खाद्य तेल की कीमतों पर मिलेगी राहत? मोदी सरकार ने लिया है यह फैसला
खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव की अध्यक्षता में प्रमुख खाद्य तेल उद्योग संघों और उद्योग के अंशधारकों के साथ एक बैठक हुई, जहां उन्हें शुल्क कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को देने का निर्देश देते हुए एक सलाह जारी की गई।

Edible oil news: आने वाले दिनों में खाद्य तेल के दाम घट सकते हैं। इस संबंध में केंद्र सरकार के खाद्य मंत्रालय ने खाद्य तेल उद्योग संघों को एक अहम आदेश दिया है। मंत्रालय ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में उछाल के बीच कच्चे खाद्य तेल पर सीमा शुल्क को आधा करने के सरकार के फैसले के बाद उपभोक्ताओं को आयात शुल्क में कटौती का लाभ तुरंत दें।
तत्काल प्रभाव से लागू करने की सलाह
विभाग ने बयान में कहा कि उद्योग अंशधारकों से अपेक्षा की जाती है कि वे तत्काल प्रभाव से कम लागत के अनुसार वितरकों को अपनी कीमत (पीटीडी) और अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) को दुरुस्त करें। खाद्य तेल संघों से अनुरोध किया गया है कि वे अपने सदस्यों को तत्काल मूल्य कटौती को लागू करने की सलाह दें और साप्ताहिक आधार पर विभाग के साथ अद्यतन ब्रांड-वार एमआरपी शीट साझा करें।
मंत्रालय ने खाद्य तेल उद्योग के साथ एमआरपी और पीटीडी डेटा में की गई कटौती की रिपोर्टिंग करने के लिए एक प्रारूप साझा किया, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि आपूर्ति श्रृंखला के माध्यम से लाभों का समय पर पहुंचाना यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है कि उपभोक्ताओं को खुदरा कीमतों में इसी तरह की हुई कटौती का अनुभव हो।
क्यों लिया गया फैसला
यह निर्णय पिछले साल शुल्क वृद्धि के बाद खाद्य तेल की कीमतों में तेज वृद्धि की विस्तृत समीक्षा के बाद लिया गया। इस वृद्धि के कारण उपभोक्ताओं पर महंगाई का दबाव काफी बढ़ गया, खुदरा खाद्य तेल की कीमतें बढ़ गईं और खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि हुई।
केंद्र ने कच्चे खाद्य तेलों - कच्चे सूरजमुखी, सोयाबीन और कच्चे पाम तेलों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप कच्चे और परिष्कृत खाद्य तेलों के बीच आयात शुल्क का अंतर 8.75 प्रतिशत से बढ़कर 19.25 प्रतिशत हो गया है। इस समायोजन का उद्देश्य सितंबर, 2024 में शुल्क वृद्धि और अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतों में समवर्ती वृद्धि के परिणामस्वरूप खाद्य तेल की बढ़ती कीमतों को ठीक करना है।