क्यों नहीं संभल रहा बाजार, भारतीय शेयर मार्केट में गिरावट के पीछे 5 प्रमुख कारण
- Why fall in indian share market: वैश्विक अनिश्चितता, घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती, कंपनियों के कमजोर नतीजे, FIIs की बिकवाली और रुपये की कमजोरी ने मिलकर भारतीय शेयर बाजार को नीचे धकेल दिया है।
Why fall in indian share market: घरेलू शेयर मार्केट में लगातार पांच महीने से गिरावट के ट्रैक पर है। लगातार गिरावट के मामले में इसने 29 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। सोमवार को छठे महीने का खाता भी गिरावट के साथ खुला। निफ्टी ने पिछले साल 27 सितंबर को 26277. 35 का शिखर बनाया था, वहां से यह सूचकांक 4273 अंक यानी 16 फीसदी गिर चुका है। वहीं, सेंसेक्स में 85,978.25 अंक के शिखर से 13200 अंक यानी 15 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 2025 में हर दिन औसतन 2700 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। आखिर घरेलू शेयर मार्केट क्यों गिर रहा है? सरल शब्दों में कहें तो, वैश्विक अनिश्चितता, घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती, कंपनियों के कमजोर नतीजे, FIIs की बिकवाली और रुपये की कमजोरी ने मिलकर भारतीय शेयर बाजार को नीचे धकेल दिया है।
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछे पांच मुख्य कारण
1. ट्रंप, फेड और वैश्विक स्थिति
सितंबर के बाद, नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर बाजार का मूड सतर्क हो गया। चुनाव के बाद, डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता बढ़ी, जिससे ट्रेड वॉर की आशंका और बढ़ गई। साथ ही, ट्रंप की नीतियों से अमेरिका में मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, जो फेडरल रिजर्व के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है। अब यह उम्मीद कम हो गई है कि फेड ब्याज दरें कम करेगा। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कम ब्याज दरों का दौर खत्म हो गया है और अब लंबे समय तक ब्याज दरें ऊंची रह सकती हैं।
2. घरेलू विकास की रफ्तार धीमी
भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत ने विदेशी निवेशकों को चिंतित कर दिया, जो भारत को वैश्विक मंदी के बीच एक उज्ज्वल स्थान मान रहे थे। भारत की जीडीपी लगातार तीन तिमाहियों (Q4FY24 से Q2 वित्त वर्ष 2025) में गिरावट के साथ रही। Q3 वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी विकास दर 6.2% रही, जो Q4FY23 के बाद सबसे कम है। कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वित्त वर्ष 2025 की जीडीपी ग्रोथ रेट आरबीआई और एनएसओ के अनुमान से कम रह सकती है।
इसके अलावा, आम चुनाव और कुछ राज्यों के चुनावों की वजह से सरकारी खर्च कम रहा। अनिश्चित मानसून और कमजोर ग्रामीण व शहरी मांग ने भी अर्थव्यवस्था को और नुकसान पहुंचाया, जिससे बाजार में नकारात्मक माहौल बना।
3. कमजोर कमाई, सुधार की उम्मीद नहीं
भारतीय कंपनियों ने Q1, Q2 और Q3 में निराशाजनक नतीजे पेश किए। घरेलू निवेशकों के समर्थन से शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था, लेकिन कंपनियों के कमजोर नतीजों ने बाजार को गिरावट की ओर धकेल दिया। अक्टूबर में, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने भारतीय शेयरों को बेचना शुरू कर दिया, क्योंकि उन्हें शेयरों की कीमतें ज्यादा लग रही थीं। अब बाजार को Q4 में भी कंपनियों के नतीजे कमजोर रहने की उम्मीद है, जिससे सुधार की संभावना और कम हो गई है।
4. FIIs की बड़ी बिकवाली
भारतीय शेयरों की ऊंची कीमतें, घरेलू अर्थव्यवस्था में सुस्ती, चीन जैसे अन्य उभरते बाजारों में आकर्षक निवेश के अवसर, अमेरिकी डॉलर और बॉन्ड यील्ड का बढ़ना, और ट्रेड वॉर की आशंका के कारण FIIs ने भारतीय बाजार से पैसा निकालना शुरू कर दिया। अक्टूबर में FIIs ने कैश सेगमेंट में लगभग ₹1.15 लाख करोड़ के शेयर बेचे, जिससे निफ्टी 50 में 6% से ज्यादा की गिरावट आई। अक्टूबर के बाद से FIIs ने लगभग ₹3.24 लाख करोड़ के शेयर बेचे हैं।
5. रुपये की कमजोरी
हाल के दिनों में भारतीय रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की कमजोरी और घरेलू अर्थव्यवस्था में कमजोरी के संकेतों ने विदेशी निवेशकों को और हतोत्साहित किया है। रुपये की कमजोरी ने बाजार के मूड को और खराब कर दिया है।