ईरान की न्यूक्लियर रफ्तार ने सऊदी अरब की बढ़ा दी बेचैनी, क्यों याद आया 7 साल पुराना संकल्प
- ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत करीब है और कभी भी ऐसा कर सकता है। यह बात कही है अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के महानिदेशक ने। उनके बयान से सऊदी अरब का 7 साल पुराना बयान चर्चा में है।

अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने बड़ा खुलासा करते हुए चेताया है कि ईरान अब परमाणु बम बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका है। IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने फ्रेंच अखबार Le Monde से बातचीत में कहा कि "ईरान के पास अब सभी 'टुकड़े' मौजूद हैं और अब वो कभी भी इन टुकड़ों को जोड़कर परमाणु बम बना सकता है।" आईएईए चीफ के इस बयान ने सऊदी की बैचेनी बढ़ा दी है। ऐसा इसलिए, क्योंकि 2018 में क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने स्पष्ट रूप से कहा था कि वह परमाणु बम बनाने की इच्छा नहीं रखते, लेकिन अगर ईरान ऐसा करता है तो उसे भी इस दिशा में कदम उठाना पड़ेगा। दरअसल, शिया बहुल देश ईरान और सुन्नी मुल्क सऊदी अरब के बीच रिश्ते अच्छे नहीं माने जाते और दोनों एक-दूसरे को अपना प्रतिद्वंद्वी मानते हैं।
इस्लामिक देशों में सिर्फ पाकिस्तान ही है, जो परमाणु संपन्न देश है। ईरान भी लंबे समय से परमाणु हथियार बनाने की कोशिश करता रहा है, लेकिन अमेरिकी धमकी और प्रतिबंधों के चलते ऐसा अभी तक मुमकिन नहीं हो पाया। अब ऐसे में ग्रॉसी के बयान ने सिर्फ मिडिल ईस्ट ही नहीं, दुनिया भर में हड़कंप मचा दिया है। ग्रॉसी जल्द ही ईरान की राजधानी तेहरान के दौरे पर जा रहे हैं, जहां वे ईरानी अधिकारियों के साथ हालिया परमाणु गतिविधियों पर बातचीत करेंगे।
सऊदी अरब में हड़कंप, पुराना बयान फिर चर्चा में
IAEA की इस चेतावनी के बाद सऊदी अरब में कूटनीतिक हलचल तेज हो गई है। दरअसल, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने 2018 में कहा था कि अगर ईरान परमाणु हथियार बनाता है, तो सऊदी अरब भी उसी दिशा में कदम उठाएगा। उस वक्त CBS न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "सऊदी अरब किसी भी परमाणु हथियार को हासिल नहीं करना चाहता, लेकिन अगर ईरान बम बनाता है, तो हम भी बहुत जल्द वही करेंगे।"
इसके बाद 2022 और 2023 में भी उन्होंने और अन्य सऊदी अधिकारियों ने इस संकल्प को दोहराया। सितंबर 2023 में Fox News को दिए इंटरव्यू में प्रिंस सलमान ने साफ कहा था, “अगर ईरान बम बनाता है, तो हमें भी बनाना होगा।”
खतरनाक हालात
राफेल ग्रॉसी के मुताबिक, ईरान की मौजूदा स्थिति को हल्के में नहीं लिया जा सकता। उन्होंने संकेत दिया कि 2015 में हुए ईरान न्यूक्लियर डील (JCPOA) के टूटने के बाद ईरान ने फिर से अपने संवेदनशील परमाणु कार्यक्रम को गति दी है। ट्रम्प प्रशासन ने 2018 में इस डील से अमेरिका को बाहर निकाला था, और तब से ईरान ने अपनी युरेनियम संवर्धन प्रक्रिया को उस स्तर तक पहुंचा दिया है जिससे बम बनाना संभव हो सकता है।
मिडिल ईस्ट में न्यूक्लियर होड़?
जानकारों का मानना है कि अगर ईरान वाकई परमाणु हथियार बना लेता है, तो मिडिल ईस्ट में परमाणु हथियारों की होड़ शुरू हो सकती है। सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की और मिस्र जैसे देश भी अपनी रणनीतियां बदल सकते हैं। IAEA की इस रिपोर्ट ने वैश्विक ताकतों के बीच तनाव को और भी बढ़ा दिया है — और ऐसे में सभी की निगाहें अब तेहरान में होने वाली बातचीत पर टिकी हैं।
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