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क्या है यूरेनियम संवर्धन और इससे कैसे बनता है परमाणु बम, जो ईरान में इजरायली हमलों की वजह

इजरायल को आशंका है कि ईरान परमाणु बम बनाने के बहुत करीब है और इस वजह से उसने ईरान पर हमला बोला है।ईरान के परमाणु प्लांट नतांज और फोर्दो वो जगहें हैं जहां वह यूरेनियम को संवर्धित करता है, जिसकी मदद से परमाणु बम बनाया जाता है।

Gaurav Kala कैनबरा, द कन्वरसेशनWed, 18 June 2025 06:54 PM
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क्या है यूरेनियम संवर्धन और इससे कैसे बनता है परमाणु बम, जो ईरान में इजरायली हमलों की वजह

पिछले हफ्ते इज़रायल ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों नतांज, फोर्दो और इस्फहान को निशाना बनाया। जिसके बाद ईरान और इजरायल में भयंकर युद्ध शुरू हो गया है। हालांकि इनमें कितना नुकसान हुआ, इसे लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। नतांज और फोर्दो वो जगहें हैं जहां ईरान यूरेनियम को संवर्धित करता है, जबकि इस्फहान कच्चा माल सप्लाई करता है। इजरायल बार-बार आरोप लगाता रहा है कि ईरान इन परमाणु ठिकानों में बम बनाने की तैयारी कर रहा है और अपने मकसद के काफी करीब है। इजरायल ने ईरान पर हमलों की यही वजह बताई है। ईरान के ये ठिकाने बेहद सुरक्षित और ज़मीन के नीचे बंकरों में बने हुए हैं।

लेकिन सवाल ये है कि यूरेनियम संवर्धन आखिर होता क्या है? और क्यों दुनिया इसके ज़रिए परमाणु हथियार बनाए जाने को लेकर डरी हुई रहती है?

यूरेनियम संवर्धन क्या है?

संवर्धन का मतलब है – यूरेनियम में एक खास किस्म के परमाणु (U-235) की मात्रा को बढ़ाना, ताकि वो फटने की क्षमता रखे। आम भाषा में कहें तो यह एक तरह से यूरेनियम को अपग्रेड करना है – बिल्कुल जैसे कच्चा सोना शुद्ध किया जाता है, वैसे ही यूरेनियम को भी हथियार बनाने लायक बनाया जाता है।

प्राकृतिक यूरेनियम में लगभग 0.72% यूरेनियम-235 होता है, बाकी सब यूरेनियम-238 होता है जो विखंडन यानी फटने में सक्षम नहीं होता। लेकिन बम बनाने के लिए U-235 की मात्रा को बढ़ाकर 90% तक ले जाना पड़ता है। इस प्रक्रिया को ही ‘संवर्धन’ कहते हैं।

कैसे होता है संवर्धन?

ईरान समेत कई देश यूरेनियम संवर्धन के लिए सेंट्रीफ्यूज मशीनों का इस्तेमाल करते हैं। इसमें यूरेनियम को एक गैस में बदला जाता है और फिर उसे बेहद तेज गति से घुमाया जाता है। तेज रफ्तार में भारी यूरेनियम-238 किनारे चला जाता है और हल्का यूरेनियम-235 बीच में रह जाता है। इस प्रक्रिया को कई बार दोहराकर U-235 का प्रतिशत बढ़ाया जाता है।

ये वही टेक्नोलॉजी है जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को सबसे ज़्यादा चिंता होती है, क्योंकि इसे बम बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

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बिजली से बम तक: दो चेहरों वाला यूरेनियम

कम संवर्धित यूरेनियम का इस्तेमाल परमाणु बिजली संयंत्रों में किया जाता है, जिससे दुनिया की लगभग 9% बिजली बनती है। लेकिन जब यही यूरेनियम ज़्यादा संवर्धित हो जाता है तो वो बन जाता है 'हथियार-ग्रेड' – यानि बम बनाने लायक।

ईरान फिलहाल 60% संवर्धन तक पहुंच चुका है और विशेषज्ञ मानते हैं कि 90% तक पहुंचना अब ज्यादा मुश्किल नहीं। यही वजह है कि इज़रायल और पश्चिमी देशों की चिंता लगातार बढ़ रही है।

संवेदनशील मुद्दा

यूरेनियम संवर्धन एक ड्यूल यूज़ टेक्नोलॉजी है – यानी इसका इस्तेमाल बिजली और दवाइयों में भी होता है और हथियारों में भी। लेकिन एक बार अगर देश 90% U-235 बना ले, तो फिर परमाणु बम बनाना केवल तकनीकी औपचारिकता रह जाती है। इसीलिए संवर्धन को लेकर आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) हर देश की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखती है और जब ईरान जैसे देश इसमें तेज़ी दिखाते हैं, तो खतरे की घंटी बज जाती है।

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