कस्टमर केयर अधिकारी बन ठगी करने वाले दो गिरफ्तार, जेल
देवघर में पुलिस ने जसीडीह थाना क्षेत्र के रयडीह गांव में छापेमारी कर 2 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से 4 मोबाइल फोन, 3 सिम कार्ड और ठगी से संबंधित सामग्री मिली है। ये आरोपी...

देवघर, प्रतिनिधि। जसीडीह थाना क्षेत्र अंतर्गत रयडीह गांव स्थित झाड़ी-जंगल में पुलिस ने छापेमारी के दौरान 2 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से 4 मोबाइल फोन, 3 सिम कार्ड और ठगी से संबंधित अन्य सामग्री बरामद की गई है। सभी अपराधियों पर फर्जी बैंक प्रतिनिधि, कस्टमर केयर अधिकारी और सरकारी पदाधिकारी बनकर आमलोगों को ठगने का आरोप है। पुलिस ने इनके खिलाफ प्रतिबिंब पोर्टल पर भी पूर्व में दर्ज शिकायतों की पुष्टि की है। कार्रवाई का नेतृत्व पुलिस उपमहानिरीक्षक सह पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडुंग के दिशा-निर्देश में किया गया। पुलिस को गुप्त सूचना मिली थी कि जसीडीह थाना क्षेत्र के रायडीह गांव के समीप झाड़ियों में कुछ संदिग्ध लोग साइबर ठगी के उद्देश्य से एक अस्थायी अड्डा बना कर बैठे हैं।
सूचना मिलते ही उच्चाधिकारियों के निर्देश पर एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसने त्वरित कार्रवाई करते हुए छापेमारी कर 2 साइबर अपराधियों को रंगे हाथ गिरफ्तार किया। बुधवार शाम को सभी आरोपियों को जेल भेज दिया । गिरफ्तार आरोपियों में देवीपुर थाना के कर्णपुरा गांव निवासी 27 वर्षीय चंदन महरा, पिता गुही महरा, 38 वर्षीय रंजीत दास, पिता पूरण महरा शामिल है। अपराध की कार्यप्रणाली : पुलिस द्वारा की गई प्रारंभिक जांच में स्पष्ट हुआ कि दोनों अपराधी बेहद शातिर साइबर ठग हैं, जो अलग-अलग योजनाओं और तरीकों का इस्तेमाल कर आमलोगों को ठगते थे। पीएम किसान योजना के नाम पर ठगी- आरोपी फर्जी वेबसाइट और लिंक के माध्यम से प्रधानमंत्री किसान योजना के लाभुकों को निशाना बनाते थे। लोगों को लिंक भेजकर व्यक्तिगत जानकारी हासिल करते और फिर उनके बैंक खातों से पैसे निकाल लेते थे। आरोपी खुद को फोन पे, पेटीएम या अन्य डिजिटल पेमेंट प्लेटफॉर्म का कस्टमर केयर अधिकारी बता यूजर्स से संपर्क करते थे। कैशबैक ऑफर का झांसा देकर यूजर्स से गिफ्ट कार्ड जेनरेट कराते और फिर खुद रिडीम कर ठगी कर लेते थे। आरोपियों की एक और तरकीब थी कि खुद को एयरटेल पेमेंट बैंक प्रतिनिधि बता लोगों को बताते कि उनका कार्ड बंद हो गया है। उसके बाद उसे चालू कराने के नाम पर ओटीपी मांगते और उससे ट्रांजेक्शन कर लेते थे।
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