डॉक्टर को शोकॉज, नर्स होगी डिसमिस; जिंदा बच्चे को मरा बताने पर मंगल पांडे का विभाग एक्शन में
- सिविल सर्जन ने कहा है कि दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं जीएनएम राधिका कुमारी को निलंबन व चयनमुक्त करने के लिए निदेशक प्रमुख नर्सिंग को पत्र भेजा गया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार से स्पष्टीकरण की मांग की गई है।
बिहार सरकार राज्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवा का दावा करती है। नीतीश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे कार्यक्रमों में डाटा पेश कर स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी की बात करते नहीं थकते। लेकिन हैरान करने वाली लापरवाहियों की खबरें आती रहती हैं। ताजा मामला पश्चिम चंपारण से है जहां एक जीवित बच्चे को मृत बता दिया गया। लौरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में जन्म लिए जीवित नवजात को मृत बताने के मामले की जांच में ड्यूटी पर तैनात आयुष चिकित्सक डॉ. अफरोज आलम तथा जीएनएम राधिका कुमारी फंस गयी है। सिविल सर्जन डॉ. विजय कुमार ने बताया कि लौरिया सीएचसी में कार्यरत आयुष चिकित्सक अफरोज आलम पर कार्रवाई के लिए डीएम दिनेश कुमार राय को पत्र भेजा गया है।
सिविल सर्जन ने कहा है कि दोनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। वहीं जीएनएम राधिका कुमारी को निलंबन व चयनमुक्त करने के लिए निदेशक प्रमुख नर्सिंग को पत्र भेजा गया है। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार भी उस दिन बगैर छुट्टी गायब थे। उनसे स्पष्टीकरण की मांग की गई है।
मामला यह है कि बगहा एक के बसवरिया निवासी शिव बैठा उर्फ बहादुर बैठा की पत्नी ज्योति कुमारी को सीएचसी में डिलेवरी के लिए लाया गया था। 24 मार्च को बेटे का जन्म हुआ। नवजात शिशु में हलचल न देखकर जीएनएम व आयुष चिकित्सक ने बच्चे को मृत घोषित कर दिया था। अखबार में खबर प्रकाशित होने पर सिविल सर्जन ने अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. रमेश चन्द्रा, गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मुर्तूजा अंसारी तथा जिला स्वास्थ्य समिति के चिकित्सक डॉ. आरस मुन्ना की टीम को जांच के लिए भेजा था। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है।
समिति ने दिया अस्पताल में सुधार को कदम उठाने का निर्देश
जिला स्तरीय जांच टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में अखबार में प्रकाशित खबर को सही ठहराते हुए कई बिन्दुओं पर अपना मंतव्य दिया है। बताया गया है कि सीएचसी में पंजीयन करने वाले कर्मी को प्रशिक्षण देने की आवश्यकता है। एक चिकित्सक व जीएनएम के द्वारा यह नहीं समझ पाना की एक नवजात शिशु जीवित है या मृत यह इस बात को दर्शाता है कि उनके मूलभूत प्रशिक्षण को अपग्रेड करने की आवश्यकता है। टीम ने चिकित्सक अफरोज आलम पर कर्तव्यहीनता व कार्य उदासीनता के मामले को सही पाया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चे के संबंध में गलत आकलन करते हुए गलत प्रतिवेदन संधारित किया और बच्चे को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। बच्चे को इमरजेंसी स्थिति में छोड़कर वे चले गए। रेफरल अस्पताल में ऐसी बातें दुबारा न हो इसके लिए वहां के सभी चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों को प्रशिक्षण देने के लिए एनसीडीओ डॉ. मुर्तूजा अंसारी को सीएस ने नोडल पदाधिकारी बनाया है।