सबका दुखड़ा नहीं सुन सकते, टॉप 15 अर्थव्यवस्थाओं से ही करेंगे बात; भारत पर ट्रंप का क्या रुख?
दर्जनों देशों पर डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को फिलहाल 90 दिनों यानी 9 जुलाई तक रोक दिया गया है लेकिन चीन के साथ व्यापार तनाव अभी कम होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बढ़ते व्यापार असंतुलन को कम करने के लिए इसी महीने 2 अप्रैल को दुनियाभर के देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स लगा दिया था, जिसे मुक्ति दिवस के रूप में प्रचारित किया गया। इसकी सबसे ज्यादा मार उसके मुख्य प्रतिद्वंद्वी चीन पर पड़ी। बाद में ट्रंप ने 90 दिनों के लिए अपनी टैरिफ योजना पर रोक लगा दी लेकिन चीन के साथ संघर्ष जारी रहा और कई चरणों में होते हुए अब अमेरिका ने चीन पर कुल 245 फीसदी तक का टैरिफ लगाया है, जबकि चीन ने अमेरिका से आने वाले सामानों पर कुल 125 फीसदी तक का टैक्स लगाया है।
इस बीच, दोनों देशों ने बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच नरमी दिखाई है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने दावा किया है कि चीन ने टैरिफ पर बातचीत के लिए संपर्क किया है। उन्होंने भी नरमी दिखाते हुए कहा है कि इस पर चर्चा शुरू हो चुकी है और उम्मीद है कि जल्द ही दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव कम होगा और टैरिफ विवाद सुलझ जाएगा। दोनों देशों के जवाबी शुल्क ने पूरी दुनिया में उथल-पुथल मचा रखा है। चीन भी अमेरिका को जवाब देने के लिए अपने निकटतम पड़ोसियों वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया को साधने में जुटा है।
अचानक ही नहीं नरम पड़े ट्रंप
उधर, इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने गुरुवार को राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की। इस दौरान अमेरिकी वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट ने राष्ट्रपति ट्रम्प और इतालवी प्रधानमंत्री के साथ ओवल ऑफिस में घोषणा की कि संयुक्त राज्य अमेरिका टैरिफ संकट पर दुनिया की 15 बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ बातचीत कर रहा है। यह अमेरिकी रुख में बड़ा बदलाव है। दरअसल, पिछले हफ़्ते जब ट्रम्प के रेसिप्रोकल टैरिफ प्रभावी हुए तो ना केवल दुनियाभर के बाजारों में इसे विपरीत प्रतिक्रिया देखने को मिली बल्कि अमेरिकी बाजार में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने 90 दिनों के लिए टैरिफ को रोक दिया।
टॉप-15 अर्थव्यवस्थाओं में कौन-कौन?
इसके बाद बारी-बारी से कई देशों ने अमेरिका से संपर्क किया। उन्हीं में से टॉप-15 अर्थव्यवस्थाओं से अमेरिका बातचीत कर रहा है। इन टॉप-15 अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका के साथ-साथ चीन, जापान, जर्मनी, भारत, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, इटली, ब्राजील, कनाडा, रूस, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन और मैक्सिको शामिल हैं। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव बेसेंट ने इन देशों का चुनाव उनकी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के आधार पर किया है। ये देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे अहम खिलाड़ी हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश और जीडीपी के लिए जिम्मेदार हैं। शीर्ष 15 में से चार यूरोपीय संघ के सदस्य हैं।
भारत के प्रति अमेरिका का क्या रुख
2 अप्रैल को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा यूरोपीय संघ (EU) के सभी निर्यातों पर 20% टैरिफ की घोषणा के बाद से मेलोनी ट्रंप से आमने-सामने मिलने वाले पहले यूरोपीय नेता हैं। उनकी बैठक के बाद ओवल ऑफिस में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान, ट्रंप ने ट्रेजरी सचिव से मौजूदा टैरिफ वार्ता पर फिर से विचार करने के लिए कहा है। इस पर बेसेन्ट ने कहा, "हमारे पास इसके लिए एक तय प्रक्रिया है और हम पहले 'बड़ी 15' अर्थव्यवस्थाओं पर काम कर रहे हैं। सभी की बातें एक साथ नहीं सुन सकते।" बेसेंट ने यह भी बताया कि भारत के साथ बहुत तेजी से टैरिफ समाधान पर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि एक दिन पहले जापान के साथ भी बहुत सकारात्मक बातचीत हुई है और EU पहले से ही बातचीत कर रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई के अगले हफ्ते दक्षिण कोरिया से भी टैरिफ पर बातचीत होने की संभावना है।
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