ट्रंप ने 530,000 प्रवासियों की कानूनी सुरक्षा रद्द की, चार देशों पर असर; बड़े पैमाने पर होगा देश निकाला
- अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने पहले ही देश भर में छापेमारी तेज कर दी है। हाल के हफ्तों में प्रतिदिन लगभग 1,000 लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बड़ा और विवादास्पद कदम उठाते हुए 5 लाख 30 हजार आप्रवासियों की अस्थायी कानूनी स्थिति को रद्द कर दिया है। इस फैसले से क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला जैसे देशों से आए लोगों पर सीधा असर पड़ेगा, जिन्हें बाइडेन सरकार के दौरान मानवीय आधार पर अस्थायी संरक्षण और वर्क परमिट दिए गए थे।
ट्रंप प्रशासन के इस कदम से बड़े पैमाने पर निर्वासन की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना बढ़ गई है, जिससे आप्रवासी समुदायों में चिंता और अनिश्चितता का माहौल है। ट्रंप ने अपने चुनाव अभियान के दौरान अवैध आप्रवास को राष्ट्रीय आपातकाल बताते हुए सख्त नीतियों का वादा किया था। सत्ता में आने के बाद उन्होंने तेजी से इस दिशा में कदम उठाए हैं।
इस ताजा फैसले के तहत, जिन आप्रवासियों को बाइडेन प्रशासन ने "पैरोल" प्रोग्राम के जरिए अस्थायी राहत दी थी, उनकी स्थिति को खत्म करने की योजना है। अधिकारियों का कहना है कि इन लोगों को अब तेजी से निर्वासन प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें उन्हें बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के देश से बाहर किया जा सकता है।
अमेरिका के गृह सुरक्षा विभाग (डीएचएस) के अनुसार, इन चार देशों के वे प्रवासी जो अक्टूबर 2022 के बाद वित्तीय प्रायोजकों (स्पॉन्सर्स) के माध्यम से अमेरिका आए थे और जिन्हें दो साल की अस्थायी कानूनी अनुमति (पैरोल) मिली थी, उनकी यह स्थिति 24 अप्रैल को समाप्त हो जाएगी या फिर संघीय रजिस्टर में इस फैसले के प्रकाशन के 30 दिन बाद प्रभावी होगी। ट्रंप प्रशासन का यह फैसला पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा शुरू की गई पैरोल नीति को खत्म कर देता है, जिसके तहत इन प्रवासियों को अमेरिकी प्रायोजकों की मदद से हवाई मार्ग से देश में प्रवेश और अस्थायी निवास की अनुमति दी गई थी।
निर्वासन की प्रक्रिया शुरू
अमेरिकी आव्रजन और सीमा शुल्क प्रवर्तन (ICE) ने पहले ही देश भर में छापेमारी तेज कर दी है। हाल के हफ्तों में प्रतिदिन लगभग 1,000 लोगों को हिरासत में लिया जा रहा है, जो पिछले साल की औसत संख्या से तीन गुना अधिक है। ट्रंप प्रशासन ने निर्वासन को गति देने के लिए सैन्य विमानों का उपयोग शुरू किया है और ग्वांतानामो बे में 30,000 लोगों को रखने की क्षमता वाला एक विशाल डिटेंशन सेंटर बनाने की योजना भी सामने आई है। इसके अलावा, कुछ देशों जैसे वेनेजुएला और कोलंबिया के साथ प्रत्यावर्तन समझौते पर बातचीत चल रही है, हालांकि कुछ देश अपने नागरिकों को वापस लेने में अनिच्छा दिखा रहे हैं।
आप्रवासी समुदायों में डर
इस फैसले से प्रभावित होने वाले आप्रवासियों में से कई पिछले कुछ वर्षों से अमेरिका में रह रहे हैं और उन्होंने यहां नौकरी, घर और सामुदायिक जीवन स्थापित किया है। वेनेजुएला की एक मां नेदी अपने दो बच्चों के साथ सैन डिएगो में रहती हैं। उन्होंने कहा, "हमने बेहतर जीवन की उम्मीद में सब कुछ जोखिम में डाला था, लेकिन अब सब खत्म होता दिख रहा है।" आप्रवासी अधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि बड़े पैमाने पर निर्वासन से परिवार अलग हो जाएंगे और अमेरिकी अर्थव्यवस्था, खासकर कृषि और निर्माण जैसे क्षेत्रों पर बुरा असर पड़ेगा।
