सामाजिक भेदभाव का नया जरिया इंटरनेट, खाई और हो रही चौड़ी; CJI गवई ने क्यों कहा ऐसा?
मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 'न्याय तक पहुंच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर बोल रहे थे। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समाज के निचले पायदान पर खड़े लोगों तक भी तकनीकि सुलभ होनी चाहिए।

देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने कहा है कि सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में इंटरनेट समाज को विभाजन की ओर ले जा रहा है। उन्होंने 'न्याय वितरण प्रणाली में टेक्नोलॉजी की दोहरी भूमिका' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दौर में इंटरनेट सामाजिक भेदभाव का एक नया उपकरण बन गया है। उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इंटरनेट कनेक्टिविटी, उपकरणों और डिजिटल साक्षरता तक समाज के सभी वर्गों की असमान पहुंच से हाशिए पर पड़े समुदायों का बहिष्कार हो सकता है, जो पहले से ही न्याय के लिए कई किस्म की बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
सीजेआई गवई ने कहा, "वास्तविकता में न्याय प्रदान करने की दिशा में पहुंच और समावेशन के आधार पर टेक्नोलॉजी को डिजाइन का आधार होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि डिजिटल उपकरणों को न्यायिक तर्क की सहायता करनी चाहिए, न कि उसे रिप्लेस करना चाहिए। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी को न्यायिक कार्यों, विशेष रूप से तर्कसंगत निर्णय लेने और व्यक्तिगत मामले के आकलन को रिप्लेस करने के बजाय बढ़ाना चाहिए।" उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का डिजायन ऐसा हो जो सभी की पहुंच तक सुलभ हो।
AI के उपयोग के लिए मानक विकसित हों: CJI
CJI गवई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में 'न्याय तक पहुंच को बेहतर बनाने में प्रौद्योगिकी की भूमिका' विषय पर बोल रहे थे। अपने संबोधन में उन्होंने अदालतों में टेक्नोलॉजी के आधार पर हो रहे बदलावों को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत ढांचे की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि अदालतों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग के लिए मानक विकसित किए जाने चाहिए।
स्वचालित उपकरणों पर आंख मूंदकर भरोसा न करें: CJI
उन्होंने कहा, "नीतियों में हस्तक्षेप के बिना न्याय वितरण प्रणाली में कोई क्रांति नहीं आ सकती।" सीजेआई गवई ने स्वचालित कानूनी उपकरणों पर आंख मूंदकर भरोसा करने के खिलाफ भी चेतावनी दी है। उन्होंने एल्गोरिदमिक पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डिजिटाइजेशन ने देरी को कम किया है और निगरानी तंत्र में सुधार किया है, लेकिन इन प्रगति को संवैधानिक मूल्यों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने आगे कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ने दूरदराज के क्षेत्रों के वकीलों को भी सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित होने की अनुमति देकर अदालतों तक पहुंच को लोकतांत्रिक बना दिया है। इसी तरह समाज में निचले तबके को भी तकनीक का लाभ मिलना चाहिए, जो अभी भी उनके लिए दूर की कौड़ी है।