89 बैंक खातों का उपयोग कर 1455 करोड़ उड़ाए, गुजरात में साइबर फ्रॉड के इंटरनेशनल गैंग का खुलासा
गुजरात पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के इंटरनेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है। अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों ने सूरत के तीन लोगों द्वारा कमीशन के आधार पर उन्हें उपलब्ध कराए गए 89 बैंक खातों का उपयोग करके छह महीने में 1455 करोड़ रुपए उड़ा लिए।

गुजरात पुलिस ने साइबर धोखाधड़ी के इंटरनेशनल गैंग का भंडाफोड़ किया है। अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों ने सूरत के तीन लोगों द्वारा कमीशन के आधार पर उन्हें उपलब्ध कराए गए 89 बैंक खातों का उपयोग करके छह महीने में 1455 करोड़ रुपए उड़ा लिए।
गुजरात के उधना थाने के इंस्पेक्टर एसएन देसाई ने बताया कि साइबर फ्रॉड का यह मामला तब सामने आया जब 28 मई को कीरत जादवानी, मीत खोखर और मयूर इटालिया को धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उनके पास से अलग-अलग लोगों को जारी किए गए 21 डेबिट कार्ड, 30 चेक बुक और छह पैन कार्ड बरामद किए गए।
उन्होंने बताया कि उधना में नियमित वाहन जांच के दौरान उनके एक साथी के पास विभिन्न फर्मों के पैन कार्ड और स्टाम्प पकड़े जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। देसाई ने बताया, "हमें पता चला कि तीनों ने पर्सनल ऋण के लिए आवेदन करने वाले लोगों के दस्तावेजों का उपयोग करके 165 बैंक खाते खोले थे। उन्होंने डिजिटल अरेस्ट, हवाला ट्रांसफर, वर्क फ्रॉड, सट्टेबाजी, शेयर बाजार धोखाधड़ी, ऑनलाइन धोखाधड़ी और ओटीपी धोखाधड़ी जैसे क्राइम के लिए साइबर अपराधियों को ये खाते पहुंचाए।"
देसाई ने बताया कि तीनों लोग टेलीग्राम ऐप के ज़रिए क्यूबा, थाईलैंड और मलेशिया में रहने वाले साइबर अपराधियों के संपर्क में आए। उन्होंने इन बैंक खातों के इस्तेमाल के लिए उन्हें कमीशन देने की पेशकश की। देसाई ने बताया, "हमें अब तक बैंक से इन 165 खातों में से 89 का विवरण प्राप्त हुआ है। साइबर जालसाजों द्वारा इन 89 खातों में सिर्फ़ छह महीनों में 1455 करोड़ रुपए का लेन-देन किया गया। इनमें से प्रत्येक खाते का इस्तेमाल कुछ दिनों के लिए दूसरे बैंक खातों या क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट में पैसे भेजने के लिए किया गया। अधिकारी ने बताया कि इनमें से कोई भी बैंक खाता सक्रिय नहीं है, क्योंकि पीड़ितों द्वारा शिकायत दर्ज किए जाने के तुरंत बाद उन्हें फ्रीज कर दिया गया था।
देसाई ने बताया कि शुरुआती जांच के अनुसार नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल को अब तक करीब 2500 शिकायतें मिली हैं, जिनमें से 265 शिकायतें गुजरात में हैं। इन 165 बैंक खातों का इस्तेमाल साइबर अपराधियों ने छह महीने में पूरे भारत में लोगों को ठगने के लिए किया। पकड़े गए तीनों लोग लोगों को पर्सनल लोन दिलाने का वादा करके उनके दस्तावेज इकट्ठा करते थे। उन दस्तावेजों का इस्तेमाल करके बैंक खाता खोलते थे और लोन आवेदन खारिज होने का दावा करते हुए मालिक को दस्तावेज लौटा देते थे।
देसाई ने कहा कि चूंकि वे ओटीपी प्राप्त करने के लिए बैंक खातों में अपना मोबाइल नंबर देते थे, इसलिए आवेदक को कभी पता ही नहीं चलता था कि उनके नाम पर बैंक खाता खोला गया है। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तीनों ने प्रत्येक बैंक खाते को 7 लाख से 17 लाख रुपए के एकमुश्त किराए पर दिया था और फिर खाते में कुल लेनदेन का 3 से 4 प्रतिशत कमीशन लिया था। उन्होंने कहा कि केवल छह महीनों में तीनों आरोपियों ने कमीशन से 10 करोड़ रुपए कमाए। प्रत्येक खाते में कुल 30 से 40 करोड़ रुपए तक की रकम जाती थी।
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