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31 साल पहले पिता के देखे JEE सपने को बेटे राजित ने किया साकार,पिता बोले- मजा आ गया

कुछ कहानियाँ वक्त को पार करके एक नई पहचान बना देती हैं। साल 1994 में एक पिता ने कोटा में खड़े होकर JEE की तैयारी की थी। वक्त गुज़रा, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ीं, लेकिन एक सपना अब भी ज़िंदा था।

Sachin Sharma लाइव हिन्दुस्तान, जयपुरMon, 2 June 2025 04:03 PM
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31 साल पहले पिता के देखे  JEE सपने को बेटे राजित ने किया साकार,पिता बोले- मजा आ गया

जेईई मैंस का परिणाम आज जारी हो गया है कुछ कहानियाँ वक्त को पार करके एक नई पहचान बना देती हैं। साल 1994 में एक पिता ने कोटा में खड़े होकर JEE की तैयारी की थी,और उस समय 48वी रैंक हासिल की वक्त गुज़रा, ज़िम्मेदारियाँ बढ़ीं, लेकिन एक सपना अब भी ज़िंदा था। और आज, उस पिता के बेटे ने वही सपना पूरा किया — बल्कि उससे भी कहीं आगे बढ़कर। हम बात कर रहे हैं कोटा के राजित गुप्ता की, जिन्होंने JEE Advanced 2025 में ऑल इंडिया रैंक 1 हासिल कर पूरे देश का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।

सुबह के 8 बजे थे, जब देशभर के लाखों छात्रों और उनके परिवारों का इंतजार खत्म हुआ। जैसे ही वेबसाइट पर रिजल्ट आया, गुप्ता परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। राजित के पिता, दीपक गुप्ता, जो BSNL में अधिकारी हैं, रिजल्ट देखते ही भावुक हो उठे। उन्होंने कहा, “हमें यकीन था कि बेटा टॉप 100 में आएगा, लेकिन जब 1st रैंक देखा तो यकीन ही नहीं हुआ। अब मजा आ गया! इसने मेरा नाम रोशन कर दिया। कोटा की गलियों में मेरा बेटा अब मेरी पहचान बन रहा है।”

दिलचस्प बात यह है कि दीपक गुप्ता ने खुद भी 1994 में JEE की तैयारी कोटा से की थी – और अब उसी संस्थान से उनके बेटे ने देशभर में टॉप किया है। “ये हमारे लिए गर्व का पल है,” दीपक गुप्ता ने भावुक होते हुए कहा।

राजित की मां की आंखों में भी नमी और मुस्कान साथ-साथ थी। उन्होंने बताया, “जितना बड़ा अचीवमेंट है, उससे कहीं बड़ी खुशी है हमारे लिए। राजित सिर्फ पढ़ाई में नहीं, खेल-कूद और सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा आगे रहता है।”

राजित ने बताया कि उन्होंने 10वीं क्लास से ही JEE की तैयारी शुरू कर दी थी। “कई बार बीमार हुआ, लेकिन एक दिन भी कोचिंग मिस नहीं की। पूरा फोकस JEE पर रखा, हर दिन 9 घंटे की पढ़ाई करता था। बैडमिंटन मेरा शौक है – इससे फोकस और फिटनेस बनी रहती थी,” राजित ने कहा।

अपनी सफलता का श्रेय वह माता-पिता, अपने शिक्षकों और खुद की मेहनत को देते हैं। “सबने बराबर मेहनत की, लेकिन एग्जाम में अपना टेंपर ठंडा रखना बहुत ज़रूरी होता है। थोड़ा भी ऊपर-नीचे हुआ तो रैंक पर असर पड़ता है,” राजित ने बताया।

अब राजित का अगला कदम IIT बॉम्बे की ओर है, जहां वे कंप्यूटर साइंस में दाखिला लेने जा रहे हैं। जब वह रिजल्ट के बाद अपने इंस्टीट्यूट पहुंचे तो शिक्षकों ने उन्हें गले से लगा लिया और कंधों पर बिठाकर जश्न मनाया।

राजित की सफलता न सिर्फ कोटा बल्कि हर उस अभिभावक के लिए उम्मीद की किरण है जो अपने बच्चों के सपनों को उड़ान देने का हौसला रखते हैं। और दीपक गुप्ता की आंखों में वो चमक साफ दिखती है जो कहती है – "सपने कभी पुराने नहीं होते, बस सही वक्त का इंतजार करते हैं।"

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