अपने नुकसान को छिपाने में जुटा पाकिस्तान, अमेरिका के भरोसे करना चाहता है भरपाई
भारत के साथ चार दिन उलझकर ही पाकिस्तान को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं पाकिस्तान इस नुकसान को छिपाना चाहता है। उसने यह कबूल किया है कि वह इस नुकसान की भरपाई अमेरिका के साथ ट्रेड डील से करेगा।

भारत ने चार दिन में ही पाकिस्तान को छठी का दूध याद दिला दिया। इसके बाद अब पाकिस्तान किसी तरह से अपने नुकसान को छिपाने की कोशिश में लगा हुआ है। दूसरी तरफ वह यह भी कबूल कर रहा है कि उसे जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई अमेरिका के साथ ट्रेड डील से हो जाएगी। पाकिस्तान के वित्त मंत्री मोहम्मद औरंगजेब ने कहा कि युद्ध में इतना नुकसान नहीं हुआ कि फिर से इकनॉमिक असेसमेंट करना पड़े। बता दें कि पाकिस्तान की हालत पहले से ही इतनी खराब है कि वहां की आवाम को रोटियों के लाले हैं। ऐसे में पाकिस्तान की सरकार का यह बड़बोलापन आसानी से समझा जा सकता है।
औरंगजेब ने कहा, अमेरिका के साथ ट्रेड डील नेभी दोनों देशों में सीजफायर करवाने में बड़ी भूमिका निभाई है। जल्द ही यह आगे बढ़ सकती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ ट्रेड डील को आगे बढ़ाएगा। अब इसको लेकर पाकिस्तान इतराने लगा है। अमेरिका ने पाकिस्तान पर 29 फीसदी टैरिफ लगाया था। हालांकि 90 दिन की राहत मिलने की वजह से यह टैरिफ लागू नहीं किया गया है।
पाकिस्तान अपनी आदत के मुताबिक दुनियाभर में भीख मांगकर काम चला रहा है। भारत से तनाव के बीच भी उसे आईएमएफ से 1.4 अरब डॉलर का कर्ज मिला। अगले ही महीने पाकिस्तान सरकार बजट का ऐलान करेगी। औरंगजेब से जब सेना के बजट को बढ़ाने की बात पूछी गई तो वह कन्नी काट गए। दरअसल पाकिस्तान कर्ज पर ही चल रहा है। ऐसे में रक्षा बजट बढ़ाना भी टेढ़ी खीर है।
चार दिन के बाद ही पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और वह अमेरिका समेत कई देशों से सीजफायर करवाने की मिन्नतें करने लगा। भारत ने कहा कि वह कभी युद्ध नहीं चाहता है। भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने सोमवार को ‘‘शत्रुतापूर्ण’’ सैन्य कार्रवाइयों से बचने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया और सीमा व अग्रिम क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों की संख्या में कमी लाने के लिए तत्काल कदम उठाने पर सहमति जाहिर की।
इस संबंध में एक बयान में कहा गया कि दोनों अधिकारियों ने ‘हॉटलाइन’ पर हुई बातचीत में दोनों पक्षों की ओर से गोलीबारी नहीं करने या एक-दूसरे के खिलाफ कोई ‘‘आक्रामक और शत्रुतापूर्ण’’ कार्रवाई से बचने की प्रतिबद्धता को कायम रखने पर ध्यान केंद्रित किया।
दोनों देशों के डीजीएमओ द्वारा सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जाहिर करने के दो दिन बाद हुई यह बातचीत लगभग 45 मिनट तक चली। चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद 10 मई को यह सहमति हुई थी। (भाषा से इनपुट्स के साथ)
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