दरौली: बाढ़ पूर्व तैयारियों से तटवर्ती इलाकों के लोग नाखुश
गुठनी, दरौली और रघुनाथपुर में हर साल बाढ़ से किसानों को भारी नुकसान होता है। बाढ़ पूर्व तैयारियों में जल संसाधन विभाग ने कटाव निरोधी कार्य किए हैं, लेकिन तटवर्ती इलाकों के लोग इससे नाखुश हैं। कटाव से...

गुठनी, एक संवाददाता। दरौली,गुठनी, रघुनाथपुर सिसवन प्रखण्ड मुख्यालय में हर साल आने वाले बाढ़ से जहां काफी नुकसान होता है। वही कटाव से खेती योग्य भूमि भी जलमग्न हो जाती है। सबसे बड़ी समस्या किसानों के सामने तब होती है। जब बाढ़ का पानी निचले इलाकों में घुस जाता है। जिससे दरौली, गुठनी, रघुनाथपुर, सिसवन प्रखण्ड के करीब चार सौ एकड़ से अधिक क्षेत्रों में लगी फसल पूरी तरह सड़ गल जाती है। हालांकि इस साल कटाव निरोधी कार्य और बाढ़ पूर्व तैयारियों को लेकर जहां जल संसाधन विभाग पूरी तैयारी में है। वही तटवर्ती इलाकों के लोग इस तैयारी से काफी नाखुश हैं।
उनका कहना है कि निचले इलाकों में होने वाले जलजमाव को रोकने, कटाव स्थलों को चिन्हित करने, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक कार्य करने, रिंग बांध बनाने, स्लुइस गेट लगाने की मांग किया। जेई मदन मोहन ने कहा कि जिस जगहों पर रेंकट्स और कटाव की संभावना है। वहां पर विभाग द्वारा कार्य किया गया है। हम लगातार गोगरा तटबंध और आसपास के इलाकों में जांच कर रहे हैं। मैरीटार में 70 मीटर और केवटलिया में 300 मीटर का हुआ जीरो टेकिंग काम बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर जहां जल संसाधन विभाग सजग दिख रहा है। वहीं गोगरा तटबंध के सटे इलाकों में कटाव से निजात पाने के लिए भी विभाग तैयारियों में जुटा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार बाढ़ पूर्व तैयारी में अब तक करीब 98 लख रुपए से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। जिनमें मैरीटार गांव में 70 मीटर और केवटलिया गांव के समीप 300 मीटर कटाव निरोधी कार्य किया गया है। जेई मदन मोहन ने बताया कि मैरीटार गांव के समीप जिओ बैग पिचिंग का कार्य 70 मी कराया गया है। वहीं केवटलिया गांव के समीप 300 मीटर का कार्य कराया गया है। दोनों जगहों को मिलाकर करीब 98 लाख रुपए विभागीय खर्च किए गए हैं। उनका कहना था कि इस कटावनी विरोधी कार्य से बाढ़ के समय बांधों को सुरक्षित किया जा सकेगा। वहीं किसी भी तरह कटाव होने पर इसे सहयोग भी मिलेगा। कटाव से तटवर्ती इलाकों के घरों पर मंडराता है खतरा सरयू नदी किनारे बसे करीब 24 से अधिक गांव पर हर साल बाढ़ का खतरा मंडराता रहता है। वही सरयू नदी में तेज कटाव और जल जमाव से जहां 500 से अधिक घरों पर कटाव का खतरा बना रहता है। वहीं 50 हजार से अधिक लोग हर साल बाढ़ से प्रभावित होते हैं। यही नहीं बाढ़ में हर साल करीब 1000 हेक्टेयर से अधिक भूमि जमीनदोज हो जाती है। जिसका खामियाजा नदी किनारे बसे गांव के लोगों को हर साल भुगतना पड़ता है। बावजूद जल संसाधन विभाग और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस विभिसका के तरफ नहीं जाता। क्या कहते है कार्यपालक पदाधिकारी ====================== कार्यपालक पदाधिकारी मदन चंद्र चौधरी का कहना है कि जहां भी कटाव निरोधी कार्य किया गया है। उसकी गहनता से जांच पड़ताल की गई है। गोगरा तटबंध पर भी हमारी टीम काम कर रही है। इन्फो ===== गोगरा तटबंध 5.56 किलोमीटर है लंबा सरयू नदी किनारे 4 प्रखंड के 200 गांव है बसे
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