सरकार ने लिया फैसला, गिग वर्कर्स बोले, धन्यवाद हिन्दुस्तान
झारखंड में गिग वर्कर्स के लिए जल्द कानून बनेगा और गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में कैबिनेट ने झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स विधेयक-2025 को मंजूरी दी।...

धनबाद, संवाददाता। झारखंड में गिग वर्कर्स के लिए जल्द कानून बनेगा। साथ ही गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का भी गठन होगा। डिलिवरी सिस्टम में लगे लोगों का अब निबंधन होगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में बुधवार को झारखंड कैबिनेट की बैठक में झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन और वेलफेयर) विधेयक-2025 के अधिनियम को मंजूरी दी गई। हिन्दुस्तान बोले धनबाद में नौ फरवरी को गिग वर्कर्स (डिलीवरी ब्वॉय) की समस्याओं पर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की गई थी। बोले धनबाद में गिग वर्कर्स ने जिन-जिन मुद्दों को उठाया था उन सभी के समाधान के लिए सरकार ने कैबिनेट से स्वीकृति दी है।
पूरे मामले पर धनबाद में काम करने वाले गिग वर्कर्स ने खुशी का इजहार किया। बुधवार की शाम जब गिग वर्कर्स से कैबिनेट स्वीकृति की जानकारी दी गई तो उन्होंने इन मुद्दे को उठाने और अंजाम तक पहुंचाने के लिए हिन्दुस्तान का आभार जताया। झारखंड सरकार को भी धन्यवाद कहा। कैबिनेट स्वीकृति के अनुसार झारखंड के गिग श्रमिकों के लिए कानून बनेगा। इसमें गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड का गठन किया जाएगा। जोमैटो, स्विगी, ओला व उबर में काम कर रहे करीब 50 हजार श्रमिकों के प्रोटेक्शन और उनके लिए कल्याण फंड भी सृजित किए जाएंगे। कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्रिमंडल विभाग के सचिव प्रशांत कुमार ने बताया कि झारखंड प्लेटफॉर्म बेस्ड गिग वर्कर्स (रजिस्ट्रेशन और वेलफेयर) विधेयक-2025 झारखंड विधानसभा के मॉनसून सत्र में लाया जाएगा। जोमैटो, स्विगी, ओला व उबर में काम कर रहे गिग कर्मियों का कोई प्रोटेक्शन नहीं है। प्रोटेक्शन देने के लिए ही कानून लाया जा रहा है और बोर्ड का गठन किया जा रहा है। बोर्ड सभी गिग वर्कर्स का रजिस्ट्रेशन करेगा। उनके लिए कल्याण फंड भी सृजित किए जाएंगे। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि गिग कर्मी विभिन्न एग्रीगेटर व मध्यस्थों की मनमानी के कारण कई प्रकार से शोषित होते रहते हैं और सामाजिक सुरक्षा से भी वंचित हैं। इस समस्या के निराकरण के लिए सरकार कानून ला रही है, जिसमें झारखंड में काम करने वाले गिग वर्कर की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग भी की जा सकेगी। इसके लिए पोर्टल भी बनाया जाएगा। इसमें कल्याण बोर्ड और फंड की स्थापना, गिग वर्कर्स और प्लेटफॉर्म का पंजीकरण अनिवार्य करना और सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और शिकायत निवारण तंत्र सुनिश्चित करना शामिल हैं। प्रस्तावित कानून का उद्देश्य गिग वर्क के लचीलेपन और पारंपरिक रोजगार के सुरक्षा उपायों के बीच की खाई को पाटना है। कानून बनने के बाद उनका शोषण रुकेगा और उनके आर्थिक हितों की भी रक्षा होगी। गिग वर्कर्स के लिए यह महत्वपूर्ण है। कानून अस्तित्व में आने के बाद उसके कई फायदे नजर आएंगे।
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