Turmoil in Turkey protests on the streets against Erdogan Why are people angry तुर्किये में बवाल, 'खलीफा' एर्दोगन के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन; लोगों में उबाल क्यों?, International Hindi News - Hindustan
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तुर्किये में बवाल, 'खलीफा' एर्दोगन के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन; लोगों में उबाल क्यों?

  • पूरी दुनिया में मुस्लिम ब्रदरहुड का जिम्मा उठाने वाले एर्दोगन के खिलाफ आम जनता गुस्से में सड़कों पर उतर आई है। खासतौर पर, इस्तांबुल के लोकप्रिय मेयर एकरम इमामोगलु की गिरफ्तारी के बाद हालात और भड़क उठे हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानTue, 25 March 2025 03:47 PM
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तुर्किये में बवाल, 'खलीफा' एर्दोगन के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन; लोगों में उबाल क्यों?

इस्तांबुल की सड़कों पर बिखरी कांच की बोतलें, जलते हुए टायर और हवा में तैरती कड़वी काली धुंध इस बात का इशारा कर रही हैं कि तुर्किये में हालात इस बार पहले से कहीं ज्यादा नाजुक हैं। राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन के खिलाफ लोग खुलकर सामने आ रहे हैं। पूरी दुनिया में मुस्लिम ब्रदरहुड का जिम्मा उठाने वाले एर्दोगन के खिलाफ आम जनता गुस्से में सड़कों पर उतर आई है। खासतौर पर, इस्तांबुल के लोकप्रिय मेयर एकरम इमामोगलु की गिरफ्तारी के बाद हालात और भड़क उठे हैं।

एर्दोगन के खिलाफ गुस्सा क्यों भड़का?

तुर्किये में पहले भी कई बार एर्दोगन के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। इस्तांबुल के तीन बार के निर्वाचित मेयर एकरम इमामोगलु को भ्रष्टाचार, घूसखोरी और साजिश रचने जैसे गंभीर आरोपों में गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, विपक्ष इसे सत्ता का दमन बता रहा है। इमामोगलु के समर्थक मानते हैं कि एर्दोगन उन्हें 2028 के राष्ट्रपति चुनाव से बाहर करने के लिए ये कदम उठा रहे हैं, क्योंकि वो उनके सबसे बड़े राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन चुके हैं।

इमामोगलु की गिरफ्तारी के बाद उनके समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर जबरदस्त प्रदर्शन शुरू कर दिया। शहर की गलियों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, और हालात इतने बेकाबू हो गए कि सुरक्षा बलों को आंसू गैस और रबर की गोलियां दागनी पड़ीं। इसके बावजूद लोग पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

क्या है विपक्ष की रणनीति?

इमामोगलु की गिरफ्तारी के बाद मुख्य विपक्षी दल रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी पूरी ताकत से उनके समर्थन में आ गई है। पार्टी नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वो सड़कों पर उतरकर विरोध जताएं और इस मुद्दे को पूरे देश में फैलाएं। खुद इमामोगलु ने जेल से बयान जारी करते हुए कहा कि एर्दोगन अब घबराहट में हैं और वो कुछ भी कर सकते हैं। उनका दावा है कि इस बार एर्दोगन की पकड़ सत्ता पर कमजोर हो रही है, और जनता अब खुलकर विरोध करने के लिए तैयार है।

क्या तुर्किये में लोकतंत्र खतरे में है?

तुर्किये की सरकार खुद को लोकतांत्रिक कहती है। समय पर चुनाव होते हैं, मतदान प्रतिशत भी काफी अच्छा रहता है और मतदाता अपने वोटिंग अधिकार का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन असल खेल वोटिंग बूथ के बाहर खेला जाता है। वहां मीडिया पर पूरी तरह सरकार का कब्जा है, जिससे विपक्ष को प्रचार करने का मौका ही नहीं मिलता। एर्दोगन के आलोचकों को जेल में डाला जाता है, जिससे लोग सरकार के खिलाफ बोलने से डरते हैं। बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा है, ताकि वो चुनाव लड़ ही न सकें। राष्ट्रपति का मजाक उड़ाने पर भी जेल की सजा हो सकती है।

इमामोगलु ऐसे नेता हैं जो इस माहौल में भी जनता तक अपनी बात पहुंचाने में सफल रहे हैं। वो इस्तांबुल के मेयर का चुनाव तीन बार जीत चुके हैं, जो दिखाता है कि उनकी लोकप्रियता एर्दोगन के लिए एक बड़ी चुनौती है।

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