Israel and Iran had a great friendship how did they become enemies इजरायल और ईरान में थी जबरदस्त दोस्ती, कैसे बन गए जानी दुश्मन; एक दूसरे को मिटाने पर आमादा, International Hindi News - Hindustan
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इजरायल और ईरान में थी जबरदस्त दोस्ती, कैसे बन गए जानी दुश्मन; एक दूसरे को मिटाने पर आमादा

कभी इजरायल और ईरान में दोस्ती हुआ करती थी। हालांकि इस्लामिक क्रांति के बाद जब ईरान इस्लामिक रिपब्लिक बन गया तो इजरायल की दोस्ती दुश्मनी में बदल गई।

Ankit Ojha लाइव हिन्दुस्तानTue, 17 June 2025 07:27 PM
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इजरायल और ईरान में थी जबरदस्त दोस्ती, कैसे बन गए जानी दुश्मन; एक दूसरे को मिटाने पर आमादा

इजरायल और ईरान आज एक दूसरे के जानी दुश्मन बने हुए हैं। इजरायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों और सैन्य अड्डों को निशाना बनाया। इसके बाद ईरान ने ईरान पर ताबड़तोड़ हमले किए। इजरायल ने ईरान के कई सैन्य अधिकारियों को भी मारने का दावा किया है। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने खामेनेई को भी मारने का ऐलान कर दिया है। इजरायल का कहना है कि वह केवल अपने बचाव के लिए यह कार्रवाई कर रहा है। इजरायल का लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को असफल करना और उसकी ताकत को कम करना है।

एक दूसरे के खून के प्यासे इजरायल और ईरान हमेशा ऐसे ही नहीं थे। 1948 में जब इजरायल अस्तित्व में आया था तब पश्चिम एशिया के ज्यादातर मुस्लिम देशों ने उसे मान्यता देने से इनकार कर दिया था। उस समय केवल ईरान और तुर्की ने ही इजरायल को एक राष्ट्र की मान्यता दे दी थी।

दरअसल शीत युद्ध के समय शाह मोहम्मद रजा पहलवी के नेतृत्व में ईरान अमेरिका का सहयोगी बना हुआ था। वहीं 1979 में शाह मोहम्मद रजा पहलवी के राजशाही शासन का विरोध होने लगा। ईरान शिया बहुल देश है। वहीं इस देश का अमेरिका और इजरायल की तरफ झुकाव वहां के मौलानाओं और मौलवियों को रास नहीं आ रहा था। इसके बाद धार्मिक नेता पश्चिम की ओर झुकाव से नाराज हो गए।

अगस्त 1978 की बात है ईरान एक एक सिनेमा हॉल में आग लग गई। यहीं से जनता पहलवी के विरोध में जाने लगी। इस घटना के बाद शाह पहलवी के खिलाफ आंदोलन शुरू हो गए। उस समय आयातुल्लाह खामेनेई फ्रांस में थे। उसके इशारे पर ईरान में प्रदर्शन तेज हो रहे थे। 1979 आते-आते ईरान में गृह युद्ध जैसा माहौल बन गया। इसके बाद शाह पहलवी को देश छोड़कर भागना पड़ गया।

इसके बाद आयातुल्लाहरुहोल्लाह खामेनेई ईरान लौटे और उन्होंने ईरान में इस्लामिक शासन की स्थापना कर दी। वह खुद ईरान के सुप्रीम लीडर बन गए। उनके निधन के बाद यह जिम्मेदारी आयातुल्लाह अली खामेनेई को सौंपी गई। 1979 की इसी इस्लामिक क्रांति से ईरान और इजरायल के बीच रिश्ते एकदम से बदल गई। शाह के तख्तापलट के बाद रुहोल्लाह खामेनेई ने इस्लामिक गणराज्य बनाया जो कि इजरायल का विरोधी था।

इसके बाद ईरान ने इजरायल का पोसपोर्ट स्वीकार करना बंद कर दिया। ईरान के लोगों का उस इलाके में जाना बंद कर दिया गया जहां इजरायल का कब्जा था। खामेनेई ने इजरायल को इस्लाम का दुश्मन बता दिया और इसे छोटा शैतान घोषित कर दिया। ईरान इजरायल के खिलाफ सशस्त्र समूहों को खड़ा करने लगा। गाजा में हमास, यमन में हूती और लेबनान में हिजबुल्लाह की फंडिंग ईरान से होने लगी। ऐसे में इजरायल और ईरान दोनों जानी दुश्मन बन गए। ईरान फिलिस्तीन के समर्थन में आ गया और इजरायल ईरान का कट्टर दुश्मन हो गया।

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