बाइक मैकेनिकों को चाहिए स्थाई ठिकाना और हेल्थ बीमा का लाभ
समस्तीपुर में बाइक मैकेनिकों की समस्याएं गंभीर हैं। उनके पास काम करने के लिए स्थायी ठिकाना नहीं है, और महंगे स्पेयर पार्ट्स के कारण उनकी आमदनी प्रभावित हो रही है। मौसम की मार झेलते हुए, वे खुले में...
समस्तीपुर। बाइक मैकेनिकों की समस्याएं गंभीर है। शहर में हजारों बाइक मैकेनिकों को के पास काम करने के लिए ढंग की जगह भी नहीं है। ये लोग दुकानों के बाहर ही खुले में काम करने को विवश हैं। शहर के हर मार्ग पर ऐसे ही मैकेनिकों को काम करते देखा जा सकता है। मैकेनिकों की सबसे बड़ी समस्या स्थायी ठिकाना न होना और महंगे पार्ट्स की है। हर मौसम में इन लोगों को खुले में काम करना पड़ता है। ऐसे में उनके पास बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं भी नहीं हैं। जिससे संकट के समय में उन्हें इलाज के लिए कर्ज लेना पड़ता है। उन्हें सरकार से मदद की उम्मीद है। शहर के बाइक मैकेनिक कई समस्याएं झेल रहे हैं। इनमें से अधिकतर मैकेनिकों के पास शहर में स्थाई ठिकाना नहीं है। ये लोग दुकानों के बाहर ही खुले में काम करने को विवश हैं। शहर के हर मार्ग पर ऐसे ही मैकेनिकों की संख्या काफी है। मैकेनिकों की सबसे बड़ी समस्या स्थायी ठिकाना न होना और महंगे पार्ट्स की है। बाइक आम आदमी की जरूरत बन चुकी हैं। इन वाहनों की सेवा और मरम्मत का काम करने वाले टू-व्हीलर मैकेनिक अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि मोटर मैकेनिकों के पास स्थायी ठिकाना न होना और महंगे पार्ट्स की समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनकी समस्याओं को समझना और उनके समाधान की दिशा में कदम उठाना बेहद जरूरी है। समस्तीपुर में अधिकतर लोगों के पास कम से कम एक बाइक जरूर है। बाइक की मरम्मत करने वाले मैकेनिक भी सड़क किनारे मरम्मत करते मिल जाएंगे। समस्तीपुर जिले में हजारों मैकेनिक हैं जो अस्थायी रूप से चौराहों अथवा दुकानों पर बाइक मरम्मत करते देखे जा सकते हैं। सर्दी, गर्मी, बरसात जैसा भी मौसम हो, मैकेनिक अपने काम में जुटे रहते हैं। बदलते समय के साथ तकनीक बदल रही है, जो मैकेनिकों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है। साथ ही महंगे होते ऑटो पार्ट्स ने भी इनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। संघर्षपूर्ण जीवन जीने वाले मैकेनिक सरकार से मदद की आस लगा रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार उनको सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराए, जिससे वो भी आधुनिक वर्कशॉप बनाकर अपना भविष्य सुधार सकें।
अयुष्मान की मिले सुविधा : मौसम की मार झेलने वाले मैकेनिकों की मांग है कि सरकार आयुष्मान कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराए, जिससे मंहगे होते इलाज से राहत मिल सके। आधुनिक प्रशिक्षण और स्थायी ठिकाने की मांग भी की जा रही है। सरकार आधुनिक प्रशिक्षण दे और स्थायी ठिकाना बनाकर दे तो बड़े अपना गैराज खोलने की सुविधा होगी। इससे बेरोजगारी की समस्या में भी राहत मिलेगी। बाजार में बाइक के स्पेयर पार्ट्स की कीमत लगातार बढ़ रही है। असली पार्ट्स आम ग्राहकों की पहुंच से बाहर होते जा रहे हैं। मैकेनिक जब ग्राहक को सही पार्ट्स दिलाने की कोशिश करता है, तो उसे घाटा उठाना पड़ता है। इससे न केवल ग्राहक असंतुष्ट होता है बल्कि मैकेनिक की आमदनी भी प्रभावित होती है। कई मैकेनिक फुटपाथ, गली-नुक्कड़ों या सड़क किनारे काम करते हैं। उनके पास न तो पक्की दुकान होती है, न बिजली-पानी की सुविधा। बरसात या गर्मी के मौसम में काम करना बेहद मुश्किल हो जाता है। उन्हें स्थानीय प्रशासन द्वारा बार-बार हटाया भी जाता है। उनकी मांग है कि उनके लिए कोई स्थायी ठिकाना उपलब्ध कराया जाए, जिससे उन्हें बार-बार ठिकाना ना बदलना पड़े।
मेहनत अधिक आमदनी कम : बाइक मैकेनिक का काम बेहद मेहनत भरा होता है, लेकिन इसके बावजूद उनकी मासिक आमदनी बहुत सीमित होती है। अधिकतर मैकेनिक दिन भर काम करके बमुश्किल दस से 15 हजार रुपये कमा पाते हैं। यह रकम परिवार चलाने और बच्चों की पढ़ाई, इलाज जैसे जरूरी खर्चों के लिए अपर्याप्त है। सरकार समय-समय पर स्वरोजगार और कौशल विकास की कई योजनाएं लाती है, लेकिन ज़्यादातर मैकेनिक इन योजनाओं से अनजान होते हैं। न तो उन्हें जानकारी मिलती है और न ही कोई प्रशिक्षण या सुविधा।
बाइक मैकेनिकों के लिए सरकार की ओर से ई-श्रम कार्ड और श्रमयोगी मानधन योजना चलाई जा रही है। श्रमिक योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर योजनाओं का लाभ ले सकते हैं। अन्य कोई
समस्या होने पर मैकेनिक श्रम विभाग के कार्यालय आकर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
-संजय कुमार श्रम प्रवर्तन अधिकारी, समस्तीपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।