राष्ट्रीय स्तर पर पदक दिलाने वाली महिला फुटबॉलरों को चाहिए सुविधाएं और प्रशिक्षण
समस्तीपुर जिले की महिला फुटबॉल खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा से सूबे का नाम रोशन किया है, लेकिन उन्हें बेहतर मैदान और कोचिंग की कमी का सामना करना पड़ रहा है। पटेल मैदान की खराब स्थिति और आवश्यक सुविधाओं...
जिले की महिला फुटबॉलरों ने अपनी प्रतिभा से सूबे का नाम रोशन किया है। इनका कहना है कि बेहतर माहौल और अलग मैदान मिले तो ढेर सारा पुस्कार और सम्मान अर्जित कर सकती हैं। इनकी मुख्य समस्या बेहतर मैदान और कोचिंग नहीं मिलना है। शहर का एकमात्र पटेल मैदान खेलने लायक नहीं रहा है। मैदान पर हरी घास कहीं नहीं दिखाई देती है। लड़कियां मैदान में अभ्यास के लिए उतरती हैं तो वहां पहले से दौड़ लगा रहे लड़कों के कारण असहज हो जाती हैं। पटेल मैदान स्टेडियम में चेंजिंग रूम तक नहीं है। इससे इन्हें जर्सी बदलने में परेशानी होती है।
स्टेडियम के शौचालय में भी ताला जड़ दिया गया है। जिले के फुटबॉलर हर साल मेडल लाते हैं। पिछले दो-तीन वर्षों में समस्तीपुर जिला मुख्यालय के साथ-साथ दलसिंहसराय, रोसड़ा व पटोरी अनुमंडल की महिला फुटबॉलर ने भी राष्ट्रीय स्तर प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में महिला खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। समस्तीपुर शहर के पटेल मैदान स्टेडियम में प्रैक्टिस के दौरान लड़के दौड़ का अभ्यास करते हैं। इससे महिला खिलाड़ियों के लिए असहज स्थिति उत्पन्न हो जाती है। रोजाना दर्जनों की संख्या में लड़कियां फुटबॉल प्रैक्टिस करने के लिए पटेल मैदान में जाती हैं। यहां उनके लिए सुविधाओं की कमी है। लड़कियों का कहना है कि उनके लिए अलग से मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए। पटेल मैदान में चेंजिंग रूम तक की भी व्यवस्था नहीं है, जिस कारण महिला खिलाड़ी असहज महसूस करती हैं। शहर का एकमात्र पटेल मैदान स्टेडियम जर्जर हो चुका है। मैदान में घास की जगह कंकड़-पत्थर और धूल भरी मिट्टी है। इससे खेलने में परेशानी होती है। मैदान की भूमि मुलायम नहीं हो पाती है यहां पर कभी भी पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है। इसके बावजूद यही पसीना बहाकर जिले की कई महिला फुटबॉलरों ने जिले के साथ राज्य का नाम रोशन किया। कई खिलाड़ियों ने तो स्टेट लेवल प्रतियोगिता में परचम लहराया है तो कुछ खिलाड़ियों ने विश्वविद्यालय स्तर से राज्य की टीम का प्रतिनिधित्व किया है। फुटबॉल खिलाड़ी पूजा कुमारी बताती हैं कि खिलाड़ी यहां बेहतर हैं, लेकिन उन्हें सुविधा बेहतर नहीं मिल पाती है। इससे वह राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर नहीं कर पा रहे हैं। खिलाड़ी जिला से राज्यस्तर तक पहुंचते हैं। लेकिन इससे आगे वह नहीं पढ़ पा रही हैं। इन खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले कोच राजा गांधी ने बताया कि यहां की स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। खासकर लड़कियों के लिए असहज स्थिति हो जाती है। कई लड़के लाउडस्पीकर पर अश्लील गाने बजाते हैं। इन्हें कोई रोक नहीं पाता है। इससे लड़कियों का खेल पर ध्यान एकाग्रचित नहीं हो पाता है वह तनाव में रहती हैं। यही नहीं मैदान में चेंजिंग रूम भी नहीं है जिस कारण महिला खिलाड़ियों को जर्सी चेंज करने में काफी परेशानी होती है। स्टेडियम में पीने के पानी की बेहतर सुविधा नहीं है। पीने के पानी तक का संकट : पीने के पानी के लिए एक चापाकल उपलब्ध है। यहां पानी पीने के लिए लाइन में लगना पड़ता है। चापाकल के पानी से दुर्गंध आती है। मजबूरी में वही पानी पीना पड़ता है या फिर पानी खरीदना होता है। यहां के शौचालय में ताला जड़ दिया गया है। इससे खिलाड़ियों को शौचालय की सुविधा नहीं मिल पा रही है। इससे अधिक परेशानी होती है। खिलाड़ियों के लिए यहां रात में खेलने की कोई सुविधा नहीं है। जब तक खिलाड़ी अभ्यास नहीं करेंगी बेहतर परिणाम नहीं ला सकेंगी। खिलाड़ियों का कहना है कि स्टेडियम में फ्लड लाइट की व्यवस्था होनी चाहिए। पहले से भी जो लाइट लगी है वह भी बेहतर रख-रखाव के बिना खराब हो रही है। बोले-जिम्मेदार पंचायत स्तर पर स्पोर्ट्स क्लब का गठन किया जा रहा है। यह सरकार की एक अच्छी पहल है। इससे महिला फुटबाॅल खिलाड़ियों को भी फायदा होगा। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों की लड़की को स्पोर्ट्स क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिये यह मील का पत्थर साबित होगा। पटेल मैदान के जीर्णोद्धार के लिए प्लानिंग की जा रही है। खेल विभाग इसके लिये तत्पर है। जल्द ही खिलाड़ियों को सभी सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएगी। -आकाश, जिला खेल पदाधिकारी, समस्तीपुर
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।