ICICI सिक्योरिटीज के शेयरों को डीलिस्ट करने का SC का फैसला बरकरार, निवेशक की याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को ICICI सिक्योरिटीज के शेयरों की डीलिस्टिंग (स्टॉक एक्सचेंज से हटाए जाने) को बरकरार रखा। कोर्ट ने निवेशक मनु ऋषि गुप्ता की याचिका खारिज कर दी।

सुप्रीम कोर्ट ने ICICI सिक्योरिटीज को शेयर बाजार से हटाने (डीलिस्ट) के फैसले को सही ठहराया है। एक निवेशक मनु ऋषि गुप्ता ने शिकायत की थी कि शेयरों की कीमत कम लगाई गई है और अगर दूसरा तरीका अपनाया जाता तो शेयरधारकों को ज्यादा पैसा मिल सकता था। कोर्ट ने उनकी याचिका ठुकरा दी। ICICI सिक्योरिटीज अब पूरी तरह से ICICI बैंक की कंपनी बन गई है और इसके ज्यादातर शेयरधारकों ने भी इस विलय यानी मर्जर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
निवेशक मनु ऋषि गुप्ता की याचिका में क्या आरोप था?
मनु ऋषि गुप्ता ने आरोप लगाया था कि डीलिस्टिंग के समय शेयरों का मूल्यांकन (valuation) गलत तरीके से हुआ और यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी। उन्होंने दावा किया कि अगर 'रिवर्स बुक बिल्डिंग' का इस्तेमाल किया गया होता तो शेयरधारकों को शेयरों के लिए बेहतर कीमत मिल सकती थी। गुप्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ICICI सिक्योरिटीज की डीलिस्टिंग गोपनीय और जल्दबाजी में की गई और इसे "चौंकाने वाला" बताया।
कोर्ट में ICICI सिक्योरिटीज का जवाब
ICICI सिक्योरिटीज के वकील ने कोर्ट को बताया कि गुप्ता खुद ही ICICI सिक्योरिटीज के शेयर खरीदते और बेचते रहे हैं, यहां तक कि अगस्त 2024 में भी (यानी डीलिस्टिंग के विरोध के बावजूद उन्होंने खुद ट्रेडिंग जारी रखी)।
क्या है यह पूरा मामला
मार्च में ICICI सिक्योरिटीज को डीलिस्ट किया गया था और अब यह ICICI बैंक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गई है। मार्च में ही, शेयरधारकों के मतदान में लगभग 72% वोट ICICI सिक्योरिटीज का ICICI बैंक में विलय (merger) करने के प्रस्ताव के पक्ष में पड़े थे। यह जानकारी कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंजों को दी थी। यह मतदान नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के 14 फरवरी, 2024 के आदेश के बाद हुआ था। इस बैठक में 161 इक्विटी शेयरधारकों (हिस्सेदारों) ने भाग लिया था।