Hindustan editorial column 10 June 2025 रिश्तों का खून न हो, Editorial Hindi News - Hindustan
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रिश्तों का खून न हो

मेघालय में हुए हनीमून मर्डर के पीछे की जो सच्चाइयां सामने आ रही हैं, उन्हें लेकर समाज में न केवल गहरी चिंता, बल्कि नाराजगी का भी आलम है। एक दुल्हन जिसका विवाह मात्र सात दिन पहले हुआ था, उसने अपने कथित प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या…

Hindustan लाइव हिन्दुस्तानMon, 9 June 2025 11:04 PM
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रिश्तों का खून न हो

मेघालय में हुए हनीमून मर्डर के पीछे की जो सच्चाइयां सामने आ रही हैं, उन्हें लेकर समाज में न केवल गहरी चिंता, बल्कि नाराजगी का भी आलम है। एक दुल्हन जिसका विवाह मात्र सात दिन पहले हुआ था, उसने अपने कथित प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति की हत्या की साजिश रच डाली! तीन अपराधियों से अनुबंध किया और पति की हत्या के बाद खुद भाग खड़ी हुई। कुछ दिन फरार रहने के बाद उसने उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में तब समर्पण किया, जब हत्या के अन्य तीन आरोपी पकड़े गए। तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे थे, पर अब लगभग साफ हो चुका है कि सोची-समझी साजिश के तहत हत्या को अंजाम दिया गया है। इससे कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं? मूलभूत सवाल तो यही है कि हमें रिश्तों पर कितना यकीन करना चाहिए? पति-पत्नी के रिश्ते में जो बुनियादी यकीन और समझदारी चाहिए, वह क्या धीरे-धीरे छीजने लगी है? एक समय था, जब नए जोड़े को कुछ दिनों तक लोग घर से नहीं निकलने देते थे, पर व्यक्तिगत आजादी के दौर में एक चलन हनीमून का भी आया। अब अगर हनीमून के दौरान हत्या की नौबत आने लगे, तो हनीमून का क्या मतलब रह जाएगा?

हनीमून तो दूल्हा और दुल्हन के लिए एक-दूसरे को जानने-समझने का अवसर है। वैसे रिश्तों में एक-दूसरे को जानना एक सतत प्रक्रिया है। राजा रघुवंशी तो अपनी पत्नी सोनम को समझने की कोशिश में लगे थे, पर सोनम के इरादे शायद पहले से ही नेक नहीं थे। अब यहां एक बड़ा सवाल है कि सोनम को जब किसी और से प्यार था, तो उसने राजा रघुवंशी से विवाह क्यों किया? अगर किसी मजबूरी में विवाह करना ही पड़ा, तो उसके बाद भी सोनम के पास शादी से किनारा करने का मौका था। हनीमून के लिए खुद मेघालय को चुनना और वहां पहुंचकर हत्या को अंजाम देना निर्ममता ही नहीं, अक्षम्य अपराध है। आज युवाओं को सबक लेते हुए वाजिब ढंग से मुखर होना चाहिए। उनके पास अपनी बात रखने और मनवाने के अनेक उपाय व साधन हैं, पर पता नहीं क्यों युवा कई बार उचित कदम उठाने से चूक जाते हैं? एक सवाल यह भी खड़ा हुआ है कि क्या आज के युवाओं के पास सच्चे दोस्तों का टोटा हो गया है? क्या आज युवा ऐसे लोगों के संपर्क में नहीं हैं, जो उन्हें नि:स्वार्थ सही सलाह दे सकें?

यहां केवल सोनम का नहीं, उनके परिजनों का भी कुछ दोष है, जो सोनम के मन और मानसिकता को समय रहते समझ न पाए। अनेक परिवारों में पुरानी पीढ़ी नई पीढ़ी पर अपनी मर्जी थोपने से बाज नहीं आती है। वास्तव में, यह हत्याकांड पति-पत्नी के रिश्ते के बीच ही नहीं, बल्कि परिवार के अंदर भी सामान्य तालमेल की कमी का भयावह परिणाम है। पति-पत्नी के बीच बुनियादी समझ तो होनी ही चाहिए, ताकि दोनों एक-दूसरे को कम से कम किसी भी तरह का नुकसान न पहुंचाएं। दोनों अपने और परिवार के स्नेह व सम्मान की रक्षा के लिए सचेत हों। दोनों समाज के लिए ताकत व समाधान बनें, कमजोरी या समस्या नहीं। रिश्ते ठीक से निभाने की कोशिश वास्तव में इंसानियत है, जिसे भूलना नहीं चाहिए। गीतकार साहिर लुधियानवी का वह प्रसिद्ध गीत हर किसी के ध्यान में रहना चाहिए, जो आज अनायास मौजूं हो गया है- वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन/ उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा...। राजा और सोनम का अफसाना जिस बदसूरत या खौफनाक अंजाम तक पहुंच गया, वैसा फिर किसी के साथ न हो, इसके लिए हमें कोशिश करनी चाहिए।

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