Union minister nityanand rai gets relief from patna high court in hate speech भड़काऊ भाषण मामले में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को राहत, पटना HC में निचली अदालत का आदेश रद्द, Bihar Hindi News - Hindustan
Hindi NewsBihar NewsUnion minister nityanand rai gets relief from patna high court in hate speech

भड़काऊ भाषण मामले में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को राहत, पटना HC में निचली अदालत का आदेश रद्द

आरोप था कि केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने एक पार्टी विशेष के उम्मीदवार के खिलाफ नफरत भरा भाषण दिया और कहा कि अगर वे चुनाव जीत जाते हैं तो अररिया आईएसआईएस का केंद्र बन जाएगा। दर्ज प्राथमिकी पर पुलिस ने जांच कर आरोप पत्र दाखिल किया।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान, विधि संवाददाता, पटनाThu, 19 June 2025 08:16 AM
share Share
Follow Us on
भड़काऊ भाषण मामले में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय को राहत, पटना HC में निचली अदालत का आदेश रद्द

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को पटना हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने भड़काऊ भाषण मामले में मुख्य न्यायायिक अधिकारी, अररिया द्वारा लिये गये संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायमूर्ति चंद्र शेखर झा की पीठ ने सुनवाई के बाद 15 पन्ने के आदेश में अररिया के नरपतगंज थाना कांड संख्या 129/2018 में आईपीसी की धारा 153ए और आरपी एक्ट की धारा 125 के तहत दाखिल आरोप पत्र को निरस्त कर दिया।

अररिया के नरपतगंज के सीओ की लिखित सूचना पर 9 मार्च 2018 को केस दर्ज की गई थी। इसमें कहा गया कि हाईस्कूल नरपतगंज में एक बैठक को संबोधित करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने सार्वजनिक तौर पर भड़काऊ भाषण दिया, जो आचार संहिता का उल्लंघन है। आरोप था कि उन्होंने एक पार्टी विशेष के उम्मीदवार के खिलाफ नफरत भरा भाषण दिया और कहा कि अगर वे चुनाव जीत जाते हैं तो अररिया आईएसआईएस का केंद्र बन जाएगा। दर्ज प्राथमिकी पर पुलिस ने जांच कर आरोप पत्र दाखिल किया। जिसपर अररिया के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी ने 13 मार्च 2022 को संज्ञान लिया। इसी को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी।

ये भी पढ़ें:नीतीश कुमार का लड़का कभी राजनीति में नहीं आ रहा, पीके ने तेजस्वी को भी लपेटा
ये भी पढ़ें:निशांत को साजिश के तहत राजनीति में नहीं आने दे रहे, बोले तेजस्वी यादव

केन्द्रीय मंत्री के वकील नरेश दीक्षित ने कोर्ट को बताया कि राजनीतिक मकसद से झूठा केस किया गया। लिखित सूचना से ही पता चलता है कि आवेदक ने किसी भी धर्म या समुदाय का नाम नहीं लिया। यही नहीं प्राथमिकी उक्त उम्मीदवार ने नहीं बल्कि अंचलाधिकारी ने दर्ज कराई। आईएसआईएस उग्रवादी संगठन है। उनका कहना था कि प्राथमिकी में यह प्रकट नहीं किया गया कि धर्म, जाति आदि के नाम पर कोई घृणास्पद भाषण दिया गया। किसी विशेष समुदाय की धार्मिक भावनाओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। कोर्ट ने आवेदक की दलील को मंजूर करते हुए संज्ञान आदेश को निरस्त कर दिया।

ये भी पढ़ें:21 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र, कई विधेयक पास करा सकती है नीतीश सरकार
ये भी पढ़ें:बिहार के नवादा और चंपारण में बारिश का ऑरेंज अलर्ट, कहां वज्रपात की चेतावनी