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₹750 से टूटकर ₹1 पर आ गया यह शेयर, निवेशक हुए कंगाल, ₹1 लाख का निवेश घटकर ₹208 रह गया

  • Reliance Communications Share: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के शेयर बीते शुक्रवार को 4% से अधिक चढ़कर 1.56 रुपये के इंट्रा डे हाई पर पहुंच गए थे। इससे पहले इसमें लगातार गिरावट आ रही थी।

Varsha Pathak लाइव हिन्दुस्तानSun, 13 April 2025 01:42 PM
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₹750 से टूटकर ₹1 पर आ गया यह शेयर, निवेशक हुए कंगाल, ₹1 लाख का निवेश घटकर ₹208 रह गया

Reliance Communications Share: अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्यूनिकेशन लिमिटेड (आरकॉम) के शेयर बीते शुक्रवार को 4% से अधिक चढ़कर 1.56 रुपये के इंट्रा डे हाई पर पहुंच गए थे। इससे पहले इसमें लगातार गिरावट आ रही थी। इस साल अब तक यह शेयर 18% तक टूट गया और पिछले छह महीने में यह शेयर 37% तक की गिरावट आई है। पांच दिन में कंपनी के शेयर 2% और महीनेभर में कंपनी के शेयर 5% तक चढ़ गए हैं।

कंपनी ने दी यह जानकारी

बता दें कि रिलायंस कम्युनिकेशंस ने हाल ही में कहा है कि 4 अक्टूबर को 30 सितंबर तक 40,413 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय कर्ज होने की सूचना दी। इसमें छोटी अवधि और लंबी अवधि दोनों कर्ज शामिल हैं। हालांकि, इस कुल में बैंकों और वित्तीय संस्थानों से ऋण पर 27,867 करोड़ रुपये का अर्जित ब्याज शामिल नहीं है, न ही इसमें गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (एनसीडी) पर 3,151 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है। रिलायंस कम्युनिकेशंस के शेयरों में उतार-चढ़ाव भरा सफर रहा है। 2007-08 में एक बार 750 रुपये प्रति शेयर से ऊपर कारोबार करने वाले ये शेयर अब पेनी स्टॉक के स्तर पर आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, इसके शेयर की कीमतों में 99.72 प्रतिशत की गिरावट आई है। इस दौरान निवेशकों का 1 लाख रुपये घटकर 208 रुपये रह गया।

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संकट में फंसी हैं कंपनी

रिलायंस कम्युनिकेशंस का नियंत्रण अनिल अंबानी के पास है, जो 2008 में 42 बिलियन डॉलर की कुल संपत्ति के साथ दुनिया के 6वें सबसे अमीर व्यक्ति थे। उनकी कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस कभी भारत की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार ऑपरेटर थी। हालांकि, अनिल के भाई मुकेश अंबानी द्वारा संचालित एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी रिलायंस जियो द्वारा शुरू किए गए प्राइस वॉर के कारण इसे वित्तीय संकट में धकेल दिया गया था। बिजनेस टाइकून धीरूभाई अंबानी के छोटे बेटे अनिल अंबानी ने 1986 में अपने पिता के स्ट्रोक के बाद रिलायंस के वित्तीय संचालन का प्रबंधन संभाला। साल 2002 में धीरूभाई की मृत्यु के बाद अनिल और उनके बड़े भाई मुकेश ने संयुक्त रूप से रिलायंस कंपनियों का नेतृत्व किया। हालांकि, कंट्रोल को लेकर असहमति के कारण 2005 में विभाजन हो गया।

मुकेश ने मुख्य तेल और पेट्रोकेमिकल्स व्यवसायों की कमान संभाली, जबकि अनिल ने उसी वर्ष विभाजन के माध्यम से दूरसंचार, बिजली उत्पादन और वित्तीय सेवाओं जैसे नए क्षेत्रों का नियंत्रण हासिल किया। विभिन्न क्षेत्रों में विविधता लाने के अपने प्रयासों के बावजूद, अनिल अंबानी को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संभावित जेल समय की चेतावनी दी थी, जब रिलायंस कम्युनिकेशंस एरिक्सन एबी की भारतीय इकाई को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहा।

अदालत ने उन्हें फंड जुटाने के लिए एक महीने का समय दिया और भाई मुकेश अंबानी ने आवश्यक वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए अंतिम समय में कदम बढ़ाया। मनोरंजन और रक्षा विनिर्माण में अनिल के निवेश को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप उनकी कंपनियों पर भारी कर्ज का बोझ बढ़ गया।

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