ईरान का वो परमाणु ठिकाना जहां पहुंचना भी इजरायल के लिए जंग जीतने जैसा, सिर्फ US भेद सकता है किला
ईरान के पवित्र शहर कोम में उसका सबसे रहस्यमयी परमाणु ठिकाना है, जिसे तबाह करना इजरायल के लिए जंग जीतने जैसा है, लेकिन उसके लिए यह मुमकिन नहीं। सिर्फ अमेरिका ही ऐसा कर सकता है।

ईरान और इजरायल के बीच जारी तनाव के बीच दुनिया की निगाहें इस वक्त ईरान के सबसे रहस्यमयी और अति-सुरक्षित परमाणु केंद्र 'फोर्दो न्यूक्लियर प्लांट' पर टिकी हैं। यह प्लांट ईरान के पवित्र शहर कोम के पास एक पहाड़ के भीतर, लगभग आधा मील (करीब 800 मीटर) नीचे स्थित है। यह वही जगह है जिसे पश्चिमी खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि अगर ईरान ने परमाणु हथियार बनाने का अंतिम फैसला लिया, तो फोर्दो ही उसकी सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित शरणस्थली बनेगी। यही वजह है कि यह ठिकाना सालों से इजरायल के निशाने पर है – लेकिन आज तक वह इसे छू भी नहीं सका।
फोर्दो न सिर्फ पहाड़ के भीतर छिपा है, बल्कि इसके चारों ओर सुरंगों और मजबूत रॉक शील्ड्स का जाल बिछा है, जिसे तोड़ना किसी आम बम के बस की बात नहीं। इसे नष्ट करने के लिए सिर्फ अमेरिका के पास मौजूद जेबीयू 57 A/B MOP जैसा 14000 किलो वजनी बम ही कारगर हो सकता है, जो इजरायल के पास नहीं है।
इस प्लांट को खत्म किए बिना इजरायल चैन से नहीं बैठने वाला और अगर ऐसा हो गया तो वहां रेडिएशन फैलने का खतरा रहेगा।
क्या है फोर्दो न्यूक्लियर प्लांट?
फोर्दो प्लांट 2009 में पहली बार दुनिया के सामने आया, जब पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियों ने इसका पर्दाफाश किया। ये प्लांट जमीन से लगभग आधा मील नीचे पहाड़ की चट्टानों के बीच बना हुआ है। इसे इस तरह बनाया गया है कि साधारण बमबारी से इसका कुछ नहीं बिगड़ेगा। यहां ईरान ने ऐसे सेंट्रीफ्यूज लगाए हैं जो 60% तक यूरेनियम को समृद्ध कर सकते हैं। यह स्तर हथियार-योग्य (90%) यूरेनियम के बहुत करीब है, इसलिए इजरायल अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है।
इजरायल क्यों चाहता है हमला?
इजरायल हमेशा से यह दावा करता रहा है कि ईरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है। फोर्दो प्लांट की बनावट और इसकी गोपनीयता ने इजरायल को चिंता में डाल रखा है। इजरायल को डर है कि अगर ईरान इस प्लांट में परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम तैयार कर लेता है, तो उसे रोक पाना नामुमकिन हो जाएगा। इसलिए इजरायल की कोशिश है कि फोर्दो को किसी भी हाल में निष्क्रिय किया जाए — चाहे वो हवाई हमला हो, साइबर अटैक हो या सीधी सैन्य कार्रवाई।
इजरायल के लिए नहीं आसान फोर्दो
यह प्लांट पहाड़ के अंदर इतनी गहराई में है कि आम बम या मिसाइल इसे छू भी नहीं सकते। अमेरिका के पास एक विशेष बम है — जेबीयू 57 A/B MOP, जो इतनी गहराई तक जा सकता है। इसके अलावा, इजरायल के फाइटर जेट (F-15I या F-35I) इतने भारी बम ले जाने में सक्षम नहीं हैं। इसलिए इजरायल के पास सीधा हमला करने का विकल्प बेहद मुश्किल और जोखिमभरा है।
अमेरिका के पास ही इसे भेदने की ताकत
हम जिस भारी-भरकम जेबीयू 57 A/B MOP बम की बात कर रहे हैं, यह अमेरिका का सबसे भारी गैर-परमाणु बम है, जिसे बोइंग ने डिजाइन किया है। इसका वजन लगभग 14 हजार किलोग्राम है और लंबाई करीब 20.5 फीट (6.2 मीटर) है। यह बम विशेष रूप से धरती के अंदर छिपे और अत्यधिक सुरक्षित ठिकानों को तबाह करने के लिए बनाया गया है। यह बम 130 फीट (लगभग 40 मीटर) तक की चट्टानों और 200 फीट (61 मीटर) तक के कंक्रीट बंकरों को भेद सकता है।
फोर्दो की गहराई और मजबूती को देखते हुए इसे नष्ट करने की क्षमता सिर्फ अमेरिका के जेबीयू 57 A/B MOP बम के पास ही है। इजरायल के पास ऐसे बॉम्बर्स नहीं हैं, जो इसे गिरा सकें। इजरायल लंबे समय से अमेरिका से इस बम को मांगता रहा है, लेकिन तकनीकी और राजनीतिक कारणों से अमेरिका ने अब तक इसे ट्रांसफर नहीं किया है।
इजरायल के पास क्या विकल्प?
जानकारों का मानना है कि इस परमाणु प्लांट को निशाना बनाने के लिए इजरायल के पास तीन विकल्प हैं। पहला अमेरिका से मदद लेना- इजरायल चाहता है कि अमेरिका या तो यह बम उसे दे या फिर खुद फोर्दो पर हमला करे। दूसरा साइबर अटैक- इजरायल पहले भी ईरान के नतांज प्लांट को स्टक्सनेट वायरस से नुकसान पहुंचा चुका है और तीसरी है गुप्त ऑपरेशन, जैसे ईरानी वैज्ञानिकों की हत्या या प्लांट के भीतर तोड़फोड़।
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