Expenses 46 thousand, claim 1 lakh 57 thousand DEO stuck in DPO medical claim sheohar bihar खर्च 46 हजार, दावा 1 लाख 57 हजार; डीपीओ के मेडिकल क्लेम में फंसे डीईओ, शिक्षा विभाग सख्त, Bihar Hindi News - Hindustan
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खर्च 46 हजार, दावा 1 लाख 57 हजार; डीपीओ के मेडिकल क्लेम में फंसे डीईओ, शिक्षा विभाग सख्त

शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अनिल कुमार ने शिवहर डीईओ से भी इसपर जवाब मांगा है। डीपीओ ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति को लेकर 1,57,081 रुपये की राशि मांगी थी। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को जब इसकी सत्यता की जांच को भेजा गया तो महज 46,273 रुपये खर्च का मामला सामने आया।

Sudhir Kumar हिन्दुस्तान, मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाताThu, 19 June 2025 01:08 PM
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खर्च 46 हजार, दावा 1 लाख 57 हजार; डीपीओ के मेडिकल क्लेम में फंसे डीईओ, शिक्षा विभाग सख्त

बिहार शिक्षा विभाग में इलाज के नाम पर घपला का बड़ा मामला उजागर हुआ है। शिवहर डीपीओ द्वारा धोखाधड़ी कर चिकित्सा प्रतिपूर्ति राशि लेने की कोशिश का आरोप लगा है। मेडिकल कॉलेज अधीक्षक की रिपोर्ट के बाद इसका खुलासा हुआ है। अधीक्षक की रिपोर्ट सामने आने के बाद शिक्षा विभाग इस मामले में सख्त है। इसे गंभीर मामला बताते हुए कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अनिल कुमार ने शिवहर डीईओ से भी इसपर जवाब मांगा है। डीपीओ ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति को लेकर 1,57,081 रुपये की राशि मांगी थी। मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को जब इसकी सत्यता की जांच को भेजा गया तो महज 46,273 रुपये खर्च का मामला सामने आया। 10 फरवरी 2023 को डीपीओ नेहा का प्रतिपूर्ति के लिए प्रस्ताव भेजा गया था। चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित अभिलेख की सत्यता जांच के लिए एसकेएमसीएच के अधीक्षक को भेजा गया।

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अधीक्षक ने चिकित्सीय व्यय राशि 1,57,081 में से 1,10,808 की कटौती कर मात्र 46,273 रुपये पर प्रतिहस्ताक्षरित किया। जांच के बाद राशि 1,00,000 रुपये से कम रहने के कारण अभिलेख डीईओ को वापस कर दिया गया। इसपर विभाग ने टिप्पणी करते हुए है कि इससे पता चलता कि डीईओ द्वारा धोखाधड़ी कर चिकित्सा प्रतिपूर्ति से संबंधित राशि निकासी कराये जाने का प्रयास किया जा रहा है, जो गंभीर मामला है। इस मामले में संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर संबंधित लोगों पर कार्रवाई होगी।

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शिक्षा विभाग की ओर से यह पता लगाया जा रहा है कि पहले भी चिकित्सा व्यय के नाम पर कितनी बार और कहां-कहां ज्यादा राशि की निकासी की गयी। इस कार्रवाई से विभाग में हड़कंप मचा है। माना जाता है कि चिकित्सा व्यय बढ़ा चढ़ा कर लेने की पुरानी परंपरा है। अगर ठीक से जांच की जाती है तो ऐसे कई मामले खुलकर सामने आएंगे। कई बड़े-बड़े अधिकारियों की गरदन फंस सकती है।