अवैध प्रवासियों के खिलाफ कानून पर डोनाल्ड ट्रंप करने जा रहे साइन, हजारों भारतीयों पर असर
- अमेरिकी संसद ने बुधवार को लैकेन रिले विधेयक को अंतिम मंजूरी दे दी है। इस कानून का मकसद अवैध प्रवासियों पर नकेल कसना है। शपथ लेने के बाद यह पहला कानून होगा जिस पर ट्रंप हस्ताक्षर करेंगे।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रवासियों के मुद्दे पर सख्ती से कदम बढ़ा रहे हैं। बुधवार को अमेरिकी कांग्रेस ने लैकेन रिले अधिनियम को मंजूरी दे दी है। इसके बाद अब इस विधेयक को कानून में बदलने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। शपथ लेने के बाद यह पहला ऐसा कानून होगा जिस पर ट्रंप हस्ताक्षर करेंगे। डेमोक्रेट्स के एक बड़े गुट ने रिपब्लिकन के साथ मिलकर इस प्रस्ताव को 263-156 वोटों से पारित कर दिया। वहीं इस कानून को अवैध प्रवासियों के लिए तीन दशकों में कांग्रेस द्वारा पारित किया गया सबसे महत्वपूर्ण कानून कहा जा रहा है।
लैकेन रिले अधिनियम का नाम जॉर्जिया के एक नर्सिंग छात्र के नाम पर रखा गया था, जिसकी पिछले साल वेनेजुएला के एक शख्स ने हत्या कर दी थी। इस अधिनियम का उद्देश्य अवैध प्रवासियों पर नकेल कसने के साथ साथ ऐसे देशों को संबोधित करना है जो अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार करते हैं। इस कानून से अमेरिका में बड़ी संख्या में रह रहे भारत सहित कई देशों के प्रवासी प्रभावित होंगे।
क्या हैं प्रवधान?
कानून के कुछ प्रमुख प्रावधानों की बात करें तो यह कानून अनिवार्य करता है कि देश अपने नागरिकों को वापस लेने में सहयोग करें जो अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हैं। इसमें व्यक्ति की राष्ट्रीयता की पुष्टि करना, ट्रैवल डॉक्यूमेंट जारी करना और उनकी वापसी को स्वीकार करना शामिल है। अगर इन्हें नहीं माना गया तो अमेरिकी राज्य वीजा रद्द करने के लिए मुकदमा कर सकते हैं। आसान भाषा में कहें तो अगर कोई देश अपने प्रत्यावर्तन दायित्वों को पूरा नहीं कर पाता है, तो राज्य वीजा प्रतिबंध लगाने के लिए अदालतों में याचिका दायर कर सकते हैं।
भारतीयों पर पड़ सकता है ये असर
अगर भारत ने अपने अप्रवासियों को स्वीकार करने में सहयोग नहीं किया तो अमेरिकी राज्य भारतीय नागरिकों को जारी किए गए वीजा को रद्द या निलंबित करने के लिए कोर्ट जा सकते हैं। इसमें H-1B वीजा भी शामिल हैं, जो भारतीय पेशेवरों के लिए जरूरी दस्तावेज हैं। वहीं पारंपरिक कूटनीतिक चर्चाओं के उलट, यह अधिनियम प्रतिबंध लगाने की शक्ति कोर्ट को देता है, जिससे कूटनीतिक बातचीत की भूमिका कम हो जाती है। ऐतिहासिक रूप से भारत और अमेरिका के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंध रहे हैं और भारत ने निर्वासन प्रयासों में सहयोग किया है। हालांकि इस मामले में सहयोग ना करने पर दूरियां बढ़ सकती हैं।
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