हिमाचल में चीन सीमा से सटे इलाके निहार सकेंगे लोग, CM सुक्खू करने जा रहे यह काम
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए ‘सीमा पर्यटन’ (बॉर्डर टूरिज्म) पहल की शुरुआत करेंगे।

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू हिमाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल करने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अपने आगामी दो दिवसीय किन्नौर दौरे के दौरान भारत-चीन सीमा से सटे शिप्की-ला गांव से ‘सीमा पर्यटन’ (बॉर्डर टूरिज्म) पहल की शुरुआत करेंगे। यह कवायद देशभर के पर्यटकों को लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों की अनछुई सुंदरता और वहां की जनजातीय संस्कृति से परिचित कराएगी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि यह ऐतिहासिक पहल हिमाचल के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे शिप्की-ला, लेपचला, ग्यू मठ, खाना दुमटी, सांगला, रानी कंडा, छितकुल और लाहौल-स्पीति के चयनित इलाकों तक आम पर्यटकों के आवागमन की दिशा में बड़ा कदम है। इससे इन दूरस्थ इलाकों की सांस्कृतिक विरासत और प्रकृति की अद्भुत छटा देश-दुनिया तक पहुंच सकेगी।
प्रवक्ता के अनुसार, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की पहल पर राज्य सरकार ने लगातार केंद्र सरकार के समक्ष यह मांग उठाई थी कि पर्यटन को सीमांत इलाकों तक ले जाया जाए। वर्षों की इस कोशिश का अब सकारात्मक नतीजा सामने आ रहा है। यह फहल जनजातीय क्षेत्रों में पर्यटन और विकास के नए रास्ते खोलने जा रही है।
अब तक इन संवेदनशील इलाकों में विशेष अनुमति के बिना जाना मुमकिन नहीं था, लेकिन नई व्यवस्था के तहत यह प्रक्रिया आसान कर दी गई है। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, अब स्थानीय लोग और प्रमाणित पर्यटक वैध पहचान पत्र दिखाकर इन क्षेत्रों में जा सकेंगे। सीमा की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी और सेना, तय प्रोटोकॉल के तहत आवागमन को सुरक्षित और सुगम बनाएंगी।
प्रवक्ता के मुताबिक, इस पहल का मकसद पर्यटन के जरिए सीमावर्ती क्षेत्रों में आजीविका के अवसर बढ़ाना, वहां की बुनियादी संरचना को मजबूत करना और स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से जोड़ना है। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि इन क्षेत्रों की विशिष्ट जनजातीय संस्कृति और पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू का यह कदम राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में परिवर्तनकारी साबित होगा। इससे राष्ट्रीय एकता की भावना को मजबूती मिलेगी और सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को भी विकास की रोशनी तक पहुंच मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश का किन्नौर और लाहौल-स्पीति जिला चीन के साथ लगभग 240 किलोमीटर की सीमा साझा करता है। इनमें लाहौल के चुमार क्षेत्र में 80 किमी और किन्नौर के डरोती से लेकर मुमरी डोगरी तक का 160 किमी क्षेत्र शामिल है, जो रणनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट- यूके शर्मा
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