Three-Day Religious Conference Spiritual Practices and Bhakti Discussed अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है तो उसे कहते हैं भक्ति: आचार्य विकासानंद , Bokaro Hindi News - Hindustan
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अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है तो उसे कहते हैं भक्ति: आचार्य विकासानंद

आनंद मार्ग प्रचारक संघ का तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है तो उसे कहते हैं भक्ति: आचार्य विकासानंदअपने मन को ब

Newswrap हिन्दुस्तान, बोकारोSun, 1 June 2025 03:05 AM
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अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है तो उसे कहते हैं भक्ति: आचार्य विकासानंद

आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से तीन दिवसीय धर्म महासम्मेलन के दूसरे दिन आनंद नगर में प्रभात संगीत,कीर्तन और आध्यात्मिक साधना से हुआ। इस मौके पर गुरु प्रतिनिधि आचार्य विकासानन्द अवधूत ने आनन्दमूर्ति के दर्शन पर कहा अपने मन को सभी सांसारिक आकर्षणों से हटाकर परमपुरुष की ओर केंद्रित करना चाहिए। जब व्यक्ति अपने मन को ब्रह्मांड से जोड़ता है, तो उसे भक्ति कहते हैं, लेकिन जब वह सांसारिक चीजों में उलझ जाता है, तो उसे आसक्ति कहा जाता है। भक्ति का असली अर्थ यही है कि अपनी मानसिक प्रवृत्तियों को बाहरी चीजों से हटा कर केवल परमपुरुष की ओर लगाएं।

यदि मन किसी अन्य चीज की ओर आकर्षित होता है, तो वह भक्ति नहीं, बल्कि लगाव कहलाता है। मनुष्य को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। पहली श्रेणी ऐसे लोगों की है जो अपनी सच्ची भावनाएं छिपाते हैं। वे अपने वास्तविक विचारों को मन में रखते हैं और उन्हें प्रकट नहीं करते। दूसरी श्रेणी के लोग जो सोचते हैं, वह कभी नहीं कहते, बल्कि कुछ और बोलते हैं। तीसरी श्रेणी के लोगों की सोच, वाणी और कर्म तीनों अलग-अलग होते हैं। वे कुछ सोचते हैं, कुछ और कहते हैं और फिर कुछ और करते हैं।सच्चा भक्त मन से सरल, स्वच्छ और निर्मल होता है। स मौके पर आनन्द मार्ग की सांस्कृतिक शाखा रेनासा आर्टिस्टस एंड राइटर्स एसोसिएशन रावा की ओर से प्रभात संगीत पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ।

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