6 साल के निचले स्तर पर खुदरा महंगाई, एक बार फिर रेपो रेट पर चलेगी कैंची?
हाल ही में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को आधा प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत पर लाने का फैसला किया गया है। ताजा कटौती के बाद रेपो दर पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

महंगाई के मोर्चे पर राहत की खबर है। दरअसल, सब्जियों और फलों की कीमतों में नरमी आने से मई महीने में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर छह साल के निचले स्तर पर आ गई है। इस गिरावट के साथ ही एक बार फिर रेपो रेट कटौती की उम्मीद बढ़ गई है। सरकार के नए आंकड़े बताते हैं इस महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई 2.82 प्रतिशत पर थी। वहीं, खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में 3.16 प्रतिशत और मई, 2024 में 4.8 प्रतिशत थी।
खाद्य मुद्रास्फीति के आंकड़े
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक मई में खाद्य मुद्रास्फीति 0.99 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले के समान महीने के 8.69 प्रतिशत के मुकाबले काफी कम है। मई, 2025 की खाद्य मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा अक्टूबर, 2021 के बाद सबसे कम है। मई, 2025 में मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट मुख्य रूप से दालों एवं इसके उत्पादों, सब्जियों, फलों, अनाज एवं इसके उत्पादों, घरेलू सामान और सेवाओं, चीनी एवं कन्फेक्शनरी और अंडे की कीमतों में गिरावट और अनुकूल आधार प्रभाव के कारण है।
रेपो रेट में कटौती के फिर आसार
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट ऐसे समय में आई है जब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट में आगे कटौती की गुंजाइश काफी कम रहने के संकेत दिए थे। बता दें कि हाल ही में आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो दर को आधा प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत पर लाने का फैसला किया गया है। इसके साथ ही फरवरी से लेकर अब तक रिजर्व बैंक रेपो दर में कुल एक प्रतिशत की कटौती कर चुका है। ताजा कटौती के बाद रेपो दर पिछले तीन साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। इस नई कटौती के बाद रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा कहा था कि रेपो रेट में आगे और कमी करने की बहुत कम गुंजाइश दिख रही है।