एयर इंडिया प्लेन क्रैश में न बीमाधारक बचे न नॉमिनी, अब किसे मिलेगा क्लेम
Air India plane crash: एयर इंडिया विमान हादसे के पीड़ितों के दावों का निपटान करने में बीमा कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कई मामलों में पॉलिसीधारक और उसके नामित व्यक्ति (नॉमिनी), दोनों ही इस त्रासदी में मारे गए हैं।
पिछले सप्ताह अहमदाबाद एयर इंडिया विमान हादसे के पीड़ितों के दावों का निपटान करने में बीमा कंपनियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कई मामलों में पॉलिसीधारक और उसके नामित व्यक्ति (नॉमिनी), दोनों ही इस त्रासदी में मारे गए हैं। अहमदाबाद में 12 जून को हुई भयावह दुर्घटना में पूरे परिवार के खत्म हो जाने या पति-पत्नी में से किसी एक की मृत्यु हो जाने के मामले सामने आए हैं। इस विमान में सवार 241 लोगों और जमीन पर मौजूद 29 लोगों की जान चली गई थी।
बीमाधारक और नामित की मृत्यु के कई मामले
एलआईसी के एक अधिकारी ने बताया कि कंपनी को अब तक 10 दावे प्राप्त हुए हैं। एक मामला ऐसा भी है, जिसमें बीमित व्यक्ति ने अपने जीवनसाथी को नामित किया था और दुर्घटना में दोनों की मौत हो गई। इफ्को टोकियो इंश्योरेंस के प्रबंधक ने भी एक ऐसे मामले का जिक्र किया जिसमें एक कंपनी के निदेशक और उनकी नामित पत्नी दोनों की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई। टाटा एआईजी के अधिकारी ने कहा कि उन्हें अब तक सात क्लेम प्राप्त हुए हैं, जिनमें से एक ऐसा मामला है जिसमें मृतक ने अपने जीवनसाथी को नामित किया था और उसकी भी विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
कानूनी टीम विकल्पों पर विचार कर रही
बीमा कंपनी के अधिकारी ने कहा, अगर बीमाधारक और नामांकित व्यक्ति, दोनों की मृत्यु हो गई है, तो हम श्रेणी-1 के वारिसों की तलाश करते हैं, जो आमतौर पर बच्चों जैसे रक्त संबंधी होते हैं। यदि कई बच्चे हैं, तो हम वारिसों से एक घोषणापत्र लेते हैं कि दावे का निपटान कैसे किया जाना है और कंपनी को क्षतिपूर्ति बॉन्ड जमा करना होता है। उनकी कंपनी की कानूनी टीम इस बात पर विचार कर रही है कि क्या उन मामलों में उत्तराधिकारियों की संयुक्त घोषणा मांगी जा सकती है, जहां बीमाधारक और नामित व्यक्ति, दोनों की मृत्यु हो गई हो।
इरडा ने कहा, दावे खारिज न करें
हादसे के तुरंत बाद, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से कहा कि वे विदेशी चिकित्सा बीमा, व्यक्तिगत दुर्घटना और जीवन बीमा पॉलिसियों के जारी करने संबंधी अपने आंकड़ों से मृतक के विवरण का सत्यापन करें।
परामर्श में यह भी कहा गया कि यात्रियों की सूची में शामिल पुष्टिकृत मृत व्यक्तियों तथा दुर्घटना से प्रभावित इमारतों में रहने वाले व्यक्तियों के मामले में प्रक्रियात्मक औपचारिकताओं के कारण किसी भी दावे को अस्वीकार या विलंबित नहीं किया जाएगा।
कंपनियों ने बनाए विशेष सहायता केंद्र
इरडा के निर्देश के बाद एलआईसी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, एचडीएफसी लाइफ, इफ्को टोकियो जनरल इंश्योरेंस, बजाज आलियांज जीआईसी और टाटा एआईजी इंश्योरेंस जैसी प्रमुख बीमा कंपनियों ने प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए अहमदाबाद सिविल अस्पताल में अपनी सहायता खिड़की स्थापित की हैं। बीमा कंपनियों ने कहा कि वे प्राधिकारियों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों का अपने आंकड़ों से मिलान कर रही हैं तथा सक्रिय रूप से परिवारों से संपर्क कर रहे हैं।
इन सात कदमों से हो सकती है परिवार की आर्थिक सुरक्षा
अगर ऐसा कुछ अचानक हो गया, तो क्या परिवार यह पता लगा पाएगा कि कहां-कहां निवेश किया था? बीमा पॉलिसी कहां है? नॉमिनी कौन है? बैंक खाते कितने और कहां हैं? इन सात कदमों से हो सकती है परिवार की आर्थिक सुरक्षा-
1. सभी खातों, निवेश योजनाओं में नॉमिनी तय हो, केवाईसी अपडेट रखें।
2. वित्तीय दस्तावेजों की फाइल और डिजिटल फोल्डर बनाएं।
3. ऑनलाइन निवेशों की सूची बनाएं और पासवर्ड विश्वसनीय सदस्य के साथ साझा करें।
4. वसीयत तैयार करें। यह काम वकील की मदद या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से कर सकते हैं।
5. 'नॉमिनी सूचना पत्र' बनवाएं, जिसमें लिखा हो कि कौन-कौन से कागजात कहां मिलेंगे, किस प्लेटफॉर्म पर कितने पैसे हैं और नॉमिनी कौन है?
6. परिवार के किसी एक भरोसेमंद सदस्य को जरूर बताएं कि कौन सा फोल्डर या दस्तावेज कहां रखा है।
7. सभी वित्तीय खातों के लॉगिन पासवर्ड को एक सुरक्षित ऐप या पासवर्ड वाली फाइल में स्टोर करें। इसकी लोकेशन किसी भरोसेमंद व्यक्ति को बताएं।