शहर में रक्तदान करने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। आज शहर में आधा दर्जन से अधिक संस्थाएं रक्तदान को लेकर कार्य कर रही हैं। हालांकि, लोगों के मन में व्याप्त भ्रांतियां रक्तदान में बाधक बन रही हैं, इसलिए जरूरत पड़ने पर लोगों को खून के लिए भटकना पड़ता है। रक्तदान करने वाले महादानियों ने इससे जुड़ी समस्याओं को साझा किया। इस पर सभी ने अपनी-अपनी समस्याओं को रखा। शहर में खून की जरूरतों को पूरा करने के लिए दो ब्लड बैंक हैं।
एक दर्जन से अधिक समितियां हैं, जो रक्तदान शिविर का आयोजन करती रहतीं हैं। हालांकि, इनमें 4-6 समितियां ही नियमित सक्रिय रहती हैं। रक्तदान के सरकारी शिविरों का आयोजन यदा-कदा ही होता है। ग्रामीण रक्तदान संघ चलाने वाले कृष्णा कुमार ने बताया कि नवंबर महीने से सेपरेटर मशीन आकर रखी हुई है। कार्टन में पैक होकर यह बस शोभा की बस्तु बनी हुई है। करीब 40 लाख की इस मशीन को को एसबीआई ने दान दिया था। ब्लड सेपरेटर मशीन एक ऐसी डिवाइस है जो रक्त को उसके अलग-अलग घटकों में अलग करने के लिए उपयोग की जाती है। यह मशीन रक्त के विभिन्न तत्वों को अलग करने के लिए सेंट्रीफ्यूगेशन का उपयोग करती है, जैसे कि प्लेटलेट्स, प्लाज्मा, लाल रक्त कोशिकाएं और श्वेत रक्त कोशिकाएं। एक यूनिट रक्त से प्राप्त इन घटकों को अलग-अलग मरीजों की आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग दिया जा सकता है। लेकिन मशीन के चालू नहीं होने से एक यूनिट पूरा रक्त देना पड़ता है। रेडक्रॉस या ब्लड बैंक के द्वारा लोगों को रक्तदान के लिये जागरूक करने को लेकर नुक्कड़ धाटक व जागरूकता अभियान चलाना चाहिए। समस्तीपुर शहर की इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद साल भर में एक प्रतिशत लोग भी रक्तदान नहीं करते हैं। वहीं विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि जिन लोगों को रक्त की जरूरत नहीं पड़ती है, उन लोगों को भी इसके बारे में पता चले। कई बार लोग रक्त लेते हैं लेकिन इसके बदले कोई भी एक यूनिट रक्त देना होता है यह जानकारी नहीं हो पाती है। रक्त किसी भी सरकारी संस्था यथा ब्लड बैंक और रेडक्रॉस से ही लेना चाहिए। यह बिलकुल मुफ्त है। हालांकि सरकारी कोष में 500 रुपये भी जमा करने होते हैं। जिसकी रसीद भी मिलती है। कभी-कभी निजी अस्पताल व नर्सिंग होम लोगों को बेवकूफ बना 5 से 6 हजार रुपये में रक्त उपलब्ध करवा देते हैं, जो बल्किुल ही गैर कानूनी है। वह रक्त भी बिना जांच के ही गरीब मरीजों को शोषण कर चढ़ा दिया जाता है। वहीं सतीश कुमार ने बताया कि जब भी जनप्रतिनिधि लोग संगठन से सहयोग के तौर पर रक्त मांगते हैं तो हमलोग उपलब्ध करवा देते हैं, लेकिन जब कैंप में रक्तदान के लिये बुलाया जाता है तो फोन तक नहीं उठाते हैं। वहीं अंशु कुमार ने बताया कि दशकों से रेडक्रॉस का चुनाव नहीं हुआ है। पिछले साल ही चुनाव के नाम पर हजारों सदस्यों को जोड़ा गया था।
-बोले जिम्मेदार-
रक्तदान को लेकर लोगों को जागरूक करने का निर्देश स्वास्थ्य विभाग को दिया गया है। वहीं समय-समय पर अभियान चलाया भी जाता है। इस अभियान को अब और तेज गति से चलाया जाएगा। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग जागरूक होकर रक्तदान करें। आज शहरवासी अपने-अपने जन्मदिन पर रक्तदान कर रहे हैं यह अच्छी पहल है। रेडक्रॉस में सेपरेटर मशीन क्यों चालू नहीं है जानकारी ले रहा हूं। -रोशन कुशवाहा, डीएम
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