ट्रंप प्रशासन ने ‘पैरोल’ कार्यक्रम को बताया कानूनी दायरे से बाहर
पैरोल कार्यक्रम एक मानवीय नीति रही है, जिसका उपयोग अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने युद्ध और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे देशों के लोगों को अस्थायी रूप से अमेरिका में शरण देने के लिए किया था। हालांकि, ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस नीति का “दुरुपयोग” हो रहा था और इसे अब समाप्त किया जाना जरूरी था। डीएचएस ने कहा कि जिन प्रवासियों के पास अमेरिका में रहने के लिए कोई वैध आधार नहीं है, उन्हें अपने पैरोल की समाप्ति तिथि से पहले देश छोड़ना होगा। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले के बाद आधा मिलियन प्रवासियों के भविष्य पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इनमें से कितने प्रवासियों ने अमेरिका में कानूनी स्थिति पाने के लिए कोई वैकल्पिक प्रक्रिया पूरी कर ली है।
बाइडेन ने 2022 में शुरू किया था पैरोल कार्यक्रम
गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2022 में वेनेजुएलाई प्रवासियों के लिए एक पैरोल कार्यक्रम शुरू किया था, जिसे 2023 में क्यूबा, हैती और निकारागुआ के प्रवासियों के लिए भी बढ़ाया गया था। यह कदम बढ़ती अवैध प्रवासन समस्या से निपटने के लिए उठाया गया था। हालांकि, जब जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप ने दोबारा पदभार संभाला, तो उन्होंने आव्रजन नीतियों को सख्त करने के संकेत दिए। उन्होंने आरोप लगाया कि बाइडेन प्रशासन द्वारा चलाई जा रही पैरोल योजनाएं संघीय कानून की सीमाओं का उल्लंघन कर रही थीं। इसी के तहत ट्रंप ने 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी कर इन नीतियों को समाप्त करने का आदेश दिया था।
इस फैसले का असर लाखों प्रवासियों पर पड़ेगा, जिनमें से कई अब निर्वासन के खतरे का सामना कर सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस नीति के रद्द होने से अमेरिका में अवैध प्रवासन का संकट और बढ़ सकता है, क्योंकि प्रभावित प्रवासी कानूनी स्थिति न मिलने पर गुप्त रूप से रहना चुन सकते हैं।
राजनीतिक और कानूनी प्रतिक्रिया
ट्रंप के इस कदम की रिपब्लिकन नेताओं ने सराहना की है, उनका कहना है कि यह अवैध आप्रवास को रोकने के लिए जरूरी है। हालांकि, डेमोक्रेटिक नेताओं और मानवाधिकार संगठनों ने इसे "क्रूर" और "अमानवीय" करार दिया है। अमेरिकी नागरिक स्वतंत्रता संघ (ACLU) ने पहले ही कानूनी चुनौती देने की घोषणा की है। संवैधानिक विशेषज्ञों का कहना है कि जन्मजात नागरिकता को खत्म करने की कोशिश और तेजी से निर्वासन की नीतियां कानूनी लड़ाई को जन्म दे सकती हैं।
आगे क्या?
ट्रंप प्रशासन ने संकेत दिया है कि यह कदम उनकी व्यापक आप्रवास नीति का हिस्सा है, जिसमें "रिमेन इन मैक्सिको" नीति को फिर से लागू करना और सीमा पर सैन्य मौजूदगी बढ़ाना शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि आप्रवासियों की संख्या और अदालती मामलों की भारी संख्या को देखते हुए निर्वासन की प्रक्रिया में समय और संसाधनों की भारी जरूरत होगी। फिर भी, ट्रम्प ने कहा है, "हमारे देश को खतरे से बचाने के लिए कोई कीमत बड़ी नहीं है।"
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।