पुराना सोना बेचकर आसान नहीं है मुनाफा कमाना, इन दिक्कतों का करना पड़ेगा सामना
Gold Price: सोने के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में कई लोग अपना पुराना सोना बेचकर मुनाफा कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा। जानें क्यों है, दिक्कत और क्या है समाधान।

Gold Price: में सोना केवल निवेश नहीं, बल्कि शुभ माना जाता है। युद्ध और आर्थिक उठापटक के दौर में इसकी मांग बढ़ी है, दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में कई लोग अपना पुराना सोना बेचकर मुनाफा कमाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें सही दाम नहीं मिल पा रहा। जानें क्यों है, दिक्कत और क्या है समाधान।
सोना बेचने में कौन-कौन सी दिक्कतें आती हैं
शुद्धता का झगड़ा: अधिकतर पुराने गहनों पर BIS हॉलमार्क नहीं होता। जौहरी शुद्धता को लेकर शक जताते हैं, जिससे कीमत पर बहस होती है।
कटौतियों का डर: जौहरी अक्सर बनावट का चार्ज काट लेते हैं या पत्थर/मिलावट का हवाला देकर कम कीमत देते हैं।
अव्यवस्थित बाजार: छोटे दुकानदार मनमाना भाव देते हैं, भरोसा कम होता है। गहने बेचने वालों को कई बार पैसे मिलने में देरी होती है।
KYC और कानूनी झंझट: ₹2 लाख से अधिक के सोने की बिक्री पर PAN कार्ड और पूरी KYC जानकारी चाहिए, जो लोग नहीं देना चाहते। जौहरी भी चोरी के सोने या आयकर की जांच के डर से बड़े सौदे करने से घबराते हैं।
कैसे आसानी से और अच्छे दाम पर बेचें सोना ?
हॉलमार्क और कागजात जरूरी: सोना खरीदते समय ही BIS हॉलमार्क वाला लें और बिल जरूर रखें। बेचते समय ये कागजात सही वैल्यूएशन में मदद करेंगे।
भरोसेमंद खरीदार चुनें: ऐसे जौहरी या सोना खरीदने वाली विश्वसनीय कंपनियों/प्लेटफॉर्म के पास जाएं जो लाइव मार्केट प्राइस के हिसाब से पारदर्शी भाव दें। सोने की डली (बार) बेचनी हो तो प्रतिष्ठित बुलियन डीलर्स के पास जाएं।
कई जगह भाव पूछें: किसी एक पर निर्भर न रहें। अलग-अलग जगहों से भाव जानकर तुलना करें। अव्यवस्थित खरीदारों से दूर रहें।
डिजिटल गोल्ड या रिफाइनिंग का विकल्प: कुछ प्लेटफॉर्म आपके पुराने सोने को डिजिटल गोल्ड में बदलने या शुद्ध करके नया बनाने की सुविधा देते हैं, ये भी आजमा सकते हैं।
गोल्ड लोन भी है विकल्प: अगर सोना बेचना जरूरी न हो तो, गोल्ड लोन लेकर भी पैसे जुटाए जा सकते हैं। यह ज्यादा सुरक्षित तरीका हो सकता है।
जौहरियों के सामने क्या मुश्किलें आती हैं?
KYC और चोरी का डर: खरीदार की पूरी पहचान सुनिश्चित करना और यह पक्का करना कि सोना चोरी का नहीं है, बड़ी चुनौती है।
GST का उलझाव: जौहरियों को खरीदे गए पुराने सोने और नए बिकने वाले सामान का हिसाब अलग रखना पड़ता है, जिससे GST का इनपुट क्रेडिट प्रभावित हो सकता है।
लिक्विडिटी की कमी: सोने के महंगे होने से गहनों की बिक्री कम हुई है। ऐसे में जौहरियों के पास बड़ी रकम देने के लिए तुरंत नकदी नहीं होती।
लोन से जुड़ी गलतफहमी: गोल्ड लोन देते समय RBI के नियमों के मुताबिक LTV रेश्यो का पालन करना पड़ता है (यानी सोने की कीमत से कम ही लोन देना)। कई ग्राहक इसे नहीं समझते और झगड़ा करते हैं।