नीतीश सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, बिहार में पुल हादसों पर क्या बोली अदालत
बिहार में धड़ाधड़ पुल गिरने की घटनाओं पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाई है। साथ ही पटना हाई कोर्ट को इस मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई का आदेश दिया है।

बिहार में पिछले साल हुए पुल हादसों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को कहा कि पुल ढहने की घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने जिन अफसरों को निलंबित किया, हंगामा शांत होने के बाद उन्हें वापस बहाल कर दिया गया। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में पुल गिरने की घटनाओं का कोई कारण ही नहीं बताया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने बिहार में हुए पुल हादसों पर दायर जनहित याचिका को पटना हाई कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिहार सरकार ने पुल ढहने की घटना के बाद कुछ अधिकारियों को निलंबित किया था। इस घटना पर हंगामा शांत हुआ तो उन्हें वापस काम पर रख लिया गया। शीर्ष अदालत ने जनहित याचिका पर नीतीश सरकार की ओर से दिए गए लंबे जवाब की भी आलोचना की।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि इस जवाबी हलफनामे में राज्य सरकार की योजनाओं और नीतियों की एक लंबी सूची है। मगर पुल हादसों के कारणों का जिक्र नहीं किया गया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और याचिकाकर्ता से 14 मई को पटना हाई कोर्ट में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। इस दिन हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई की अगली तारीख तय करेगा।
जनहित याचिका में बिहार में जर्जर और कमजोर पुलों का विशेषज्ञों से ऑडिट कराकर उनपर उचित कदम उठाने की मांग की गई है। पिछले साल जुलाई महीने में एनएचएआई, बिहार सड़क निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और ग्रामीण कार्य विभाग के एसीएस को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था। बिहार में पिछले साल मॉनसून सीजन के दौरान सीवान, सारण, मधुबनी, अररिया, पूर्वी चंपारण और किशनगंज जिले में 10 से ज्यादा पुल गिर गए थे। अधिकतर हादसों के पीछे भारी बारिश वजह बताई गई थी।