विदेश दौरे पर परिवार होना चाहिए या नहीं? विराट के बाद कपिल देव ने शेयर किया अपना अनुभव
- कपिल देव ने कहा है कि खिलाड़ियों को परिवार की जरूरत होती है लेकिन उनको टीम के साथ भी रहने की जरूरत है। उन्होंने अपने जमाने के अनुभव के बारे में भी शेयर किया है, जिसमें खिलाड़ी दौरे के बीच में परिवार से मिलते थे।

दिग्गज क्रिकेटर कपिल देव विदेश दौरे पर क्रिकेटरों के अपने परिवार साथ में रखने के पक्ष में है लेकिन उन्होंने इसके साथ ही कहा कि इस मामले में संतुलित रवैया अपनाया जाना चाहिए। भारत की ऑस्ट्रेलिया दौरे में पांच टेस्ट मैच की सीरीज में 1–3 से हार के बाद भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने निर्देश जारी किया कि 45 से अधिक दिन के दौरे में क्रिकेटर अधिकतम 14 दिन तक ही अपना परिवार साथ में रख सकते हैं। इससे पहले रविवार को कोहली ने विदेश दौरे में परिवार को साथ रखने का समर्थन किया था।
दिशानिर्देशों के अनुसार इससे कम अवधि के दौरे पर खिलाड़ी अधिकतम एक सप्ताह तक ही अपना परिवार साथ में रख सकते हैं। विश्व कप 1983 के विजेता कप्तान ने ‘कपिल देव ग्रांट थॉर्नटन इनविटेशनल’ कार्यक्रम के मौके पर कहा, ‘‘ठीक है, मुझे नहीं पता, यह व्यक्तिगत है। मुझे लगता है कि यह क्रिकेट बोर्ड का फैसला है। मेरे विचार में आपको परिवार की जरूरत है लेकिन आपको हर समय टीम के साथ रहने की भी जरूरत है।’’
हाल में समाप्त हुई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान विराट कोहली, रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी जैसे खिलाड़ियों के परिवार भी दुबई में थे लेकिन वे टीम होटल में नहीं ठहरे थे। परिवार का खर्चा बीसीसीआई ने नहीं बल्कि स्वयं खिलाड़ियों ने उठाया था।
कपिल ने कहा, ‘‘हमारे जमाने में क्रिकेट बोर्ड नहीं बल्कि हम खुद ही तय करते थे कि दौरे का पहला चरण क्रिकेट को समर्पित होना चाहिए जबकि दूसरे चरण में परिवार के साथ रहने का आनंद लेना चाहिए। इसमें संतुलन होना चाहिए।’’
कोहली ने शनिवार को आरसीबी के ‘इनोवेशन लैब’ सम्मेलन के दौरान कहा, ‘‘लोगों को परिवार की भूमिका समझाना बहुत मुश्किल है। हर बार जब आप किसी तनावपूर्ण स्थिति में होते तो अपने परिवार के पास वापस आना कितना महत्वपूर्ण होता है। मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसकी अहमियत की समझ है।’’ कोहली ने कहा कि परिवार के साथ होने से खिलाड़ी को मैदान पर मिली निराशा से जल्दी उबरने में मदद मिलती है।