सारंडा जंगल में किरीबुरु के भनगांव में हाथी ने एक युवक को कुचलकर मार डाला
झारखंड के भनगांव में एक उग्र हाथी ने मुंगडू नायक नामक 35 वर्षीय युवक को कुचल डाला। यह हाथी पिछले महीने से इलाके में आतंक फैला रहा था। घटना के समय गांव में रोजो पर्व मनाया जा रहा था, और हाथी ने युवक पर...
गुवा । घने सारंडा जंगल क्षेत्र में किरीबुरु वन प्रक्षेत्र अंतर्गत भनगांव में रविवार की शाम करीब 6:30 बजे एक उग्र दतैल हाथी ने 35 वर्षीय युवक मुंगडू नायक (पिता - रोनु नायक) को दौड़ा-दौड़ाकर कुचल डाला। यह वही हाथी है जो पिछले एक महीने से नवागांव और भनगांव क्षेत्र में दहशत फैला रहा है और अब तक तीन जानें ले चुका है। दो झारखंड में और एक ओडिशा में। घटना के वक्त गांव में रोजो पर्व मनाया जा रहा था। गांव के पास झूला सजाया गया था और मृतक मुंगडू नायक अपने एक साथी के साथ पैदल वहां जा रहा था।
इसी बीच पास के जंगल में छुपा हाथी अचानक बाहर निकला और दोनों युवकों पर हमला कर दिया। एक युवक तो किसी तरह आम के पेड़ की आड़ लेकर जान बचाने में सफल रहा, लेकिन मुंगडू को हाथी ने लगभग 20-30 फीट तक दौड़ाकर पकड़ लिया और पटक-पटक कर मार डाला। घटनास्थल पर मृतक का चप्पल और टॉर्च पड़ा मिला है। हाथी की हिंसा सिर्फ झारखंड तक सीमित नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार यह ओडिशा सीमा से सटे गांव में भी एक महिला को मौत के घाट उतार चुका है। भनगांव निवासी उपेन्द्र नायक और सीमा पार ओडिशा के एक ग्रामीण का घर भी रविवार की रात हाथी ने तोड़ दिया। हाथी न केवल मानवों को निशाना बना रहा है, बल्कि घरों और संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। हालिया हमलों के मद्देनजर वन विभाग ने दो दिन पहले ही भनगांव और आसपास के लोगों को टॉर्च और पटाखे वितरित किए थे। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह कागजी सुरक्षा से ज्यादा कुछ नहीं थी। हमले के वक्त न तो कोई सतर्कता थी, न कोई चेतावनी। हाथी अब पटाखे और आग से डरना बंद कर चुका है। वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, सारंडा डीएफओ ने इस उग्र हाथी को काबू में लाने के लिए पश्चिम बंगाल से प्रशिक्षित विशेषज्ञों की टीम बुलाने की प्रक्रिया शुरू की है। फिर भी ग्रामीणों का गुस्सा इस बात को लेकर है कि वन विभाग ने पहले से खतरे की चेतावनी होते हुए भी समय पर प्रभावी कार्रवाई नहीं की। भनगांव, नवागांव और आसपास के इलाके में हाथी के भय से शाम होते ही सन्नाटा पसर जाता है। लोग झोपड़ियों से निकलना बंद कर चुके हैं। रात में आग जलाकर और पहरा देकर लोग जागकर समय बिता रहे हैं। डर इस कदर है कि बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे और महिलाएं अकेले बाहर निकलने से कतरा रही हैं। घटना के बाद ग्रामीणों ने वन विभाग और प्रशासन के खिलाफ गहरा आक्रोश व्यक्त किया। गांव के ग्रामीणों ने कहा कि अगर शहरों में ऐसी घटनाएं होतीं तो पूरी मशीनरी हरकत में आ जाती। लेकिन हम जंगल में हैं, इसलिए कोई नहीं सुनता। ग्रामीणों की मांग है कि या तो हाथी को पकड़कर किसी अन्य जंगल में भेजा जाए, या फिर स्थायी समाधान के तहत गांवों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
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