ट्रंप टैरिफ की मार खाकर अकेला पड़ रहा चीन, भारत और उसके दोस्त भी नहीं पूछ रहे
- चीन ने बातचीत करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अमेरिका ‘मक्कार’ है और वह शुल्क युद्ध में 'अंत तक लड़ेगा'। इसके बाद ट्रंप ने चीनी आयात पर कर की दर को और बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया।

अमेरिका द्वारा शुल्क बढ़ाए जाने के बाद चीन अन्य देशों से संपर्क साध रहा है और ऐसा लग रहा है कि बीजिंग अमेरिका को कदम पीछे हटाने के लिए मजबूर करने के लिए संयुक्त मोर्चा बनाने का प्रयास कर रहा है। चीन के गहन प्रयासों के बावजूद उसे कोई खास सफलता नहीं मिल रही है क्योंकि अधिकतर देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार युद्ध के केन्द्र में आए चीन के साथ गठजोड़ के इच्छुक नहीं प्रतीत हो रहे।
वैश्विक बाजार में मंदी की आशंका के बीच बुधवार को ट्रंप ने ज्यादातर देशों पर लगाए गए शुल्क को अचानक 90 दिनों के लिए स्थगित करने का फैसला किया, हालांकि उन्होंने चीन से आयात पर शुल्क की दर बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दी है। ट्रंप ने कहा कि ये देश अधिक अनुकूल शर्तों पर बातचीत करने के लिए राजी हैं।
चीन ने बातचीत करने से इनकार कर दिया था और कहा था कि अमेरिका ‘मक्कार’ है और वह शुल्क युद्ध में 'अंत तक लड़ेगा'। इसके बाद ट्रंप ने चीनी आयात पर कर की दर को और बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दिया। चीन ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिकी वस्तुओं पर 84 प्रतिशत शुल्क लगा दिया है, जो गुरुवार से प्रभावी हो गया है।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने गुरुवार को दैनिक ब्रीफिंग में कहा, 'उचित कारण हो तो कई लोग उसे समर्थन देते हैं। अमेरिका लोगों का समर्थन नहीं जीत सकता और अंत में विफल हो जाएगा।'
इन घटनाक्रम के बीच चीन ने अब यूरोप पर ध्यान केंद्रित किया है। चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच फोन पर बातचीत हुई जिसके जरिए 'दुनिया को एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की गई है।' दोनों एक दूसरे के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने अपनी एक खबर में कहा, 'चीन यूरोपीय संघ के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है ताकि चीन और यूरोपीय संघ के नेताओं के बीच जो समझ बनी है उस पर मिल कर अमल किया जा सके।'
चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंताओ और यूरोपीय संघ के व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त सेफकोविक के बीच अमेरिकी शुल्क के मुद्दे पर मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से चर्चा हुई।
शिन्हुआ ने अपनी खबर में वांग के हवाले से कहा कि शुल्क 'सभी देशों के वैध हितों का गंभीर उल्लंघन करते हैं, डब्ल्यूटीओ के नियमों का गंभीर उल्लंघन करते हैं, नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं और वैश्विक आर्थिक व्यवस्था की स्थिरता को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।'
इसमें कहा गया, 'यह एकतरफावाद, संरक्षणवाद और आर्थिक तौर पर परेशान करने का कार्य है। चीन परामर्श और बातचीत के माध्यम से मतभेदों को हल करने के लिए तैयार है लेकिन अगर अमेरिका अपने रूख पर अड़ता है तो चीन अंत तक लड़ेगा।' वांग ने आसियान देशों से भी बात की है जबकि प्रधानमंत्री ली ने व्यापारिक दिग्गजों से मुलाकात की है।
शिन्हुआ ने ली के हवाले से कहा कि चीन ने 'पूरा मूल्यांकन कर लिया है और सभी तरह की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए तैयार है और वह स्थिति के हिसाब से नीतियां पेश करेगा।'
देशों को लामबंद करने की चीन की कोशिशों के बीच ऐसा नहीं है सभी देश चीन के साथ जुड़ने में दिलचस्पी रखते हैं। बहुत से ऐसे देश जिनका चीन के साथ विवाद रहा है वे इसमें दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने संवाददाताओं से कहा, 'हम अपनी बात करते हैं और ऑस्ट्रेलिया का रुख यह है कि मुक्त और निष्पक्ष व्यापार ही अच्छा है। हम सभी देशों के साथ बातचीत करते हैं, लेकिन हम ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय हित के लिए खड़े हैं।'
माना जा रहा है कि भारत ने सहयोग संबंधी चीन के आह्वान को तवज्जो नहीं दी है। वहीं चीन का करीबी देश रूस पूरे परिदृश्य में कहीं नहीं है।
यह स्पष्ट नहीं है कि चीन आगे क्या कदम उठाएगा, लेकिन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन ने कहा कि चीन 'हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठेगा और चीनी लोगों को वैध अधिकारों और हितों से वंचित नहीं होने देगा, न ही हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को कमज़ोर होने देंगे।'
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