मंगल ग्रह पर इंसान बसाने के लिए धमाका जरूरी! वैज्ञानिक ने समझाया 'एस्टेरॉयड बम' वाला प्लान
- पोलैंड के एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि अगर मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाना है तो एस्टेरॉयड के कई धमाके करने होंगे, तभी यह मुमकिन हो सकता है। हालांकि अगर ऐसा किया भी जाए तो ऐसा करने में करीब 15 हजार साल लग जाएंगे।

सोचिए! आप एक ऐसे ग्रह पर हैं जहां सांस लेना तक मौत को दावत देने जैसा है, पानी उबलता है और जमीन जहर से भरी है! फिर भी इंसान वहां जिंदगी बसाने की जिद पर अड़ा है। हम बात कर रहे हैं मंगल ग्रह की। अब तक आप मार्स पर खेती-बाड़ी और लाइकेन जैसी कठोर जीवों से बसने की कहानियां सुनते आए होंगे, लेकिन एक पोलिश वैज्ञानिक ने इन सब थ्योरीज को पलटते हुए दावा किया है कि अगर हमें मंगल ग्रह पर बसना है तो अनेक धमाके करने होंगे।
पोलैंड की अकादमी ऑफ साइंसेज़ में शोधकर्ता डॉ. लेसेक सेचकोव्स्की का कहना है कि ‘मंगल ग्रह को जीने लायक बनाना है, तो वहां एस्टेरॉयड टकराने होंगे!’
नहीं चलेगी फिल्मी थ्योरी
हॉलीवुड की चर्चित फिल्म The Martian में जैसा दिखाया गया कि इंसान मार्स की जमीन में आलू उगाकर बच सकता है, असलियत में ऐसा मुमकिन नहीं है। मार्स की मिट्टी यानी रेगोलिथ में पर्क्लोरेट्स होते हैं जो इंसानों के लिए जहरीले हैं। इतना ही नहीं, वहां का वायुमंडल इतना पतला है कि बिना प्रेशर सूट के इंसान के शरीर का पानी ही उबल जाएगा।
समाधान क्या है?
समाधान के जवाब में डॉ. सेचकोव्स्की का कहना है,'एस्टेरॉयड गिराओ!' उनका मानना है कि कूपर बेल्ट और उससे भी दूर के ओओर्ट क्लाउड में बर्फ से लदे अरबों ऐस्टरॉइड्स मौजूद हैं। अगर इनमें से कुछ को मार्स पर टकराया जाए, तो वो बर्फ और गैस छोड़ सकते हैं, जिससे वायुमंडल बनेगा और तापमान बढ़ेगा।
लग जाएंगे 15 हजार साल
इन ऐस्टरॉइड्स को ओओर्ट क्लाउड से मार्स तक लाने में मौजूदा टेक्नोलॉजी से करीब 15,000 साल लगेंगे!मतलब ये प्लान फिलहाल तो नहीं, लेकिन भविष्य में मार्स को इंसानों के लिए 'दूसरी पृथ्वी' बनाने का रास्ता जरूर हो सकता है।
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