ट्रंप के आगे सरेंडर कर दो, वरना कुछ नहीं बचेगा; ईरानी अधिकारियों ने खामेनेई को क्यों दी वार्निंग
- US and Iran Tension: अमेरिका और ईरान में परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनातनी के बीच नई रिपोर्ट सामने आई है। बताया जा रहा है कि अमेरिका संग वार्ता से पहले ईरान के टॉप अधिकारियों ने खामेनेई को चेताया था।

US and Iran Tension: अमेरिका और ईरान के बीच बीते दिनों परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता हुई है। यह वार्ता ओमान के मस्कट शहर के बाहरी इलाके में आयोजित की गई थी, जिसमें डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने भाग लिया। इस बैठक में ओमान के विदेश मंत्री की मध्यस्थता रही और दोनों पक्षों ने 19 अप्रैल को अगली वार्ता के लिए सहमति जताई है। इस वार्ता को लेकर अब चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामेनेई पहले अमेरिका से परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई भी डील करने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन ईरानी अधिकारियों ने खामेनेई को चेताया कि अगर हमने ट्रंप के आगे सरेंडर नहीं किया तो हमारे पास कुछ नहीं बचेगा, सरकार तो जाएगी ही, फिर तबाही से अपने भी दुनिया से छूटेंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरानी संसद और न्यायपालिका के प्रमुखों ने खामेनेई से आग्रह किया कि यदि अमेरिका और इज़रायल द्वारा सैन्य कार्रवाई रोकनी है, तो वार्ता जरूरी है। उन्हें बताया गया कि अगर वार्ता न हुई या असफल रही, तो नेतांज़ और फोर्दो जैसे परमाणु ठिकानों पर हमला "अपरिहार्य" होगा। राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियन ने भी खामेनेई से कहा कि देश की आर्थिक और आंतरिक स्थिति अब युद्ध नहीं झेल सकती। दोनों देशों के बीच यह वार्ता दशकों से चले आ रहे तनावपूर्ण संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकती है। हालांकि, वार्ता की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि दोनों पक्ष कितनी ईमानदारी और लचीलापन दिखाते हैं।
यह वार्ता एक सकारात्मक कदम है, लेकिन ट्रंप ने चेतावनी दी है कि यदि समझौता नहीं होता है तो ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई की जा सकती है। ईरानी अधिकारियों ने भी संकेत दिया है कि यदि वार्ता विफल होती है, तो वे अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को हथियार-स्तर तक बढ़ा सकते हैं।
खामेनेई ने क्या रखी हैं शर्तें
ईरानी अधिकारियों के दबाव में खामेनेई अमेरिका संग परमाणु कार्यक्रम को लेकर वार्ता पर मान तो गए हैं, लेकिन उन्होंने कुछ शर्ते भी रखी हैं। जिसमें ईरान कुछ हद तक यूरेनियम संवर्धन कम करने और सख्त निगरानी पर बातचीत को तैयार है।
लेकिन मिसाइल कार्यक्रम पर कोई चर्चा नहीं होगी, जो ईरान के अनुसार उसकी रक्षा नीति का हिस्सा हैॉ और यह अमेरिका के लिए एक “डील ब्रेकर” हो सकता है। ईरान अपने क्षेत्रीय नीति के साथ आतंकी पार्टनर हमास, हिजबुल्लाह और हूती जैसे समूहों के समर्थन पर चर्चा के लिए "खुला" है।
उधर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर कोई समझौता नहीं हुआ तो ईरान को "बहुत बुरा दिन" देखना पड़ सकता है। अमेरिका ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए प्रतिबद्ध है।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।