आर्थिक मोर्चे पर भारत को मिली गुड न्यूज, 7% की रफ्तार से GDP बढ़ने का अनुमान
- आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए गुड न्यूज है। 16 जुलाई को जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर अब 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए गुड न्यूज है। 16 जुलाई को जारी वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर अब 7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। यह अप्रैल में अनुमानित 6.8 प्रतिशत से अधिक है। इसका एक कारण ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूत उपभोक्ता खर्च है। वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के ताजा आंकड़े के साथ आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने लिखा है कि इस साल वैश्विक आर्थिक वृद्धि में चीन और भारत की हिस्सेदारी लगभग आधी होगी। इसका कारण 2024 की शुरुआत में चीनी निर्यात में वृद्धि है। आईएमएफ ने इस साल चीन के लिए अपने वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 5.0 प्रतिशत कर दिया है। जबकि अप्रैल में यह 4.6 प्रतिशत था। हालांकि, यह 2023 के 5.2 प्रतिशत से कम है। बता दें कि दुनिया के 190 देशों को कर्ज देने वाला वैश्विक संगठन मुद्रा कोष आर्थिक विकास और वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने तथा वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए काम करता है।
IMF ने क्या कहा?
आईएमएफ ने मंगलवार को कहा कि उसे अब भी उम्मीद है कि विश्व अर्थव्यवस्था इस साल 3.2 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। यह अप्रैल में जताए गए उसके पिछले अनुमान के समान है। जबकि 2023 की 3.3 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। वहीं, अमेरिका के मामले में इस साल के लिए वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया जबकि अप्रैल में इसके 2.7 प्रतिशत रहने की संभावना जताई गई थी। इसी तरह, जापान के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान को 0.9 प्रतिशत से घटाकर 0.7 प्रतिशत कर दिया गया है।
क्या है RBI का अनुमान
बता दें कि इससे पहले जून में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने पिछले महीने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। हाल ही में नीति आयोग ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष 2024-25 में करीब सात प्रतिशत की दर से बढ़ेगी और आने वाले कई वर्षों तक यही वृद्धि दर बरकरार रहने की संभावना है। हालांकि, देश के सामने नई चुनौतियां हैं और उनसे निपटना होगा।
आपको बता दें कि हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल डी पात्रा ने कहा कि भारत की मजबूत बुनियाद और अंतर्निहित क्षमता को देखते हुए देश 2031 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2060 तक दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए भारत को श्रम उत्पादकता, बुनियादी ढांचे, सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान और टिकाऊ वृद्धि के लिए अर्थव्यवस्था को हरित बनाने से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों से पार करना होगा। रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा अनुमान लगाया गया है कि यदि भारत अगले दस वर्षों में 9.6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से वृद्धि करता है, तो यह निम्न मध्यम आय के जाल से मुक्त हो जाएगा और एक विकसित अर्थव्यवस्था बन जाएगा।