जाफर एक्सप्रेस में कैसे बीते 36 घंटे; पाकिस्तानी बंधकों ने बयां किया खूनी खेल का एक-एक मंजर
- पाक के बलूचिस्तान में BLA के विद्रोहियों ने करीब 36 घंटों तक जाफर एक्सप्रेस पर कब्जा रखा था। उस दौरान ट्रेन में करीब 450 से ज्यादा लोग सवार थे। लोगों ने उस खौफ के मंजर को याद कर आपबीती सुनाई है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से आई ट्रेन हाईजैक की खबर ने पूरी दुनिया में सनसनी मचा दी। बीते मंगलवार को बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) के विद्रोहियों ने बलूचिस्तान में मौजूद गुडलार और पीरू कुनरी के सुदूर इलाके में 440 यात्रियों को ले जा रही जाफर एक्सप्रेस ट्रेन पर घात लगाकर हमला कर दिया था। इस हमले में कम से कम 20 यात्रियों और पाकिस्तानी सेना के दर्जनों सैनिकों के मारे जाने की खबर है। वहीं सेना ने बुधवार को सभी 33 आतंकवादियों को मार गिराए जाने का दावा किया है। इस बीच विद्रोहियों की कैद से रिहा हुए कुछ लोगों ने उस खौफ के मंजर को याद करते हुए आपबीती सुनाई है।
इससे पहले गुरुवार को 25 पीड़ितों के शव को क्वेटा लाया गया। विद्रोहियों की कैद से बचकर आए यात्रियों ने बताया है कि रिहा होने से पहले वे कई घंटों तक फर्श पर दुबके रहे। गुरुवार को बंधकों में से एक अर्सलान यूसुफ ने रॉयटर्स को बताया कि हमलावरों ने पहले ट्रेन की पटरी में विस्फोट किया था। यूसुफ ने बताया, “विद्रोही रॉकेट लांचर, बंदूकों और अन्य हथियारों से लैस थे और उन्होंने ट्रेन पर हमला कर दिया और लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं। यूसुफ ने कहा कि आतंकियों ने यात्रियों से उनकी पहचान पूछी और फिर अलग-अलग समूह में बांट दिया। यूसुफ ने आगे बताया, "बीच बीच में वे कुछ सैनिकों को पकड़ लेते थे। और उन्हें मार देते थे।" वे खास लोगों को निशाना बनाते थे। विरोध करने पर उन्होंने कई लोगों को हमारी आंखों के सामने मार डाला।" एक अन्य यात्री मुहम्मद तनवीर ने बताया कि लोग इस दौरान सिर्फ पानी पीकर जिंदा रहें।
लोग छोड़ चुके थे बचने की उम्मीद
ट्रेन चालक अमजद ने भी इस घटना को याद करते हुए बताया, "विद्रोही खिड़कियों को तोड़कर ट्रेन में घुसे, लेकिन उन्हें लगा कि हम मर चुके हैं।” उन्होंने बताया कि गोलीबारी शुरू होने के बाद वे लोग इंजन के फर्श पर छिप गए थे। वह करीब 27 घंटे तक वहीं छिपे थे। 31 वर्षीय महबूब अहमद को इस हमले में कई गोलियां लगी हैं। उन्होंने बताया कि लोग ट्रेन से भागने की कोशिश कर रहे थे और कुछ सफल भी रहे। हालांकि उन्होंने अधिकतर को गोलियों से भून डाला। उन्होंने कहा, “हम बचने की उम्मीद लगभग खो चुके थे।”
‘सांस रोके हुए थे’
एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी इशाक नूर ने बताया, "हम गोलीबारी के दौरान अपनी सांस रोके हुए थे। यह नहीं जानते थे कि आगे क्या होगा।" मुहम्मद नूर ने बीबीसी को बताया कि जब एक घंटे के बाद गोलीबारी की रुक गई तो हथियारबंद लोगों ने ट्रेन का दरवाजा जबरन खोला और अंदर घुस गए। उन्होंने कहा "बाहर निकल जाओ नहीं तो गोली मार देंगे।” मुहम्मद ने कहा कि उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया और जब उन्होंने विद्रोहियों को बताया कि उनकी पत्नी अभी भी ट्रेन में हैं उन्होंने उसे भी बाहर निकाल लिया।” उन्होंने बताया, “फिर उन्होंने हमें सीधे जाने और पीछे मुड़कर न देखने को कहा।”
BLA ने लगाए आरोप
इन सब के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गुरुवार को बलूचिस्तान का दौरा किया है। शरीफ ने शहर में सांसदों और सैन्य अधिकारियों की एक बैठक में कहा है कि पाकिस्तान के इतिहास में ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई। वहीं बीएलए ने कहा कि पाकिस्तान ने जिन लोगों को बचाने का "दावा" किया था, उन्हें वास्तव में समूह ने ही छोड़ा था। समूह ने दावा किया है कि पाकिस्तान की सरकार झूठ कह रही है और यह जंग अभी खत्म नहीं हुई है।
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