आर्थिक शक्ति भारत से गहरे रिश्ते बनाएं, ट्रंप की धमकियों के बीच ईरान के खामेनेई का संदेश
- ईरान और भारत के बीच पहले से ही मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। तेल और गैस के क्षेत्र में भारत ईरान का एक प्रमुख साझेदार रहा है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टैरिफ धमकियों के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई ने भारत जैसे आर्थिक केंद्रों के साथ व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई है। उन्होंने भारत के अलावा, चीन और रूस का भी जिक्र किया। मंगलवार को अपने एक बयान में, खामेनेई ने कहा कि ईरान को पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देते हुए व्यापारिक संबंधों का विस्तार करना चाहिए और भारत जैसे देशों के साथ आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब ट्रंप ने वैश्विक व्यापार पर कड़े टैरिफ लगाने की घोषणा की है, हालांकि इन्हें 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया गया है।
खामेनेई का बयान और भारत का महत्व
ईरान के सर्वोच्च नेता ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, "हमें पड़ोसी देशों को प्राथमिकता देते हुए व्यापारिक संबंधों का विस्तार करना चाहिए। एशिया के आर्थिक केंद्रों जैसे चीन, रूस और भारत के साथ आर्थिक संबंधों को सुगम बनाना चाहिए।" खामेनेई का यह बयान ट्रंप की टैरिफ नीतियों के जवाब में एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जा रहा है। भारत एशिया में एक उभरता हुआ आर्थिक केंद्र माना जाता है। ऐसे में भारत ईरान के लिए महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार बन सकता है।
ट्रंप की टैरिफ नीति और वैश्विक प्रभाव
ट्रंप ने हाल ही में अपनी "लिबरेशन डे" टैरिफ नीति की घोषणा की थी, जिसमें कई देशों पर भारी टैरिफ लगाने की बात कही गई थी। हालांकि, वैश्विक स्तर पर चिंताओं के बाद, उन्होंने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। विशेष रूप से, चीन पर 145% तक के टैरिफ लगाए गए हैं, जिसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर 125% टैरिफ लागू किए हैं। इस व्यापार युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता पैदा कर दी है, और ईरान जैसे देश अब वैकल्पिक व्यापारिक साझेदारों की तलाश में हैं।
ईरान-भारत संबंध और भविष्य की संभावनाएं
ईरान और भारत के बीच पहले से ही मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध रहे हैं। तेल और गैस के क्षेत्र में भारत ईरान का एक प्रमुख साझेदार रहा है। खामेनेई के बयान के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश के नए अवसर खुल सकते हैं। इसके अलावा, यह भी बताया गया है कि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची जल्द ही भारत का दौरा करेंगे, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती मिल सकती है।
चाबहार बंदरगाह और भारत-ईरान सहयोग
चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह भारत और ईरान के बीच आर्थिक सहयोग का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। भारत ने इस बंदरगाह के विकास में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसे मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक व्यापारिक पहुंच के लिए एक रणनीतिक गलियारे के रूप में देखा जाता है। चाबहार बंदरगाह न केवल भारत को पाकिस्तान से गुजरे बिना अफगानिस्तान तक पहुंच प्रदान करता है, बल्कि ईरान के लिए भी वैश्विक व्यापार में एक महत्वपूर्ण केंद्र बन सकता है। खामेनेई के हालिया बयान के बाद, यह उम्मीद की जा रही है कि चाबहार बंदरगाह के माध्यम से दोनों देशों के बीच व्यापार और बुनियादी ढांचे के सहयोग को और बढ़ावा मिलेगा।
ईरान की आर्थिक चुनौतियां और रणनीति
ईरान लंबे समय से अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहा है, जिसने उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 2018 में ईरान के साथ परमाणु समझौते से अमेरिका के हटने के बाद स्थिति और जटिल हो गई थी। वर्तमान में, ईरान अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए नए व्यापारिक साझेदारों की तलाश में है। खामेनेई का भारत, चीन और रूस पर ध्यान केंद्रित करना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। भारत वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। ईरान के साथ व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना भारत के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, विशेष रूप से ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में। साथ ही, भारत की तटस्थ कूटनीतिक नीति उसे ईरान जैसे देशों के साथ सहयोग करने का एक अनुकूल मंच प्रदान करती है।
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