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भारत के खिलाफ जहर उगल रहे थे बिलावल भुट्टो, US ने चुप कराया; जैश को खत्म करने का दिया टास्क

पाकिस्तान में ईसाई, हिंदू और अहमदी समुदायों को बिना किसी हिंसा, भेदभाव या असमान न्याय के डर के अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनSat, 7 June 2025 06:19 AM
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भारत के खिलाफ जहर उगल रहे थे बिलावल भुट्टो, US ने चुप कराया; जैश को खत्म करने का दिया टास्क

भारत का नकल करना पाकिस्तान के लिए भारी पड़ गया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में अमेरिका पहुंचे पाकिस्तानी डेलिगेशन की बेइज्जती हो गई। अमेरिकी सांसद ब्रैड शर्मन ने गुरुवार को पाकिस्तान प्रतिनिधिमंडल को साफ और सख्त संदेश दिया। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने और खासकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को खत्म करने की बात कही, जिसने 2002 में पत्रकार डैनियल पर्ल की हत्या की थी।

ब्रैड शर्मन ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “मैंने पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल को आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई की अहमियत बताई, खासकर जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ, जिसने मेरे निर्वाचन क्षेत्र के निवासी डैनियल पर्ल की हत्या की थी। उनके परिवार वाले आज भी मेरे जिले में रहते हैं। पाकिस्तान को इस निकृष्ट आतंकी संगठन को खत्म करने के लिए हरसंभव कदम उठाना चाहिए।”

ब्रैड शर्मन ने कहा कि पाकिस्तान में ईसाई, हिंदू और अहमदी समुदायों को बिना किसी हिंसा, भेदभाव या असमान न्याय के डर के अपनी धार्मिक आस्था का पालन करने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति मिलनी चाहिए।

डॉ. शकील अफरीदी की रिहाई की अपील

अमेरिकी सांसद ने पाकिस्तान से डॉ. शकील अफरीदी को रिहा करने की भी मांग की, जिन्हें ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में CIA की मदद करने के लिए 33 साल की सजा दी गई है। उन्होंने कहा, “डॉ. अफरीदी की रिहाई 9/11 के पीड़ितों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

दिलचस्प बात यह है कि बिलावल भुट्टो का अमेरिकी दौरा उसी समय हुआ जब भारत से शशि थरूर के नेतृत्व में एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल वॉशिंगटन में मौजूद है। यह प्रतिनिधिमंडल "ऑपरेशन सिंदूर" और पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ नीति की जानकारी अमेरिकी अधिकारियों को दे रहा है। भुट्टो ने न्यूयॉर्क में UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस और सुरक्षा परिषद के राजदूतों से मुलाकात की। इसके बाद वह वाशिंगटन गए, जहां उन्होंने भारत के खिलाफ कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाने की कोशिश की, लेकिन इसके बजाय उन्हें अपने देश से आतंकवाद खत्म करने का निर्देश मिला।

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